शबाहत हुसैन विजेता
कोटा में फंसे विद्यार्थियों के मुद्दे पर बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बिहार सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। मजदूरों के मुद्दे पर बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने लॉक डाउन के नियमों का हवाला देते हुए यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बिहार के मजदूरों को लाने से मना किया था।
कोटा में फंसे छात्रों का मुद्दा आया और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने उन्हें लाने के लिए बसें भेजने की बात कही तब भी नितीश कुमार ने बिहार के छात्रों को लाने से रोका जबकि बिहार के विधायक अनिल सिंह के पुत्र को कोटा से नवादा लाने के लिए वाहन को विशेष अनुमति दे दी गई।
तेजस्वी ने बिहार सरकार के सामने इसी आम और ख़ास लोगों में फर्क करने के मुद्दे को उठाकर बिहार सरकार को परेशानी में डाल दिया है। तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर सरकार से कहा है कि “ख़ास लोगों के प्रति समर्पित बिहार सरकार अगर कोटा में फंसे आम विद्यार्थियों को लाने में अक्षम, अशक्त और असमर्थ है तो हमें विशेष अनुमति प्रदान करें, हम उन 6500 छात्रों को बिहार लेकर आयेंगे। संकट की इस घड़ी में बिहार के भविष्य निर्दोष नादान बच्चो को ऐसे नहीं छोड़ सकते। अनुमति दीजिये।
तेजस्वी के इस ट्वीट के बाद बिहार की सियासत गर्म हो गई है। जदयू प्रवक्ता निखिल मंडल ने तेजस्वी के ट्वीट का जवाब देते हुए कहा है कि कब तक घटिया राजनीति करियेगा। आपने ज़िन्दगी भर वही काम किया जिसे क़ानून करने से रोकता है। वैसे आप हैं कहाँ? और कहाँ से कहाँ तक की अनुमति चाहिए है?
ख़ास लोगों के प्रति समर्पित बिहार सरकार अगर कोटा में फँसे आम विद्यार्थियों को लाने में अक्षम, अशक्त और असमर्थ है तो हमें विशेष अनुमति प्रदान करें,हम उन 6500 छात्रों को बिहार लेकर आएँगे।संकट की इस घड़ी में बिहार के भविष्य निर्दोष नादान बच्चों को ऐसे नहीं छोड़ सकते।
अनुमति दिजीए।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) April 20, 2020
बिहार के छात्रों के कोटा में फंसे होने के मुद्दे पर तेजस्वी के ट्वीट पर जदयू प्रवक्ता का पलटवार यह बताता है कि नितीश सरकार दूसरे राज्यों में फंसे अपने छात्रों और मजदूरों के मुद्दे पर बैक फुट पर है। तेजस्वी से पहले प्रशांत किशोर भी विद्यार्थियों के मुद्दे पर सरकार को निशाने पर ले चुके हैं। दरअसल बिहार के 35 हज़ार विद्यार्थी दूसरे राज्यों में पढाई कर रहे हैं जो लॉक डाउन के बाद अपने घरों को लौटना चाहते हैं।
दिक्कत की बात यह है कि एक तरफ विधायक के बेटे को कोटा से नवादा लाने के लिए वाहन को विशेष अनुमति दी जा रही है तो दूसरी तरफ 6500 आम छात्रों को वापस लाये जाने के मुद्दे को मुख्यमंत्री नितीश कुमार लॉक डाउन की भावना के खिलाफ मानते हैं।
तेजस्वी ने इसी आम और ख़ास के फर्क पर बात करते हुए सरकार से कहा है कि वह अगर बच्चो को वापस नहीं ला सकती है तो हमें अनुमति दे दी जाए हम उन्हें वापस ले आयेंगे।
जस्वी ने एक अन्य ट्वीट में कहा है कि बिहार के सीएम यूपी के सीएम को कह रहे हैं कि उन्हें कोटा में फंसे छात्रों को वापस लाने के लिए बसों की अनुमति नहीं देनी चाहिए थी दूसरी तरफ अपने विधायक को गोपनीय तरीके से उनके बेटे को लाने की अनुमति दे रहे हैं। बिहार में ऐसे अनेक पास वीआईपी और अधिकारीयों को निर्गत किये गए। फंसे बेचारा गरीब।