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Lok Sabha Election : जानें पीलीभीत लोकसभा सीट का इतिहास

पॉलिटिकल डेस्क

पीलीभीत उत्तर प्रदेश का लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है। पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र को बांसुरी नगरी भी कहते हैं, क्योंकि यहां देश भर में बनने वाली कुल बांसुरियों में लगभग 95 प्रतिशत बांसुरी यहीं पर बनती है। पीलीभीत जिले का नगर पालिका बोर्ड पीलीभीत शहर है। यह जिला उप हिमालयन पठार के रोहिलखंड क्षेत्र में बसा हुआ है।

ऐसा कहा जाता है कि पीलीभीत की मिट्टी पीली होने के कारण यहां का नाम पीलीभीत रखा गया है। इसे बरेली से अलग कर 1879 में एक अलग जिला बनाया गया था।
भारत सरकार द्वारा किये गये एक आंकलन के अनुसार पीलीभीत की जनसंख्या का 45.23 प्रतिशत भाग गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहा है। तेजी से बढती जनसंख्या और बेरोजगारी यहां की मुख्य समस्या है।

भारत सरकार द्वारा जारी की गयी क्रम में, व्यक्तिगत सफाई एवं स्वच्छता के मामले में, पीलीभीत 423 शहरों में नीचे से तीसरे स्थान पर है। 22 जिले में पीलीभीत एकलौता ऐसा क्षेत्र है जिसमें जंगली क्षेत्र है, जिसकी वजह से पीलीभीत भौगोलिक और राजनीतिक आकर्षण केंद्र है।

आबादी/ शिक्षा

पीलीभीत का कुल क्षेत्रफल 3,504 वर्ग किलोमीटर है। इस क्षेत्र में 2,031,007 लोग रहते हैं जिसमें 1,027,002 पुरुष और 959,005 महिलाएं हैं। यहां पर प्रति 1000 पुरुषों पर 889 महिलाएं हैं। यहां जनसंख्या घनत्व 551 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है।

पीलीभीत की औसत साक्षरता दर 63.58 प्रतिशत है। यहां की पुरुष साक्षरता दर 73.46 प्रतिशत है, और महिला साक्षरता दर 52.43 प्रतिशत है। वर्तमान में यहां मतदाताओं की कुल संख्या 1,671,154 है जिसमें महिला मतदाता 767,687 और पुरुष मतदाता की संख्या 903,414 है।

राजनीतिक घटनाक्रम

पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत बहेड़ी, बरखेड़ा, बीसलपुर, पीलीभीत और पूरनपूर विधानसभा आती है जिसमें पूरनपुर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।
पीलीभीत में पहली बार 1952 में लोकसभा चुनाव हुआ जिसमें  कांग्रेस के नेता मुकुंद लाल अग्रवाल विजयी हुए और पीलीभीत के पहले सांसद बने।

दूसरे लोकसभा चुनाव में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के मोहन स्वरुप ने जीत हासिल की और इस सीट पर लगातार 4 बार जीते। छठी लोकसभा चुनाव में भारतीय लोकदल के मोहम्मद शमशुल हसन खान ने कब्जा जमाया लेकिन 1977 के चुनाव में कांग्रेस ने वापसी की और कांग्रेस नेता हरीश कुमार गंगवार यहां से सांसद चुने गए। अगले चुनाव में भी कांग्रेस ने ही बाजी मारी।


1989 लोकसभा चुनाव में पीलीभीत का राजनीतिक समीकरण बदल गया। जनता दल के टिकट पर मेनका गांधी मैदान में उतरी और विजयी रही। मेनका गांधी पीलीभीत से 6 बार सांसद चुनी गई। वर्तमान में मेनका गांधी यहां से सांसद है।

1991 के चुनाव में मेनका गांधी को हरा कर भारतीय जनता पार्टी के परशुराम गंगवार पीलीभीत के सांसद बने थे। इसके बाद लगातार ये सीट मेनका गांधी के ही पास रही पर 1989 और 1996 में जनता पार्टी से टिकट लेने के बाद उन्होंने पार्टी छोड़ दी।

1998 और 1999 में निर्दलीय जीतने के बाद मेनका गांधी भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गयी। 2009 लोकसभा चुनाव में मेनका की जगह वरुण गांधी ने यहां से चुनाव लड़े और विजयी हुए। 2014 के चुनाव में मेनका गांधी इस सीट से चुनाव लड़ी और विजयी रही। मेनका गांधी केंद्र की महिला
एवं बाल कल्याण मंत्री भी हैं। मेनका गांधी यहां से 6 बार सांसद बन चुकी हैं।

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