Thursday - 11 January 2024 - 5:08 PM

जानिये क्यों हो रहा है जल मैराथन का आयोजन

जुबिली स्पेशल डेस्क

अक्सर हम सुनते हैं कि जल ही जीवन है। मौजूदा समय में जल इस धरती का बहुमुल्य संसाधन है। अगर देखा जाये तो जीने का सबसे मजबूत आधार जल है। इतना ही नहीं पृथ्वी पर तीन चौथाई भाग पानी से घिरा हुआ है, लेकिन इसमें से 97 प्रतिशत पानी खारा है। इस वजह से यह पानी पीने लायक नहीं है। इसके साथ ही पीने योग्य पानी की मात्रा केवल 3 प्रतिशत है।

कम होते जल संसाधनों के बीच जल सरंक्षण के लिए जागरुकता का संदेश देने के लिए विश्व जल दिवस के अवसर पर वाटररएड इंडिया द्वारा आयोजित जल मैराथन आगामी 22 मार्च को लखनऊ में पूरी होगी।

विश्व जल दिवस के अवसर पर आयोजित इस मैराथन की शुरुआत 17 मार्च को भदोही से होगी। कुल 290 किलोमीटर की ये मैराथन ख्याति प्राप्त धावक नायब बिंद, साइकिलिस्ट मुरलीधर एवं सुरेंद्र कुमार पूरा करेंगे।

जल को लेकर वाटररएड इंडिया बहुत अच्छा काम कर रही है। इस मैराथन का आयोजन वाटररएड इंडिया करा रही है।

 

इसकी तैयारी को लेकर वाटररएड इंडिया के नार्थ प्रभारी फर्रुख आर खान ने जुबिली टीवी के खास कार्यक्रम एडिटर टॉक में बताया कि पानी की जागरूकता को बढ़ाने के लिए जल मैराथन करायी जा रही है।

इस मैराथन के सहारे लोगों को पानी की अहमियत बतायी जाएगी। उन्होंने बताया कि जल संरक्षण के जागरूकता अभियान के तहत जल मैराथन का आयोजन हो रहा है। इस दौरान उन्होंने बातचीत में बताया कि दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन में कैसे पानी का संकट पैदा हो गया था।

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बता दें कि केपटाउन पूरी तरह वर्षा के जल पर निर्भर रहता है जिससे इस शहर के 6 जलाशय भरते हैं। 2015 से 2017 तक हुए औसत से भी कम वर्षा ने यहां के जलाशयों को सूखे के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है।

फर्रुख आर खान ने आगे कहा कि इसके बाद से लोगों पानी का संकट को समझा और इसको गम्भीरता से लिया। इतना ही नहीं मीडिया में इसको लेकर भी चर्चा होने लगी। इसके बाद बीबीसी ने एक रिपोर्ट जारी की थी और बताया था कि 11 ऐसे शहर है जो पानी के संकट से जूझ रहे हैं।

उनमें भारत का शहर बेंगलुरु भी है। इतना ही नहीं कई जगह में जल संकट से जूझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि सबको साफ पानी मिले और इसके लिए काम भी किया जा रहा है।

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उन्होंने बताया कि वर्षा जल संचयन एवं कुआं तालाबों को रिचार्ज के रूप में किस प्रकार से प्रयोग किया जाए इसकी तकनीकी पर आधारित आईईसी का वितरण तथा मॉडल पर काम किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि जल संरक्षण को लेकर अगर अब भी हम न चेते तो आगामी दिनों में पेयजल की किल्लत का सामना करना पड़ सकता है।

भूजल काफी नीचे जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस मैराथन के सहारे हमलोग भूजल को लेकर लोगों को बतायेंगे। उन्होंने कहा कि इस मैराथन में नायब बिंद अगुवाई कर रहे हैं। उन्होंने नायब बिंद की तारीफ करते हुए कहा कि उन्हें हम जलनायक कहतेे हैं।

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उन्होंने पानी के लिए बहुत काम किया है। इस वजह से इस मैराथन को लीड कर रहे हैं। इस मैराथन से लोगों को बारिश के पानी को कैसे बचाये इस धरती का बहुमुल्य संसाधन जल को बचाने को लेकर लोगों के बीच बातचीत होगी।

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