लोकसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है. बीजेपी ने 2014 के प्रदर्शन को दोहराने के लिए कमर कस ली है. सपा-बसपा के गठबंधन और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी को पूर्वी यूपी का प्रभार मिलने के बाद सियासी समीकरण बदल गये हैं. ऐसे में पीएम मोदी के लिए वराणसी से चुनाव जितना चुनौतियों से भरा होगा.
मोदी की मुश्किलें
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रियंका गांधी को कांग्रेस का महासचिव बनाकर और पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाकर अपना मास्टर स्ट्रोक चल दिया. साथ ही ये भी साफ़ दिया है कि वह पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ को उनके गढ़ों में घेरेंगे.
समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने गठबंधन करके बीजेपी को रोकने कि तैयारी कर ली.
वहीं, विश्व हिंदू परिषद के पूर्व नेता प्रवीण तोगड़िया ने ऐलान किया है कि उनकी पार्टी हिंदुस्थान निर्माण दल आगामी लोकसभा चुनाव में यूपी की सभी 80 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। ऐसा कहा जा रहा है कि तोगड़िया खुद पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से मैदान में उतर सकते हैं.
एसबीएसपी चीफ ओम प्रकाश राजभर और अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल की नाराजगी भी पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के चेहरे पर चिंता की लकीरें पैदा कर दी हैं.
मोदी सरकार और प्रदेश की योगी सरकार के द्वारा जनहित में किये गये काम उनके लिए बोनस की तरह हैं. किसानों की कर्जमाफी, सवर्ण आरक्षण, गन्ना मिल की शुरुआत, काशी-प्रयागराज में किये गये धार्मिक प्रयास और किसानों को प्रतिवर्ष 6000 की सहायता मोदी के लिए वरदान साबित हो सकती है. हालांकि, बीजेपी सरकार से जनता की नाराजगी यानी एंटी इनकम्बेंसी फैक्टर भाजपा को यहां नुकसान भी पहुंचा सकती है.
ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि 2019 में सपा-बसपा गठबंधन और प्रियंका के राजनीति कि एंट्री का बाद वाराणसी के वोटर किस तरफ अपना रुख करेंगे.
वाराणसी लोकसभा सीट का इतिहास
वाराणसी लोकसभा सीट के इतिहास को देखा जाये तो 1991 के बाद से 2004 को छोड़ ये सीट बीजेपी की परंपरागत सीट रही है. पिछले छह लोकसभा चुनावों में पांच में भाजपा ने यहां से जीत हासिल की थी.
हालांकि, 2009 का लोकसभा चुनाव बीजेपी के लिए सबसे मुश्किल रहा है. बीजेपी के कद्दावर नेता मुरली मनोहर जोशी यहां सिर्फ 17 हजार वोटों से चुनाव जीत पाए.
वहीं, अगर जातीय समीकरण को देखा जाये तो इस सीट पर करीब साढ़े तीन लाख वैश्य, ढाई लाख ब्रह्मण, तीन लाख से ज्यादा मुस्लिम, डेढ़ लाख भूमिहार, एक लाख राजपूत, दो लाख पटेल, अस्सी हजार चौरसिया को मिलाकर करीब साढ़े तीन लाख ओबीसी वोटर और करीब 1 लाख दलित वोटर हैं.
2014 लोकसभा चुनाव में वाराणसी
2014 में वाराणसी लोकसभा सीट से बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी आम आदमी पार्टी (आप) के अरविंद केजरीवाल 3,71,784 वोटों के अंतर से हराया था.
नरेंद्र मोदी को कुल 5,81,022 वोट मिले हैं. वहीं, दूसरे स्थान पर अरविंद केजरीवाल को 2,09,238 मत मिले. कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय 75,614 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे.
वाराणसी लोकसभा में बसपा के प्रत्याशी विजय प्रकाश जायसवाल चौथे स्थान पर रहे. उन्हें 60,579 मत मिले. सपा के प्रत्याशी कैलाश चौरसिया 45,291 मतों के साथ पांचवें स्थान पर रहे.
2014 लोकसभा चुनाव में खास बात है ये रही की कांग्रेस, सपा और बसपा के उम्मीदवार अपनी ज़मानत नहीं बचा पाए.
वाराणसी लोकसभा चुनावों में अब तक सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड सीपीआई(एम) के अनिल बसु के नाम है. उन्होंने साल 2004 के लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल की आरमबाग सीट से 5,92,502 मतों से जीत हासिल की थी.