Sunday - 14 January 2024 - 11:57 AM

कोरोना वायरस के हॉटस्पॉट बन रहे माइनिंग साइट्स

  • 18 देशों के 4000 खनन मजदूरों में मिला कोरोनावायरस
  •  खतरे को नजरअंदाज कर है यह उद्योग, नहीं है लोगों की जिंदगियों की चिंता
  •  तालाबंदी में भी कई देशों ने खनन को ‘आवश्यक’ घोषित करके खनन का काम जारी रखा था

जुबिली न्यूज डेस्क

कोरोना वायरस का नया हॉटस्पॉट अब माइनिंग साइट्स बनते जा रहे हैं। दुनिया भर के 18 देशों की 61 खानों में काम करने वाले करीब 4000 खनन मजदूर कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं।

जब दुनिया भर के देश कोरोना का संक्रमण रोकने के लिए तालाबंदी किए हुए थे, उस समय भी कई देशों में माइनिंग कंपनियों ने खनन को ‘आवश्यक’ घोषित करके खनन का काम जारी रखा था। इसका नतीजा यह हुआ है कि अब यह साइट्स कोरोना संक्रमण के हॉटस्पॉट बनते जा रहे हैं। अपने फायदे के लिए इन कंपनियों ने न सिर्फ उन माइंस में काम करने वालों की जिंदगियों को खतरे में डाला, बल्कि माइंस के आसपास के इलाकों में भी संक्रमण के फैलने का खतरा बढ़ गया।

ये भी पढ़े: इन नियमों के साथ खोले जा सकते हैं स्कूल

ये भी पढ़े: तो क्या कलपुर्जा कंपनियों से बड़ी संख्या में जाएगी नौकरी

यह खुलासा एक नयी रिपोर्ट में हुआ है। इस रिपोर्ट को माइनिंग वाच नामक संस्था ने कंसोर्टियम ऑफ इंटरनेशनल आर्गेनाईजेशन के साथ मिलकर तैयार किया है। इस रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि खनिकों के जरिये माइंस के आसपास के इलाकों में कोरोनावायरस के फैल सकता है।

रिपोर्ट में माइनिंग कंपनियों की मंशा पर भी सवाल उठाया गया है। रिपोर्ट में कई उदाहरण के जरिए इस बात को भी स्पष्ट किया ही कि किस तरह यह माइनिंग कंपनियां कोरोना वायरस की आड़ में अपने खिलाफ हो रहे विरोधों को दबाकर ज्यादा से ज्यादा माइनिंग को बढ़ावा दे रहीं हैं, जिससे भविष्य में वो ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमा सकें।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि ये माइनिंग कंपनियां महामारी का उपयोग अपनी धूमिल छवि को साफ सुथरा दिखाने के लिए कर रही हैं, साथ ही वो मौके का फायदा उठाकर नियमों में भी बदलाव के लिए दबाव डाल रही हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर की 61 खानों में जो कोरोना वायरस के संक्रमण मिले हैं उनमें से करीब एक तिहाई माइनिंग कंपनियां कनाडा की हैं, जिनमें करीब 500 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। वहीं इन लोगों सेे 175 लोगों में वायरस फैला है।

यदि कोरोना संक्रमण से जुड़े आंकड़ों पर गौर करें तो सबसे ज्यादा पौलेंड में मामले सामने आए हैं। यहां 1476 लोग कोरोना संक्रमित हुए हैं। इसके बाद रूस में 868, पेरू में 755, साउथ अफ्रीका में 224 और ब्राजील में 208 मामले सामने आये हैं।

इसके अलावा पनामा (106), इंडोनेशिया (102), चेक रिपब्लिक (82), कनाडा (74), मेक्सिको (54), चिली (16), इक्वेडोर (10), माली (10), अमेरिका (10), अर्जेंटीना (3), घाना (1), बुर्किना फासो (1), कोलंबिया (1) में भी कोरोना के मामले सामने आये हैं।

ये भी पढ़े: अस्पतालों के चक्कर लगाती रही गर्भवती, नहीं पसीजे धरती के भगवान, हुई मौत

ये भी पढ़े: लॉकडाउन में 3 फुट के दूल्हे काे मिली मनपसंद दुल्हन

यह विश्लेषण फील्ड रिपोर्टस, 500 से ज्यादा मीडिया रिपोर्ट की समीक्षा और सिविल सोसाइटी के बयानों और उनके विश्लेषण पर आधारित है।

रिपोर्ट के मुताबिक माइनिंग साइट्स में कोरोना के मामले आने के बाद न केवल खनिकों बल्कि आसपास के इलाकों में भी कोरोनावायरस के फैलने का खतरा बढ़ गया है। यहां आस-पास रहने वाले लोग पहले से ही इन खानों से हो रहे प्रदूषण के चलते अन्य बीमारियों का दंश झेल रहे हैं।

रिपोर्ट के अनुसार यह जो आंकड़े सामने आये हैं वो बहुत छोटे सैंपल को दिखाते है। जबकि वास्तविकता में यहां इन आंकड़ों से कहीं ज्यादा खनिक कोरोना संक्रमित हो सकते हैं, क्योंकि टेस्ट की कमी, मामलों को रिपोर्ट न किया जाना ऐसे कई कारण हैं जिनके चलते सही आंकड़े सामने नहीं आये हैं।

कंपनिया अपनी छवि सुधारने का कर रही हैं प्रयास

रिपोर्ट में इन कंपनियों की मंशा पर सवाल उठाया गया है। एक ओर ये कंपनियां इस महामारी में खनिकों से काम करा रही है तो वहीं दूसरी ओर सार्वजनिक स्वास्थ्य और कल्याण के लिए पैसे भी दे रही है। दरअसल कल्याण के लिए दान देकर ये अपनी छवि सुधारने का प्रयास कर रही है।

उदाहरण के लिए कनाडा की कंपनी टेक रिसोर्सेज ने सार्वजनिक स्वास्थ्य और कल्याण के लिए करीब 152 करोड़ रूपए देने का वादा किया है। सवाल यह है कि यदि इन्हें लोगों की इतनी फिक्र थी तो तालाबंदी के बीच में भी इन्होंने काम क्यों नहीं बंद किया।

इस रिपोर्ट से अलग जारी एक बयान में, दुनिया भर के 330 से अधिक संगठनों ने खनन को सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग की श्रेणी में रखा है, जो कि सबसे ज्यादा घातक और विनाशकारी उद्योगों में से एक है। उन्होंने माइनिंग पर महामारी के खतरों की अनदेखी करने और महामारी की आड़ में नियमों को कमजोर करके उसका फायदा उठाने का भी आरोप लगाया है। इस रिपोर्ट में कई ऐसे उदाहरणों को शामिल किया गया है जिससे पता चलता है कि कंपनियां माइनिंग प्रभावित लोगों के हितों को अनदेखा कर रही है।

इसके साथ ही ये माइनिंग कंपनियां वो गैरजरुरी और पर्यावरण के लिए हानिकारक प्रोजेक्ट्स को आगे बढ़ाने के लिए नियमों में बदलाव करने का भी दबाव डाल रही हैं, जिससे वो लम्बे समय तक उसका लाभ उठा सकें।

रिपोर्ट के अनुसार महामारी की आड़ में उन लोगों को घर पर बंद रहने के लिए मजबूर किया जा रहा है जो जमीन और जल को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन पर हमला किया जा रहा है। साथ ही कानूनी कार्रवाई के साथ-साथ प्रताडि़त भी किया जा रहा है, जिससे इन कंपनियों की माइनिंग का रास्ता साफ किया जा सके।

ये भी पढ़े:  डंके की चोट पर : सिलसिला रुका नहीं तो…

ये भी पढ़े: तो फिर यूएई में आयोजित होगा IPL 2020

 

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com