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यादव लैंड की इन 10 सीटों पर मतदान शुरू, कई दिग्गजों की किस्मत दांव पर

लोकसभा चुनाव 2019 के तीसरे चरण के लिए आज देश भर की 117 सीटों पर मतदान हो रहा है। इस चरण में गुजरात और केरल की सभी सीटों पर वोट डाले जा रहे हैं। इस चरण में प्रमुख उम्मीदवारों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अध्यक्ष अमित शाह, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, मुलायम सिंह, वरुण गांधी और कई केंद्रीय मंत्री शामिल हैं। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। दूसरी ओर मैनपुरी से सपा संरक्षक मुलायम सिंह अपना आखिरी चुनाव लड़ रहे हैं। पहली बार कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी दक्षिण की वायनाड सीट से चुनावी मैदान में हैं।

सात चरणों में से सबसे बड़े इस चरण में यूपी के 10 सीटों पर वोट जा रहे हैं। मुरादाबाद, रामपुर, संभल, फिरोजाबाद, मैनपुरी, एटा, बदायूं, आंवला, बरेली और पीलीभीत में मतदान होंगे। इन दस सीटों में से नौ सीटें यादव बाहुल्‍य क्षेत्र की हैं।

मुरादाबाद में मुकाबला त्रिकोणीय

मुरादाबाद लोकसभा सीट किसी एक पार्टी का गढ़ नहीं रही है। यहां के मतदाता कांग्रेस, लोकदल, जनता दल, जनसंघ, लोकतांत्रिक कांग्रेस, जनता पार्टी, सपा और बीजेपी सभी के प्रत्याशियों को जिता चुके हैं। 2014 में मोदी लहर की बदौलत यहां पहली बार कमल खिला था। 2009 में पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद अजहरुद्दीन के आने से यह सीट सुर्खियों में आई थी, जो यहां से जीतकर संसद पहुंच थे। 2004 में यह सीट सपा के पास थी।

इस बार बीजेपी ने वर्तमान सांसद सर्वेश सिंह पर फिर दांव खेला है। कांग्रेस ने यहां युवा शायर इमरान प्रतापगढ़ी को मैदान में उतारा है। गठबंधन से सपा ने एक बार फिर डॉ. एस.टी. हसन को प्रत्याशी बनाया है। यहां फिलहाल मुकाबला त्रिकोणीय नजर आ रहा है। बीजेपी उम्मीदवार के लिए नरेंद्र मोदी और अमित शाह यहां रैली कर चुके हैं। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी यहां जनसभा कर चुके हैं।

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रामपुर में आजम-जया

रामपुर में सपा नेता और महागठबंधन के प्रत्‍याशी आजम खान और बीजेपी नेता जया प्रदा के बीच मुकाबला है। रामपुर में करीब 51 फीसदी वोटर मुस्लिम हैं। बीजेपी ने यहां पूरी ताकत झोंक दी है। बीजेपी को यहां अपने परंपरागत वोटों के साथ ही मुस्लिम व दलितों में सेंधमारी की उम्मीद है।

गठबंधन को मुस्लिमों के साथ 9 फीसदी जाटव और 3 फीसदी यादव वोटरों का भरोसा है. कांग्रेस ने बिलासपुर से दो बार विधायक रहे अजय कपूर को प्रत्याशी बनाया है। उन्हें कांग्रेस के परंपरागत मतों के साथ ही आजम विरोधी मुस्लिम वोटों का भरोसा है।

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संभल में बीजेपी-सपा

संभल में बीजेपी के परमेश्वर लाल सैनी और गठबंधन से सपा के प्रत्याशी डा. शफीकुर्रहमान बर्क के बीच कांटे की टक्कर है। मुस्लिम बहुल इस सीट पर अनुसूचित जाति के मतों की भूमिका निर्णायक होगी।

बसपा अपने परंपरागत वोट बैंक को सपा प्रत्याशी के पक्ष में ट्रांसफर कराने में कामयाब रही तो बीजेपी के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो जाएगी। दोनों दलों ने एससी मतदाताओं को रिझाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है।

सपा की मजबूत पकड़ वाली इस सीट पर 2014 की मोदी लहर में संभल से पहली बार भाजपा का खाता खोलकर सत्यपाल सिंह सैनी चुनावी आश्चर्य बने थे। इस जीत ने भाजपा का मनोबल बढ़ाया है। सत्यपाल के बजाए भाजपा ने इस बार परमेश्वर लाल सैनी को मैदान में उतारा है। जो बसपा से एमएलसी रह चुके हैं।

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फिरोजाबाद में रोचक होगी यादव परिवार के बीच जंग

फिरोजाबाद लोकसभा सीट पर मुलायम परिवार की दूसरी पीढ़ी के नेता अक्षय यादव सांसद हैं। 2014 में मोदी लहर के बीच चुनाव में बड़े अंतर से जीत दर्ज करने वाले अक्षय को इस बार अपने ही चाचा शिवपाल सिंह यादव से कड़ी टक्‍कर मिल रही है।

जाट और मुस्लिम वोटरों के वर्चस्व वाली यह सीट एक बार चर्चा में है। यहां समाजवादी पार्टी और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के संस्थापक शिवपाल यादव के बीच असली लड़ाई है।

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मैनपुरी में मुलायम

मैनपुरी सीट सपा सरंक्षक मुलायम सिंह यादव का गढ़ है। पांचवीं बार वो यहां से मैदान में उतरे हैं। लड़ाई के लिहाज से देखें तो ले देकर विपक्ष के नाम पर केवल बीजेपी है, बाकी आठ छोटी लोकल पार्टियां और निर्दलीय उम्मीदवारों सहित मैनपुरी में कुल 12 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं। महागठबंधन की रायबरेली और अमेठी में रियायत के एवज में कांग्रेस ने मुलायम के खिलाफ उम्मीदवार खड़ा नहीं किया है।

पिछले 24 साल से यहां समाजवादी पार्टी के अलावा किसी और को जीत नसीब नहीं हुई। 2014 में ‘मोदी की हवा’ के बावजूद बीजेपी उम्मीदवार शत्रुघ्न सिंह चौहान न सिर्फ हारे बल्कि उनकी हार का अंतर भी 3 लाख 64 हजार वोटों का था। बीएसपी एक लाख 42 हजार वोटों के साथ तीसरे नंबर पर थी।

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एटा में बीजेपी बनाम महागठबंधन

एटा संसदीय सीट पर 14 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, जिसमें मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राजवीर सिंह उर्फ राजू भईया और समाजवादी पार्टी के देवेंद्र सिंह यादव के बीच है। इस सीट पर कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार खड़ा नहीं किया है। कांग्रेस ने यह सीट राष्ट्रीय जन अधिकार पार्टी (आरजेएपी) के लिए छोड़ी है और आरजेएपी ने सूरज सिंह को मैदान में उतारा है।

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बदायूं में सपा बनाम बीजेपी

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बदायूं लोकसभा क्षेत्र से 9 उम्मीदवार मैदान में हैं। मुख्य मुकाबला सपा के उम्मीदवार धर्मेंद्र यादव और बीजेपी की संघमित्रा मौर्य से है। कांग्रेस ने सलीम इकबाल शेरवानी को मैदान में उतारा है। इनके अलावा 4 उम्मीदवार बतौर निर्दलीय अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।

बदायूं सीट पर यूपी के सबसे मशहूर राजनीतिक घराने मुलायम सिंह के परिवार की मजबूत पकड़ है। इस यादव बहुल सीट पर दशकों से सपा का कब्जा है।

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आंवला में बीजेपी बनाम गठबंधन

आंवला लोकसभा सीट पर 14 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, जिसमें मुख्य मुकाबला बीजेपी के निवर्तमान सांसद धर्मेंद्र कश्यप और बहुजन समाज पार्टी के रुचिविरा से है। कांग्रेस की ओर से कुंवर सर्वराज सिंह चुनावी मैदान में हैं। 9 क्षेत्रीय दलों के नेता भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं जबकि 2 उम्मीदवार तो निर्दलीय ही मैदान में हैं।

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बरेली में त्रिकोणीय मुकाबला

बरेली लोकसभा सीट पर बीजेपी, सपा-बसपा-रालोद गठबंधन और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला नजर आ रहा है। इस क्षेत्र से सात बार सांसद रहे और केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार बीजेपी के टिकट पर चुनवी दंगल में हैं।

संतोष का सीधा मुकाबला गठबंधन के उम्मीदवार भगवत सरन गंगवार से माना जा रहा है। दोनों एक ही बिरादरी से आते हैं। दोनों उम्मीदवार अपनी बिरादरी के मतों पर अपना-अपना दावा जता रहे हैं।

भगवत सरन गंगवार नवाबगंज विधानसभा क्षेत्र से पांच बार विधायक रह चुके हैं। वह कुर्मी मतदाताओं के साथ मुस्लिम और दलित मतदाताओं के बूते मजबूती से चुनावी रण में ताल ठोंक रहे हैं।

कांग्रेस ने इस सीट से पूर्व सांसद प्रवीण सिंह ऐरन को अपना उम्मीदवार बनाया है। वह 2009 के परिणाम को दोहराने की कवायद में जी-जान से जुटे हैं। सभी धर्म और बिरादरी के मतदाताओं पर प्रवीण की अपनी पकड़ है।

प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) ने समन ताहिर को मैदान में उतारकर मुकाबला रोचक बनाने की कोशिश की है। समन नवाबगंज की चेयरमैन शहला ताहिर की बेटी हैं। वह युवा चेहरा हैं और युवाओं के दम पर चुनावी मैदान में ताकत दिखाने की कोशिश कर रहीं हैं।

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गांधी परिवार के गढ़ में वरुण की अग्नि परीक्षा

उत्तर प्रदेश में अमेठी और रायबरेली के अलावा पीलीभीत वो लोकसभा सीट है जिसे देश के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार गांधी परिवार का गढ़ माना जाता है और एक बार फिर यह गांधी परिवार जनता के बीच है। पीलीभीत लोकसभा सीट पर पिछले तीन दशक से इंदिरा गांधी के दूसरे बेटे संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी और बेटे वरुण गांधी का ही राज रहा है। पिछली बार मेनका गांधी ने यहां से चुनाव लड़ा था और इस बार उनके बेटे वरुण गांधी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।

पीलीभीत लोकसभा सीट पर इस बार कुल 13 उम्मीदवार मैदान में हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला बीजेपी के वरुण गांधी, समाजवादी पार्टी के हेमराज वर्मा और जनता दल यूनाइटेड के डॉक्टर भरत के बीच है। यहां से 6 निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में हैं. बीजेपी ने इस बार लोकसभा चुनाव में सीटों की अदला-बदली करते हुए मेनका गांधी को पीलीभीत की जगह सुल्तानपुर से जबकि वरुण गांधी को सुल्तानपुर की जगह पीलीभीत से मैदान में उतारा है।

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बताते चलें कि तीसरा चरण में गुजरात की सभी 26, केरल की सभी 20, महाराष्ट्र-कर्नाटक की 14-14, उत्तर प्रदेश की 10, छत्तीसगढ़ की 7, ओडिशा की 6, बिहार-पश्चिम बंगाल की 5-5, असम की चार, गोवा की 2, दादर एवं नगर हवेली की 1, दमन व दीव की एक सीट शामिल हैं।

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