Sunday - 7 January 2024 - 8:54 AM

लोकसभा उपचुनाव में अखिलेश की राह में इस तरह कांटे बिछा रही हैं मायावती

जुबिली न्यूज़ ब्यूरो

लखनऊ. सिर्फ तीन साल पहले अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने वाली बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती अब अखिलेश यादव के सियासी सफर को मुश्किल बनाने में जुट गई हैं. इसके तहत ही उन्होंने उत्तर प्रदेश में आजमगढ़ और रामपुर संसदीय सीट पर होने वाले उपचुनावों में रामपुर में उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला किया है. आजमगढ़ सीट से शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को मायावती पहले ही अपना उम्मीदवार घोषित कर चुकी हैं. रविवार 29 मई को मायावती ने रामपुर से आज़म खां के करीबी को चुनाव में मदद का एलान कर दिया है. रामपुर और आजमगढ़ समाजवादी पार्टी के गढ़ माने जाते हैं. आजमगढ़ से अखिलेश यादव सांसद थे जबकि रामपुर से मोहम्मद आज़म खां सांसद थे. मायावती ने कहा कि रामपुर में हमारा संगठन अभी मज़बूत नहीं है. वह अपने संगठन को मजबूत करेंगी और रामपुर से अखिलेश यादव से नाराज़ चल रहे आज़म खां के प्रत्याशी की मदद करेंगी.

उत्तर प्रदेश की रामपुर और आजमगढ़ सीटों के लिए उपचुनाव 23 जून को होंगे. रामपुर से विधायक का चुनाव जीतने के बाद आजम खां ने संसद से इस्तीफ़ा दे दिया था, जबकि अखिलेश यादव विधानसभा चुनाव जीतने के बाद के लोकसभा के इस्तीफा दे दिया था. अब तक बसपा राज्य में होने वाले उप चुनाव नहीं लड़ती थी लेकिन सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव को सियासी सबक सिखाने के लिए मायावती ने अब पार्टी के इस पुराने सिद्धांत को बदलते हुए उपचुनाव लड़ने का फैसला किया है. इसके तहत उन्होंने बसपा के जिलाध्यक्षों को पार्टी मुख्यालय में बुलाकर बैठक की और यूपी की दो संसदीय सीटों में से आजमगढ़ सीट से शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को चुनाव लड़ाने का फैसला किया. और रामपुर में पार्टी प्रत्याशी न उतारने का फैसला किया. रामपुर सीट बसपा कभी जीती नहीं है. ऐसे में यह माना जा रहा है मायावती ने अखिलेश यादव से नाराज चल रहे आजम खां के प्रत्याशी को समर्थन देने का मन बनाया है. इसलिए उन्होंने यह फैसला लिया है, ताकि अखिलेश यादव मजबूर होकर आजम खान के प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारें.

मायावती के आजमगढ़ सीट से शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को चुनाव लड़ाने का फैसला बहुत पहले ही कर लिया था. शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली आजमगढ़ में बड़े कारोबारी हैं. वह बसपा के पुराने नेता हैं. विधानसभा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों में वह उत्तर प्रदेश के सबसे अमीर प्रत्याशी थे. वर्ष 2012 और 2017 में बसपा से उन्होंने मुबारकपुर सीट से चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. बीते साल बसपा नेताओं से हुई अनबन के बाद उन्होंने 25 नवंबर 2021 को पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया था. तब बसपा ने एक बयान में कहा था कि गुड्डू जमाली ने अपने निजी स्वार्थ की वजह से पार्टी छोड़ी है.

गुड्डू जमाली ने विधानसभा चुनाव में सपा से टिकट हासिल करने की कोशिश की थी लेकिन नाकाम होने पर उन्होंने बीते विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के टिकट पर मुबारकपुर सीट से चुनाव लड़ा. वह चुनाव तो नहीं जीत पाए लेकिन ओवैसी की पार्टी से यूपी में चुनाव लड़ने वाले अकेले प्रत्याशी थे जिनकी ज़मानत जब्त नहीं हुई थी. चुनाव परिणाम के बाद गुड्डू जमाली फिर बसपा में लौट गए. आजमगढ़ में भी बसपा कोई बहुत मजबूत ताकत नहीं है. फिर भी मायावती गुड्डू जमाली के जरिए समाजवादी पार्टी के गढ़ में अखिलेश यादव को शिकस्त देना चाहती हैं. अपनी इसी मंशा को पूरा करने के लिए उन्होंने गुड्डू जमाली को पार्टी का उम्मीदवार घोषित किया.

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