Friday - 12 January 2024 - 2:40 AM

तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर इसलिए जरूरी है लाइसेंस

जुबिली स्पेशल डेस्क 

लखनऊ।  फ्रेमवर्क फॉर इंप्लीमेंटेशन ऑफ टोबैको वेंडर लाइसेंसिंग इन इंडिया (भारत में तंबाकू विक्रेताओं के लिए लाइसेंसिंग लागू करने की संरचना) शीर्षक से आज जारी एक रिपोर्ट में इस बात को रेखांकित किया गया है कि तंबाकू उत्पादों की बिक्री के लिए सभी थोक और खुदरा विक्रेताओं के पास लाइसेंस होने चाहिए।

ये लाइसेंस उस परिसर में प्रमुखता से प्रदर्शित होने चाहिए जहां तंबाकू और तंबाकू उत्पादों की बिक्री होती है तथा इनका हर साल नवीकरण होना चाहिए।

भारत के लोगों को तंबाकू और आदत पड़ने वाले इसके उत्पादों के नुकसान से बचाने के लिए तंबाकू की उपलब्धता या तंबाकू उत्पादों तक पहुंच को नियंत्रित करने के लिए तंबाकू विक्रेताओं की लाइसेंसिंग जरूरी है।

रिपोर्ट के अनुसार, सिगरेट, बीड़ी और खैनी जैसे उत्पादों की बिक्री करने वालों के लिए लाइसेंसिंग की व्यवस्था किए जाने से तंबाकू नियंत्रण कानून और नीतियों को आसानी से लागू किया जा सकेगा।

नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी (एनएलएसआईयू) के द चेयर ऑन कंज्यूमर लॉ एंड प्रैक्टिस (उपभोक्ता कानून और व्यवहार पर चेयर) द्वारा जारी इस रिपोर्ट में भारत में तंबाकू उत्पादों के निर्माण, बिक्री और उपयोग को नियंत्रित करने और वेंडर लाइसेंसिंग की अवधारणा का विश्लेषण किया गया है।

इसमें भारत के भिन्न राज्यों और शहरों में विक्रेताओं के लिए अपनाए गए लाइसेंसिंग के व्यवहार और प्रक्रिया की जांच की गई है।

इस रिपोर्ट में तंबाकू विक्रेताओं के लिए लाइसेंसिंग के एक मॉडल फ्रेमवर्क का प्रस्ताव है जो मौजूदा कानूनों और वैश्विक सर्वश्रेष्ठ व्यवहारों के अनुपालन में है।

ये भी पढ़े : भारत बंद आज, किसान मोर्चे ने भी किया समर्थन

ये भी पढ़े : क्या नीरव मोदी को भारत ला पाएगी मोदी सरकार

यही नहीं, इसमें तंबाकू नियंत्रण पर वैश्विक जन स्वास्थ्य संधि और विश्व स्वास्थ्य संगठन के फ्रेमवर्क कनवेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल (डब्ल्यूएचओ एफसीटीसी) के तहत विनिर्दिष्ट दिशानिर्देशों का भी ख्याल रखा गया है।

राज्य/नगर निगम के स्तर पर एक नियामक रुख के रूप में तंबाकू विक्रेता लाइसेंसिंग एक व्यापक उपाय है जो चाहे गए लिहाज से बेहद प्रभावी हो सकता है।

सुझाए गए वेंडर लाइसेंसिंग मॉडल फ्रेमवर्क का उपयोग ढेर सारी नीतियों को लागू करने के लिए किया जा सकता है। इनका मकसद खुदरा बिक्री के माहौल में तंबाकू उत्पादों तक पहुंच कम करना है। इस तरह स्थानीय निकायों के लिए यह एक जोरदार बुनियादी नियामक साधन होगा।

वैसे तो भारत में तंबाकू नियंत्रण पर नियम आदि कोपटा के तहत लागू होते हैं पर अन्य कानून भी है जिनका तंबाकू उपयोग को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी उपयोग किया जा सकता है।

तंबाकू विक्रेताओं की लाइसेंसिंग से राज्य सरकारों और नगर निगमों को यह अनूठा मौका मिलता है कि वे भिन्न कानूनों का प्रभावी और समन्वित ढंग से लागू करा सकें और यह स्थानीय निकायों की सक्रिय भागीदारी से संभव होता है।

कंज्यूमर लॉ एंड प्रैक्टिस, बेंगलुरु के चेयर, एनएलएसआईयू में प्रोफेसर ऑफ लॉ / रिसर्च हेड प्रो. (डॉ.) अशोक आर पाटिल ने कहा, “तंबाकू उपयोग के नुकसानदेह प्रभाव अच्छी तरह जाने पहचाने हैं और दुनिया भर में स्वीकार किए जाते हैं।

इस रिपोर्ट के जरिए एनएलएसआईयू ने तंबाकू उत्पादों की बिक्री लाइसेंस वाले विक्रेताओं के जरिए करने के एक मॉडल कानूनी ढांचे की सिफारिश की है जो मौजूदा कानूनों और वैश्विक सर्वश्रेष्ठ व्यवहारों पर आधारित है।

हम उम्मीद करते हैं कि राज्य और नगर निगम इन सिफारिशों पर विचार करेंगे ताकि भारत के लोगों और खासकर बच्चों तथा युवाओं को इन घातक उत्पादों से बचाने पर विचार करेंगे।

हम उम्मीद करते हैं कि राज्य सरकार और नगर निगम इन सिफारिशों को मानेंगे। एनएलएसआईयू रिपोर्ट के मॉडल टोबैको वेंडर लाइसेंसिंग फ्रेमवर्क के अनुसार: सभी तंबाकू विक्रेता वे खुदरा विक्रेता हों या थोक विक्रेता, के पास लाइसेंस होना चाहिए जो 12 महीने की अवधि के लिए वैध होगा।

लाइसेंस ऐसा होना चाहिए जो किसी को जिम्मेदारी सौंपने वाला या हस्तांतरित करने योग्य न हो तथा इसका हर साल नवीकरण किया जाना चाहिए।

लाइसेंस पाने के सभी आवेदकों को तंबाकू नियंत्रण से संबंधित कानून का पालन करना होगा; तंबाकू लाइसेंस उन्हीं विक्रेताओं को दिए जाने चाहिए जो सिर्फ तंबाकू उत्पादों की बिक्री करते हों तथा इसके साथ गैर तंबाकू उत्पादों जैसे टॉफी, कैंडी, चिप्स, बिस्कुट आदि की बिक्री प्रतिबंधित रहेगी।

तंबाकू की बिक्री से संबंधित सभी लाइसेंस तंबाकू की बिक्री में लगे पूरे परिसर में प्रमुखता से प्रदर्शित किए जाने चाहिए; लाइसेंस की शर्तों के उल्लंघन का जुर्माना धीरे-धीरे बढ़ना चाहिए और आगे बढ़कर लाइसेंस स्थगित करना तथा आखिरकार रद्द कर दिया जाना चाहिए।

“तंबाकू उत्पादों को युवाओं और बच्चों की पहुंच से दूर रखने के लिए यह आवश्यक है। ऐसा उन्हें मुश्किलों और पीड़ा के जीवन से बचाने के लिए जरूरी है।

आदत में शुमार होने वाले इन उत्पादों की बिक्री, विपणन और उपयोग को नियंत्रित करना भारत में तंबाकू की महामारी को फैलने से रोकने के लिए जरूरी है। खासकर मुश्किल समय में।

अधिकृत लाइसेंस वाली दुकानों / विक्रेताओं के जरिए तंबाकू उत्पादों की बिक्री हो तो वे स्वास्थ्य को बढ़ावा दे सकेंगे और उत्तर प्रदेश के लोगों के स्वास्थ्य, सुरक्षा तथा स्वस्थ रहने को बढ़ावा देने का सरकार का मुख्य काम कर सकेंगे।” – जे पी शर्मा कार्यक्रम समन्वयक, Voluntary Health Association of India.

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों को एक एडवाइजरी लेटर जारी किया है और तंबाकू विक्रेताओं के लिए स्थानीय निकायों के जरिए लाइसेंस की व्यवस्था शुरू करने की सिफारिश की है।

इस एडवाइजरी में कहा गया है कि अनुमति दिए जाने के साथ एक शर्त / प्रावधान शामिल किया जाना उपयुक्त रहेगा कि तंबाकू उत्पाद बेचने की अनुमति पाने वाले गैर तंबाकू उत्पाद जैसे टॉफी, कैंडी, चिप्स, बिस्कुट, शीतल पेय आदि नहीं बेच पाएंगे जो गैर उपयोगकर्ता खासकर बच्चों के लिए होते हैं।

भविष्य की पीढ़ी की रक्षा के लिए आवास और शहरी विकास मंत्रालय ने सभी राज्यों के प्रमुख सचिवों को ऐसी ही एडवाइजरी जारी की है और तंबाकू की खुदरा बिक्री करने वाली नई दुकानें खोलने से बचने की सलाह दी है।

उपरोक्त एडवाइजरी के अनुपालन में अयोध्या, लखनऊ, जयपुर, केरल, कर्नाटक, रांची, पटना, हावड़ा, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड में आवश्यक आदेश जारी किए जा चुके हैं।

इसके तहत किसी भी तंबाकू उत्पाद का विपणन, निर्माण, भंडारण, पैकिंग और प्रोसेसिंग का काम आवश्यक लाइसेंसिंग के तहत ही किया जा सकता है ताकि बच्चों को तंबाकू के संपर्क में आने से बचाया जा सके।

तंबाकू का उपयोग करने वालों की संख्या के लिहाज से भारत दुनिया भर में दूसरे नंबर पर है (268 मिलियन या देश के सभी वयस्कों में 28.6%) – इनमें से 1.2 मिलियन हर साल तंबाकू से संबंधित बीमारियों से मरते हैं। एक मिलियन (10 लाख) मौते धूम्रपान के कारण होती है।

इनमें 200,000 से ज्यादा दूसरों के धुंए के शिकार होते हैं और 35,000 ज्यादा ऐसे लोग होते हैं जो बगैर धुंए वाले तंबाकू के उपयोग के शिकार होते हैं।

भारत में कैंसर के करीब 27% मामले तंबाकू उपयोग के कारण होते हैं। तंबाकू के कारण होने वाली बीमारियों की कुल प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लागत 182,000 करोड़ रुपए है जो भारत के जीडीपी का कारीब 1.8% है।

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com