जुबिली न्यूज डेस्क
केंद्र सरकार द्वारा किए गए भूमि संबंधित कानून मेें संसोधन का कश्मीर की राजनैतिक पार्टियां विरोध कर रही है। मंगलवार को केंद्र सरकार ने भूमि संबंधित कानून में संसोधन कर उसकी अधिसूचना जारी कर दी।
नये कानून के मुताबिक अब देश का कोई भी नागरिक जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में जमीन खरीद सकता है। फिलहाल इन बदलावों का कश्मीर कर राजनीतिक दल विरोध कर रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर की सभी मुख्यधारा की पार्टियों ने पीपल्स अलायन्स फॉर गुपकार डेक्लरेशन के बैनर के तहत इस कदम को “एक बहुत बड़ा धोखा” बताया है। गठबंधन के प्रवक्ता सज्जाद लोन ने कहा, “ये जम्मू और कश्मीर के लोगों के अधिकारों पर एक बहुत बड़ा हमला है और पूर्ण रूप से असंवैधानिक है।”
नेशनल काफ्रेंस के नेता व पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्विट्टर पर लिखा, “जम्मू और कश्मीर को अब बेचने के लिए तैयार कर दिया गया है और जमीन के छोटे-छोटे टुकड़ों के गरीब मालिक अब कष्ट भुगतेंगे।”
इस बदलाव पर पीडीपी अध्यक्ष व जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि यह जम्मू-कश्मीर के लोगों को ‘कहीं का न छोडऩे’ के लिए उठाया गया कदम है।
मुफ्ती ने ट्वीट में लिखा, ‘यह जम्मू-कश्मीर के लोगों को कमजोर करने और कहीं का न छोडऩे के भारत सरकार के नापाक मंसूबों से जुड़़ा एक और कदम है। असंवैधानिक तरीके से अनुच्छेद 370 हटाकर हमारे प्राकृतिक संसाधनों की लूट की इजाजत दी गई और अब जम्मू-कश्मीर की जमीन बिक्री के लिए रख दी। ‘
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हालांकि ये नए नियम लद्दाख में लागू होंगे या नहीं यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में सरकार और भी आदेश जारी कर स्थिति को और स्पष्ट करेगी।
जम्मू और कश्मीर को दो केंद्र-शासित प्रदेशों में बांटने के 14 महीने बाद केंद्र सरकार ने प्रदेश के भूमि संबंधित कानूनों में संशोधन किया है।
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नए नियम के मुताबिक जम्मू और कश्मीर में जमीन खरीदने पर लगी हर शर्त को हटा लिया गया है। ये शर्तें धारा 370 के तहत पूर्ववर्ती जम्मू और कश्मीर राज्य के स्थायी नागरिकों के लिए की गई विशेष व्यवस्था का हिस्सा थीं। नए नियम व्यापक और विस्तृत हैं।
सरकार ने राज्य स्तर के 11 कानूनों को रद्द कर दिया है और 26 दूसरे कानूनों को बदलाव या दूसरे आदेशों के साथ रूपांतरित कर दिया गया है। इन सभी संशोधनों से शहरी या गैर-कृषि भूमि जम्मू और कश्मीर से बाहर रहने वाले लोग खरीद पाएंगे, कृषि भूमि पर कॉन्ट्रैक्ट खेती शुरू हो पाएगी और एक औद्योगिक विकास निगम की स्थापना हो पाएगी।
कृषि भूमि को भी प्रदेश के बाहर रहने वाला कोई भी व्यक्ति खरीद पाएगा। इसके अलावा घर या दुकान के निर्माण के लिए भूमि के आवंटन पर कोई सीमा भी नहीं होगी, जब कि इस तरह के प्रावधान अभी भी हिमाचल प्रदेश जैसे कुछ पहाड़ी राज्यों में हैं।
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इतना ही नहीं गरीबों और कम आय वाले वर्गों के लिए आवास उपलब्ध कराने के लिए बने कानूनों से भी ‘स्थायी निवासियों’ की शर्त को हटा दिया गया है। सरकार द्वारा औद्योगिक और वाणिज्यिक उद्देश्य के लिए खरीदी गई जमीन भी सरकार अब किसी को भी दे सकेगी। पहले इस तरह की भूमि सिर्फ स्थायी निवासी खरीद सकते थे।