Sunday - 7 January 2024 - 8:56 AM

महामारी के इस दौर में डॉक्टरों की तरफ भी तो देखिये

जुबिली न्यूज़ ब्यूरो

लखनऊ. कोरोना महामारी ने जहां अस्पतालों को भर दिया है. श्मशानों और कब्रिस्तानों के बाहर लाशों की लाइन लगवा दी है वहीं कोरोना से संक्रमित मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टर किन स्थितियों से जूझ रहे हैं इस पर सोचने की किसी के पास फुर्सत नहीं है.

देश की राजधानी दिल्ली के मैक्स अस्पताल में कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे 33 साल के डॉ. विवेक राय ने 30 अप्रैल की रात अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. इस प्रतिभाशाली डॉक्टर ने अपनी जान महज़ इसलिए दे दी क्योंकि वह चाहकर भी अपने सभी मरीजों की जान बचा नहीं पा रहे थे.

कहीं आक्सीजन नहीं, कहीं ज़रूरी इंजेक्शन नहीं, कहीं ज़रूरी दवाइयाँ नहीं. मरीजों को देखने की फुर्सत भी नहीं क्योंकि मरीजों की संख्या बहुत ज्यादा. विवेक इस उलझन से जूझ रहे थे की आखिर वह डॉक्टर होकर भी अपने सभी मरीजों को बचा क्यों नहीं पा रहे हैं.

वहीं दूसरी तरफ कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे एक और डॉक्टर की तस्वीर भी हमारे सामने है. पुणे के संजीवनी अस्पताल में कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे डॉ. मुकुंद के पिता की कोरोना से मौ हो चुकी है. माँ और भाई भी संक्रमित हैं और ज़िन्दगी के लिए संघर्ष कर रहे हैं. परिवार में इतनी बड़ी मुसीबत के बावजूद डॉ. मुकुंद रोजाना अस्पताल आ रहे हैं और अपने मरीजों की जान बचाने में रात-दिन एक किये हुए हैं.

यह भी पढ़ें : अब यूपी में ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए आवेदन के साथ ही मिलेगी अनुमति

यह भी पढ़ें : कोरोना से बचना है तो कम्प्लीट शटडाउन करना होगा

यह भी पढ़ें : ताइवान और उज्बेकिस्तान से भारत आई आक्सीजन

यह भी पढ़ें : पश्चिम बंगाल में AIMIM फ्लाप, सभी उम्मीदवारों की ज़मानत जब्त

डॉ. मुकुंद संजीवनी अस्पताल में डायरेक्टर हैं. वो चाहें तो अपने परिवार पर अपना ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं लेकिन वह कहते हैं कि देश की हालत बहुत नाज़ुक है. यह वक्त आराम करने का नहीं है. अस्पतालों में न बेड हैं, न आक्सीजन है, न दवाईयां हैं. हम मरीजों का दर्द देख नहीं पा रहे हैं लेकिन हालात से डरकर भाग भी नहीं सकते. अपनी सामर्थ्य भर तो कोशिश हम करेंगे ही.

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com