Sunday - 7 January 2024 - 2:44 AM

कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक से..!

राजीव ओझा

होली करीब है। इसके बाद मई में ईद भी है। ये दोनों खुशियों के त्यौहार हैं लेकिन लोग अब तो गले मिलने में भी हिचक रहे हैं। क्या साम्प्रदायिक सौहार्द खत्म हो गया है ? न, न इसका साम्प्रदायिकता से कुछ लेना देना नहीं। लेकिन हालात जितनी तेजी से बदले हैं उसे देख कर वशीर बद्र की ये लाइन याद आ रही हैं- कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक से, ये अजीब खौफ का शहर है, जरा फासले से मिला करो।’ जी हाँ, अब भारत में खौफ बढ़ता जा रहा है, क्या हिन्दू,क्या मुसलमान, क्या सिख क्या इसाई, सब डरे हुए हैं। यह खौफ दंगों का नहीं है। यह खौफ नये कोरोना वायरस यानी COVID-19 का है।

चीन से निकल कर पूरी दुनिया में फ़ैल चुके COVID-19 ने अब भारत में अपनी खौफनाक मौजूदगी का अहसास करा दिया है वो भी होली के ठीक पहले। इससे व्यापार-धन्धा चौपट होने के साथ ही सामाजिक तानेबाने पर गंभीर असर पड़ने का खतरा पैदा हो गया है। इत्तफाक से अभी तक भारत में इसके संक्रमण से किसी की जान नहीं गई है और तीन संक्रमित लोग पूरी तरह स्वस्थ हो चुके हैं।

भारत के किस शहर में कितने संक्रमित पाए गए और कौन चीन, ईरान, इटली, कोरिया या फ्रांस से कब लौटा। इसको लेकर अटकलें लगाने और अफवाहों में फंसने के बजाय नए कोरोना वायरस को समझने, बचने के उपाय और लोगों को जागरूक करने पर ध्यान दें तो हम सब बेहतर ढंग से कोरोना का मुकाबला कर सकेंगे।

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चीन की स्वास्थ्य सेवाएं भारत के मुकाबले अच्छी हैं लेकिन फिर भी कोरोना को काबू करने में पसीने छूट रहे हैं। भारत में डर, कोरोना से कहीं ज्यादा इस बात का है कि भारत में अशिक्षा और जागरूकता की कमी के कारण स्थिति गंभीर न हो जाये। कोरोना को रोकने का कोई टीका या वैक्सीन अभी तक नहीं खोजी जा सकी है लेकिन अफवाहों का बाजार गर्म है।

नीम हकीम और झोलाछाप डाक्टर सब जड़ी-बूटी, तेल-चूर्ण लेकर अपनी दूकान चमकाने में जुट गए हैं। कोई गोबर लीपने से लेकर गोमूत्र पीने तक की सलाह दे रहा है तो कोई व्हिस्की पीने की सलाह दे रहा है। एक तरफ कोरोना के खौफ से पर्यटन उद्योग को जबरदस्त झटका लगा है, त्यौहार का रंग फीका होने का खतरा पैदा हो गया है।

प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी और दिल्ली के सीएम अरविन्द केजरीवाल ने होली न मनाने की घोषणा कर दी है। शेयर बाजार झटके ले रहा है। लेकिन दूसरी तरफ जमाखोरों और ब्लैक मार्केटिंग वालों की चांदी है। बाजार से मास्क और सैनिटाइजर गायब हो गए हैं या चौगुने दामों पर मिल रहे हैं।

लेकिन कोरोना से डरने नहीं, सुनियोजित ढंग से मुकाबला करने की जरूरत है। अफवाहों और दकियानूसी बातों में आये बिना कोरोना संक्रमण से बचाव ही सबसे बेहतर दवा है। लेकिन आप सवाल करेंगे कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना को लेकर दुनिया में हेल्थ इमरजेंसी क्यों घोषित की है ? तो इसका जवाब है की COVID-19 या नव कोरोना वायरस, कोरोना फैमिली के अन्य वायरस सार्स की तुलना में हालाँकि कम घातक है लेकिन सार्स या मर्स की तुलना में दस गुना ज्यादा संक्रमणकारी है। यह हवा से नहीं, स्पर्श से फैलता है।

इसका इनक्यूबेशन पीरियड या पनपने का समय 14 दिन का है लेकिन लक्षण तभी प्रगट होते हैं जब यह पूरी तरह पनप जाता है। यदि कोई संक्रमित है तो लक्षण प्रगट होने के पहले ही उसके संपर्क में आने वाले संक्रमित हो जाते हैं। यही सबसे गंभीर चिंता का विषय है।

अभी तक नव कोरोना की कोई दवा नहीं है। अगर शरीर कमजोर है यानी इम्यून सिस्टम कमजोर है तो जान जाने का गंभीर खतरा है। इसीलिए विटामिन सी या इम्युनिटी बेहतर करने वाले पोषक तत्व और फल खाने की सलाह दी जा रही है। ध्यान रहे कोरोना से बचने का सबसे बेहतर उपाय संक्रमित व्यक्ति या वस्तु से अपने को बचाना है। दूसरा और अंतिम बचाव है अपने इम्यून सिस्टम को मजबूत रखना। अगर आपकी प्रतिरोधक क्षमता अच्छी है तो आपको मारने से पहले ही कोरोना मर जायेगा। अंत में एक बात और, वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि अन्य वायरस की तरह नव कोरोना भी अधिक गरमी नहीं झेल पायेगा। लेकिन नव कोरोना की यह पहली गर्मी और परीक्षा है। कौन जीतता है यह तो समय ही बताएगा।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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