Friday - 5 January 2024 - 2:53 PM

तो क्या शरद पवार 2022 में एनडीए से राष्ट्रपति उम्मीदवार होंगे

न्यूज डेस्क

राजनीति में कुछ भी संभव हैं। राजनीतिक इतिहास अनेकों उदाहरणों से भरा पड़ा है जब साम, दाम और दंडभेद से रातोंरात तख्ता पलट दिया गया। महाराष्ट्र की राजनीति में 23 नवंबर को बीजेपी ने जो किया वह अनोखा नहीं है। इसीलिए कहा जाता है कि राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है। ऐसे ही यह भी संभव है कि 2022 में एनसीपी प्रमुख शरद पवार एनडीए से राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाए जाए।

शरद पवार एनडीए की ओर से राष्ट्रपति के उम्मीदवार होंगे, यह भविष्यवाणी संघ परिवार पर 43 किताबें लिख चुके नागपुर के संघ विचारक दिलीप देवधर ने की है। देवधर की भविष्यवाणी कितनी सच होगी यह तो 2022 में पता चलेगा लेकिन राजनीति में कुछ भी हो सकता है इसलिए इसे अनदेखा भी नहीं किया जा सकता।

संघ विचारक दिलीप देवधर ने महाराष्ट्र के पूरे राजनीतिक घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए दावा किया है कि महाराष्ट्र में 23 नवंबर को बीजेपी की सरकार गठन में शरद पवार की भी मौन सहमति है। उन्होंने कहा कि भाजपा उन्हें 2022 में एनडीए की तरफ से राष्ट्रपति का दावेदार बनाकर इनाम भी दे सकती है।

इतना ही नहीं संघ विचारक देवधर ने पवार की बेटी सुप्रिया सुले के जल्द मोदी कैबिनेट का हिस्सा बनने की भी भविष्यवाणी की है। देवधर कहते हैं संघ भी एनसीपी के एक धड़े के साथ सरकार बनाने से खुश है। शिवसेना के अडिय़ल रवैये से संघ पदाधिकारी भी नाराज हैं। भाजपा में किसी बाहरी के आने से पार्टी के नेताओं को भले ही दिक्कत होती हो, मगर संघ अपने परिवार में बाहरियों के आने का हमेशा स्वागत करता है। वजह यह है कि संघ को इसमें विस्तार दिखता है।

शरद पवार के बारे में देवधर कहते हैं कि चुनाव नतीजे आने के बाद आप पवार के किसी बयान में भाजपा को लेकर जरा भी आक्रामकता नहीं पाएंगे। वह सियासत के बहुत चतुर खिलाड़ी हैं।

संघ विचारक ने कहा, “जिस प्रकार बिहार में राजद के साथ असहज दिख रहे नीतीश कुमार को एनडीए में लाने का इनाम तत्कालीन राज्यपाल रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति के रूप में मिला, उसी तरह से महाराष्ट्र सरकार गठन में मौन सहमति का इनाम शरद पवार को राष्ट्रपति बनाकर भाजपा दे सकती है।”

यदि पवार की मौन सहमति है तो अजित पवार को विधायक दल के नेता पद के साथ क्यों हटाया? इस सवाल पर दिलीप देवधर कहते हैं, “गठबंधन धर्म का पालन करते दिखने के लिए कुछ तो दिखावा करना ही पड़ेगा। याद रखना चाहिए कि सोनिया इटली की हैं- यही कहते हुए शरद पवार ने कभी कांग्रेस तोड़कर एनसीपी बनाई थी।”

देवधर, पवार की सियासी चतुराई का एक और उदाहरण देते हैं। उन्होंने बताया कि 2014 में शरद पवार ने बिना किसी शर्त के भाजपा को समर्थन देकर उसकी सरकार बनवा दी थी। भाजपा ने तब उनसे समर्थन भी नहीं मांगा था, जिससे शिवसेना की मोल-भाव करने की ताकत ही खत्म हो गई। बाद में शिवसेना गठबंधन करने को मजबूर हो गई थी। अंतर बस इतना है कि इस बार शरद पवार नए फॉमूर्ले के साथ बीजेपी की सरकार बनाने में परदे के पीछे से मदद कर रहे।

देवधर कहते हैं, “शरद पवार महाराणा प्रताप नहीं बल्कि छत्रपति शिवाजी को आदर्श मानते हैं। महाराणा प्रताप कहते थे- प्राण जाई पर वचन न जाई, जबकि शिवजी कहते थे- सिर सलामत तो पगड़ी पचास। शरद पवार को भी मालूम है कि महाराष्ट्र में अधिकतम 40 से 60 के बीच ही उनकी पार्टी सीटें जीत सकती है।

देवधर ने कहा कि पवार जानते हैं कि कांग्रेस का भविष्य फिलहाल भाजपा की तरह चमकदार नहीं है। ऐसे में उन्हें कांग्रेस के बजाए बीजेपी के साथ जाने में ज्यादा फायदा है। भाजपा के साथ जाकर कांग्रेस और शिवसेना को कमजोर करने की रणनीति पर भी वह काम कर सकते हैं।”
पिछले राजनीतिक घटनाक्रम का जिक्र करते हुए देवधर कहते हैं कि राज्यपाल ने 12 नवंबर को एनसीपी को रात आठ बजे तक सरकार बनाने के लिए दावा करने का समय दिया था तो शरद पवार को दोपहर साढ़े बारह बजे ही राज्यपाल को पत्र लिखकर यह सूचना देने की क्या जरूरत पड़ गई कि संख्या बल पूरा नहीं हो रहा और उन्हें तीन दिन चाहिए।

उन्होंने कहा कि उसी दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को विदेश भी जाना था। ऐसे में दिन में ही राज्यपाल कोश्यारी ने राष्टï्रपति शासन की सिफारिश भेज दी और विदेश जाने से पहले ही प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने उसे मंजूरी भी दे दी। यहीं से शरद पवार के रुख से कई संकेत मिलते हैं।

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