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Lok Sabha Election : जानें मथुरा लोकसभा सीट का इतिहास

पॉलिटिकल डेस्क

मथुरा उत्तर प्रदेश प्रान्त का एक जिला है। मथुरा एक ऐतिहासिक एवं धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। लंबे समय से मथुरा प्राचीन भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता का केंद्र रहा है। भारतीय धर्म, दर्शन कला एवं साहित्य के निर्माण तथा विकास में मथुरा का महत्वपूर्ण योगदान सदा से रहा है। आज भी महाकवि सूरदास, संगीत के आचार्य स्वामी हरिदास, स्वामी दयानंद के गुरु स्वामी विरजानंद, कवि रसखान आदि महान आत्माओं से इस नगरी का नाम जुड़ा हुआ है। मथुरा को श्रीकृष्ण जन्म भूमि के नाम से भी जाना जाता है।
मथुरा का इतिहास काफी रोचक है। शूरसेन देश की यहां राजधानी थी। पौराणिक साहित्य में मथुरा को अनेक नामों से संबोधित किया गया है जैसे- शूरसेन नगरी, मधुपुरी, मधुनगरी, मधुरा आदि। मथुरा हिन्दुओं के तीर्थ स्थलों में से एक है। हिन्दू मान्यता है कि मथुरा यदु वंश में जन्मे भगवान कृष्ण की जन्मस्थली है। यह शहर हिन्दुओं की 7 पवित्र शहरों में से एक है, इसलिए इसे सप्त पूरी कहते है। यहां एक बहुत पुराना केशव देव का मंदिर है। यह वहीं पर बना है जहां श्री कृष्णा का जन्म हुआ था, यानि भूमिगत कारागार के नीचे।

आबादी/ शिक्षा

मथुरा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत 5 विधान सभा क्षेत्र आते हैं जिनमें छाता, मांट, गोवर्धन, मथुरा और बलदेव (अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित) शामिल है। मथुरा जिला 3,709 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। 2011 की जनगणना के अनुसार मथुरा की जनसंख्या 2,541,894 है। यहां की औसत साक्षरता दर 72. 65 प्रतिशत है जिसमें पुरुष साक्षरता दर 84.39 प्रतिशत है और महिला साक्षरता दर केवल 54.73 प्रतिशत है। वर्तमान में यहां कुल मतदाताओं की संख्या 1,682,260 है जिनमें महिला मतदाता 750,142 और पुरुष मतदाता की संख्या 931,944 है।

राजनीतिक घटनाक्रम

मथुरा में 1952 में पहला चुनाव हुआ जिसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस विजयी हुई। दूसरे चुनाव में यहां से निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी, लेकिन उसके बाद 1962 से 1977 तक लगातार तीन बार कांग्रेस पार्टी ने यहां जीत दर्ज की। 1977 में चली सत्ता विरोधी लहर में कांग्रेस को यहां से हार का सामना करना पड़ा और भारतीय लोकदल ने जीत हासिल की।
1980 में जनता दल ने यहां से चुनाव जीता, लेकिन 1984 में कांग्रेस ने एक बार फिर यहां से जोरदार जीत हासिल की। इस जीत के साथ ही कांग्रेस के लिए यहां लंबा वनवास शुरू हुआ और 1989 में जनता दल के प्रत्याशी ने यहां जीत दर्ज की। इसके बाद यहां लगातार 1991, 1996, 1998 और 1999 लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की। इस दौरान चौधरी तेजवीर सिंह लगातार 3 बार यहां से चुनाव जीते। हालांकि, 2004 में कांग्रेस के मानवेंद्र सिंह ने यहां से वापसी की। 2009 में बीजेपी के साथ लड़ी रालोद के जयंत चौधरी ने यहां से एकतरफा बड़ी जीत दर्ज की, लेकिन 2014 में चली मोदी लहर में अभिनेत्री हेमा मालिनी ने 50 फीसदी से अधिक वोट पाकर जीत दर्ज की।

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