Thursday - 11 January 2024 - 4:25 AM

सरसों को ‘ODOP’ में मिली जगह, होगा किसानों को लाभ

जुबिली न्यूज़ डेस्क

लखनऊ। कभी कुख्यात डकैतों के आंतक से इटावा की पहचान हुआ करती थी, लेकिन अब ‘एक जनपद एक उत्पाद योजना’ में सरसों को जगह मिलने पर जिले की नई पहचान सरसों की फसल बनेगी। केंद्र की मोदी सरकार की मेहरबानी से कुख्यात डाकुओ के प्रभाव वाले उत्तर प्रदेश के इटावा जिले की नई पहचान ‘ODOP’ योजना के तहत सरसों की फसल को बनाया जायेगा।

इटावा के उप निदेशक कृषि अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार ने सरसों की फसल का चयन किया है। इस योजना में सरसों की फसल का चयन होने के बाद इससे जुड़े हुए कारोबारो को हरहाल में फायदा ही फायदा पहुंचेगा।

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उन्होंने बताया कि इटावा जिले में करीब 20 हजार हेक्टेयर में सरसों की फसल की जाती है, जिससे करीब 40 हजार के आसपास किसान लाभांवित होते है।उन्होंने बताया कि जब सरसों से जुड़ी हुई यह योजना प्रभावी हो जायेगी तो निश्चित है कि सरसों कारोबार से जुड़े हर किसी सख्श को लाभ अर्जित होगा।

अरविंद सिंह ने सरसों का औद्योगिक उपयोग करके किसानों की माली हालत सुधारने और आने वाले समय में सरसों की फसल को उद्योग से सीधे जोड़ने के लिए कृषि विभाग ने भी कमर कस ली है। उन्होंने बताया कि एफपीओ फार्मर प्रोड्यूसर आर्गेनाइजेशन के माध्यम से सरसों के उत्पादों को ब्रांड के रूप में तैयार कराया जाएगा। एफपीओ के जरिए ही योजना का लाभ किसानों को मिलेगा।

उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने इस बार किसानों की आर्थिक उन्नति के लिए कृषि उत्पादों को भी ओडीओपी योजना में शामिल किया है। सरसों की फसल का सर्वाधिक उत्पादकता वाला क्षेत्र बढ़पुरा और चकरनगर है, दोनों ही ब्लाॅक यमुना और चंबल नदी के दोआब में बसे हैं।

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सिंचाई के साधन के तौर पर यहां केवल नलकूप है। किसानों की माली हालत अच्छी नहीं है। यह क्षेत्र भी भौगोलिक दशा के कारण पिछड़ा माना जाता है। यही कारण है कि सरसों को एक जिला एक उत्पाद योजना में शामिल करके इस फसल को सीधे तौर पर औद्योगिक गतिविधियों से जोड़ना है।

अरविंद सिंह ने बताया कि चकरनगर बढ़पुरा और मेहवा आदि बीहडी क्षेत्रों में सरसों का उत्पादन प्रमुखता से होता है। उन्होंने बताया कि गत वर्ष 14000 हेक्टेयर जमीन पर सरसों का उत्पादन होता था। इसे देखते हुए लगभग 10000 किसानों को सरसों का नि:शुल्क बीज वितरित कराया गया था।

जिसके बाद सरसों का उत्पादन लगभग 5000 हेक्टेयर अधिक जमीन पर हुआ है जो कुल 19145 हेक्टेयर पहुंच गया है। उन्होंने बताया कि फार्मर प्रोड्यूसर आर्गेनाइजेशन एपीओ के माध्यम से सरसों का तेल का औद्योगिक उत्पादन कर एक ब्रांड के तौर पर बाजार में उतारा जाएगा।

एपीओ का गठन कम से कम 10 सदस्य किसान करेंगे। इसके अधिकतम 250 सदस्य तक हो सकते हैं। इन किसानों को कोई भी सूचीबद्ध उद्योग स्थापित करने के लिए 60 लाख तक का अनुदान सरकार देती है। किसानों को इस बात के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा कि वे सरसों के तेल को ब्रांड बनाकर बाजार में उतारेगे। इससे उनकी आमदनी भी बढ़ेगी और सरकार की अनुदान योजना का भी लाभ मिलेगा।

उप निदेशक कृषि ने बताया कि इस योजना में सरसों की सरकारी खरीद कराने के लिए बढ़पुरा और चकरनगर में एक- एक खरीद केंद्र खोला जाना प्रस्तावित है। सरकारी खरीद होने से किसानों को सरसों का लाभकारी मूल्य मिल सकेगा। किसानों को फसल बिचैलियों को बेचने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

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सरसों का बुवाई का क्षेत्रफल इटावा जिले भर में 19145 हेक्टेयर है इसकी पैदावार 22 कुंतल प्रति हेक्टेयर रखी गई है। इस बीच चकरनगर के नगला महानंद निवासी किसान केशव सिंह का कहना है कि क्षेत्र में सिंचाई के संसाधनों के अभाव के बावजूद सरसों की फसल की कम लागत में अच्छी पैदावार होती है। अगर सरकारी सुविधाएं बाबा ज्ञानिक तकनीक का सहारा मिले तो उत्पादन क्षमता और बढ़ सकती है।

गौरतलब है कि सरसों को ओडीओपी योजना में शामिल करना इटावा जिले के लिए काफी लाभदायक सिद्ध होगा। इससे किसानों का भविष्य संवर सकेगा आने वाले समय में और किसान भी इस योजना का लाभ ले सकेंगे। सरकार के इस संबंध में अन्य दिशा निर्देश मिलने के बाद इस कार्य को आगे बढ़ाया जाएगा। फिलहाल सरकारी खरीद के लिए दो क्रय केंद्र खोले जा रहे हैं।

वह भी समय था जब चंबल में डाकुओ की बंदूको से निकलने वाली गोलियों ने इलाके के खेतो को बंजर कर दिया था अगर कोई किसान खेमें फसल उगाने की भी कोशिश करता था उसे डाकुओ का दल उजाड़ देता था। सरसों के उत्पादन ने चंबल घाटी में कश्मीर की वादियों जैसी रौनक कर दी है।

इटावा जिले से सटे भिंड, मुरैना और श्योपुर जिले को व्याप्त पीली क्रांति ने यहां की धरती पर लगे डकैती के कलंक को काफी हद तक धो दिया है। चंबल के किसानों ने सरसों की फसल की ओर अपना रुझान तेजी से बढ़ाया और आज फिर चंबल घाटी पीले सोने की खेती से गुलजार हो गयी है। इन दिनों चंबल घाटी को पीली क्रांति ने सुनहरी वादियों में तब्दील कर दिया है।

डाकुओं की जमीन पर नजर आ रही है पीलिमा लोगो को इस कदर आंनदित कर रही है कि इटावा से ग्वालियर का सफर तय करने वाले लोग सड़क किनारे खडे होकर अपने अपने फोटो खिंचवा करके खुश हो जा रहे है।

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