अविनाश भदौरिया
लोकसभा चुनाव 2019 के चार चरण का चुनाव होने के बाद भी सियासी पंडित असमंजस्य में हैं कि आखिर इसबार कौन देश की सत्ता पाएगा। वैसे तो प्रचार किया जा रहा है कि बीजेपी फिर से बहुमत की सरकार बनाएगी लेकिन खुद बीजेपी के ही नेताओं को भी इस दावे पर भरोसा नहीं है।
पार्टी सूत्रों की माने तो बीजेपी के ही कई नेताओं को लगता है कि 2014 की तरह इस बार सीटों का जीत पाना आसान नहीं है।
गौरतलब है कि बीजेपी के कद्दावर नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी एक वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में कहा है कि यदि भाजपा को 230 या उससे कम सीटें मिलती हैं तो हो सकता है कि नरेंद्र मोदी दोबारा प्रधानमंत्री न बनें।
उन्होंने इसी दौरान एक और बड़ी बात कहकर बसपा सुप्रीमो मायावती की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्वामी की माने तो अगर बीजेपी बहुमत से कम सीटें हासिल करने में सफल नहीं हुई और उसे इसके लिए सहयोगियों की जरुरत पड़ी तो बसपा को भी एनडीए में शामिल किया जा सकता है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अगर मायावती ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाए जाने पर आपत्ति जताई तो नितिन गडकरी को पीएम बनाया जा सकता है।
स्वामी के इस बयान के बाद मायावती को लेकर सियासी गलियारे में तरह-तरह की चर्चा होना शुरू हो गईं हैं। दरअसल यूपी में बसपा-सपा और आरएलडी का गठबंधन एकजुट होकर चुनाव मैदान में है। वहीं इस गठबंधन में कांग्रेस को शामिल नहीं किया गया जबकि चुनाव शुरू होने से पहले महागठबंधन को लेकर कई बैठकें हुईं थी।
कांग्रेस को साथ ना लेने का फैसला मायावती का ही था। वहीं बसपा सुप्रीमों लगातार कांग्रेस पर हमलावर हैं। अगर गौर किया जाए तो मायावती ने बीजेपी से ज्यादा कांग्रेस को अपने निशाने पर रखा हुआ है।
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गुरुवार को ही मायावती ने कांग्रेस पर हमला बोलाते हुए कहा कि कांग्रेस और बीजेपी एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं और कांग्रेस को वोट देना, अपना वोट बर्बाद करना है।
मायावती ने कहा कि कांग्रेस ने हर जगह ऐसे उम्मीदवार खड़े किए हैं जिससे कि महागठबंधन के प्रत्याशी को नुकसान पहुंचे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस बीजेपी की तरह ही नकली आंबेडकरवादी है।
इसके पहले बीएसपी सुप्रीमो ने मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस को जारी समर्थन पर फिर से विचार करने की धमकी दी थी। वहीं मायावती अपने ट्विटर के जारिए भी कई बार कांग्रेस के खिलाफ लिख चुकी हैं।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि मायावती चीनी मिल मामले में सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर को लेकर डरी हुई हैं और वह चुनाव परिणाम आने के बाद अखिलेश का साथ छोड़कर बीजेपी के साथ जाएगी।
वहीं इस विषय पर जब बसपा और भाजपा के नेताओं से बातचीत करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने कोई भी जवाब नहीं दिया। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि कहीं ना कहीं मायावती के बीजेपी के साथ जाने वाली बातें सही हो सकती हैं।