Wednesday - 31 July 2024 - 11:56 PM

अपनी ही पार्टी में सहज नहीं हो पा रहीं प्रज्ञा ठाकुर

पॉलिटिकल डेस्क

मालेगांव ब्लास्ट में आरोपी प्रज्ञा ठाकुर को फायर ब्रांड नेता बनाने की चाह में ही बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और मोदी ने दांव लगाया हिंदुत्व का अलख जगाने वाले लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती, मुरली मनोहर जोशी जैसे नेताओं की जिम्मेदारी मोदी प्रज्ञा के कंधे पर डालना चाह रहे हैं।

कुछ हद तक प्रज्ञा मोदी-शाह की मंशा को पूरा करने में कामयाब भी रही हैं, लेकिन कुछ विवादित बयानों ने प्रज्ञा की किरकिरी करा दी है। प्रज्ञा द्वारा शहीद हेमंत करकरे, बाबरी मस्जिद और दिग्गी राजा पर दिए विवादित बयान की वजह से बीजेपी तो असहज हुई है, इसकी वजह से प्रज्ञा से नाखुश नेता खुलकर सामने आ गए।

मोदी और शाह के समर्थन की वजह से जो नेता खुलकर प्रज्ञा का विरोध नहीं कर पा रहे थे वे उनके विवादित बयान के बाद बीजेपी के भीतर बगावत के सुर उठने लगे हैं।

हालांकि पार्टी के भीतर से दबी जुबान में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ आवाज उठने पर पीएम मोदी और अमित शाह ने साध्वी प्रज्ञा का समर्थन कर सबको चुप कराने की कोशिश कर चुके हैं।

मोदी-शाह के समर्थन के बावजूद भी साध्वी के खिलाफ बीजेपी नेताओं के बगावत के सुर उठ रहे हैं। नेता के बगावत पर मोदी-शाह कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहे लेकिन इसका असर भोपाल लोकसभा सीट पर पड़ सकता है।

प्रज्ञा महान साध्वी, मैं मूर्ख किस्म की प्राणी : उमा भारती

केंन्द्रीय मंत्री उमा भारती मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं, और वो 1999 में भोपाल से सांसद भी बनी थीं। अब प्रज्ञा ठाकुर उसी भोपाल से चुनाव लड़ रही हैं, तो उनकी तुलना उमा भारती से की जा रही है। तुलना इसलिए हो रही है क्योंकि दोनों साध्वी हैं। फिलहाल उमा भारती को प्रज्ञा ठाकुर से तुलना करना कुछ खास पसंद नहीं आया।

जब पत्रकारों ने उमा भारती से ये सवाल पूछा कि प्रज्ञा ठाकुर मध्यप्रदेश में आपकी जगह लेने जा रही हैं, तो उमा भारती ने कहा कि मेरी उनसे तुलना मत कीजिए वो तो एक महान साध्वी हैं और मैं उनके सामने मूर्ख किस्म की प्राणी हूं।

जाहिर है वरिष्ठ नेता उमा भारती के इस बयान के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। उमा भारती मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। भोपाल उनका कर्म क्षेत्र रहा है। चूंकि चुनाव संग्राम छिड़ा हुआ है तो विपक्षी दल उमा के इस तंज को भुनाने में पीछे नहीं हटेगा।

केेन्द्रीय मंत्री ने कहा-प्रज्ञा को टिकट दिया जाना गलत

केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने 28 अप्रैल को प्रज्ञा को टिकट दिए जाने की अलोचना की। उन्होंने कहा कि ‘उनका नाम मालेगांव मामले में आया था और महाराष्ट्र एटीएस के पूर्व प्रमुख हेमंत करकरे के पास उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत थे।’ उन्हें टिकट नहीं दिया जाना चाहिए था। मालूम हो कि अठावले भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए गठबंधन के सहयोगी दल रिपब्लिकल पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) के अध्यक्ष हैं।

मध्य प्रदेश बीजेपी के स्थानीय नेता प्रज्ञा ठाकुर को प्रत्याशी बनाए जाने से खुश नहीं

भोपाल से मालेगांव बम ब्लास्ट की आरोपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की उम्मीदवारी से मध्य प्रदेश बीजेपी के नेता खुश नहीं हैं। खबर है कि पार्टी के कैडर मौजूदा सांसद आलोक संजर पर साध्वी तरजीह दिए जाने को लेकर नाराज हैं।

बीजेपी के स्थानीय नेता मौजूदा सांसद आलोक संजर को प्रत्याशी के तौर पर देखना चाहते थे लेकिन पार्टी ने उनका टिकट काट दिया। शहीद हेमंत करकरे को लेकर दिए विवादित बयान के बाद तो प्रज्ञा ठाकुर का और विरोध होने लगा है।

ऐसी खबर है कि नाराजगी की वजह से बीजेपी के कई स्थानीय पदाधिकारी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के चुनाव प्रचार की रणनीति को लेकर हुई बैठक में भी शामिल नहीं हो रहे हैं। इकोनॉमिक्स टाइम्स की खबर के मुताबिक बीजेपी को मजबूरन ऐसे नेताओं को नोटिस भेजना पड़ रहा है। इन लोगों से इस संबंध में कारण पूछा गया है। पार्टी इसे अनुशासनहीनता के रूप में देख रही है।

बीजेपी विधायक ने प्रज्ञा को बताया था देशद्रोही

गोरखपुर से भाजपा विधायक डा. राधा मोहन दास अग्रवाल ने ट्वीट कर साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को देशद्रोही कहा था। उन्होंने ट्विटर पर लिखा था कि, बुलेटप्रूफ जैकेट न पहन पाने के बावजूद आतंकवादियों का मुकाबला करने तथा उनकी गोलियों से शहीद होने वाले शहीद हेमंत करकरे की शहादत को अपने श्राप का फल बताना और उन्हें देशद्रोही बताना बहुत शर्मनाक बयान है और देशद्रोह है।

 

पूर्व विधायक पारूल और फातिमा रसूल जता चुकी हैं विरोध

पूर्व विधायक पारुल साहू और चुनाव प्रबंधन समिति की सदस्य फातिमा रसूल ने भी प्रज्ञा के खिलाफ खुलकर बोला था। भोपाल उत्तर सीट से विधानसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार रहीं फातिमा रसूल सिद्दकी ने साध्वी प्रज्ञा का प्रचार करने से साफ इनकार कर दिया और उन पर भोपाल की फिजा बिगाडऩे के आरोप लगाए ।

फातिमा का कहना था कि बीजेपी ने गलत प्रत्याशी का चुनाव किया है। उन्होंने उनकी उम्मीदवारी पर सवाल उठाया था। उन्होंने यह भी कहा था कि भोपाल से आलोक संजर, अलोक शर्मा, विश्वास सांरग या फिर सुरेंद्र नाथ सिंह भी बेहतर उम्मीदवार हो सकते थे।

पूर्व पारूल साहू ने तो ट्विटर पर पार्टी हाईकमान से आग्रह किया था कि वे यह सुनिश्चित करें कि चुनाव सेक्यूलर रहे। साहू ने एक प्रज्ञा ठाकुर वाले एक बयान पर न्यूजपेपर की रिपोर्ट को भी टैग किया था। वहीं मध्य प्रदेश विधानसभा में बीजेपी की एकमात्र महिला उम्मीदवार रहीं फातिमा रसूल का कहना था कि वो प्रज्ञा ठाकुर के लिए प्रचार नहीं कर पाएंगी।

पूर्व केंद्रीय गृहराज्य मंत्री ने भी की प्रज्ञा की आलोचना

संघ और विहिप के करीबी माने जाने और वाजपेयी सरकार में पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद ने तो सोशल मीडिया पर ही प्रज्ञा के बयान को गलत ठहराया था। उनके शब्दों में, ‘प्रज्ञा ने पहाड़ जैसी गलती की है और दिग्गी राजा के खिलाफ अपने अभियान को बहुत कमजोर कर लिया है, उनके इस बयान से मिलने वाली जन सहानुभूति खो दी है जो उनकी बहुत बड़ी पूंजी थी !’

बीजेपी के अंदरखाने भी प्रज्ञा के बयान की हुई आलोचना

साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने एक के बाद एक विवादित बयान देकर हलचल मचा दी। जितना खुल्लमखुल्ला बयान प्रज्ञा ने दिया, अमूमन वैसा बयान देने से बीजेपी के वे फायरब्रांड नेता भी बचते रहे हैं, जो अक्सर विवादित बयानों के लिए जाने जाते हैं।

प्रज्ञा ठाकुर के अपनी चुनावी कैंपेनिंग से ज्यादा विवादित बयानों से सुर्खियों में बने रहने से बीजेपी ही नहीं संघ पदाधिकारी भी चिंतित हुए। अन्य विवादित बयानों से बीजेपी को उतनी दिक्कत नजर नहीं आई, जितनी की शहीद हेमंत करकरे की शहादत पर उठाए गए सवाल से।

संघ को लगा कि इससे बीजेपी के वे वोटर्स भी नाराज हो सकते हैं, जो शहीदों को लेकर भावनात्मक जुड़ाव रखते हैं। बीजेपी के अंदरखाने भी इस बयान की आलोचना हुई। इसीलिए बीजेपी ने दिल्ली हेडक्वार्टर से सफाई जारी की।

संघ के समझाने पर दिग्गी को आतंकवादी वाले बयान से लिया यू-टर्न

सूत्र के मुताबिक प्रज्ञा के विवादित बयान से बीजेपी को नुकसान होता देख संघ नेता प्रज्ञा उन्हें भोपाल स्थित संघ कार्यालय ‘समिधा’ पर संघ ने बुलाया। यहां आरएसएस के क्षेत्रीय प्रचारक ने उन्हें बोलते समय संयत रहने की सलाह दी।

समझाया गया कि जमीनी स्तर पर व्यापक जनसंपर्क से कहीं ज्यादा आसानी से चुनाव जीता जा सकता है, न कि विवादित बयान देकर। शहीदों आदि को लेकर ऐसा कुछ न कहा जाए, जिससे बीजेपी के राष्ट्रवाद पर ही विरोधी दलों को सवाल खड़े करने का मौका मिले।

चर्चा है कि संघ और बीजेपी के शीर्ष नेताओं के समझाने पर ही प्रज्ञा ठाकुर ने दिग्विजय सिंह को आतंकी कहने वाले बयान पर यूटर्न ले लिया।

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