Friday - 12 January 2024 - 11:16 AM

CJI बोले – कोर्ट ये तय नहीं करेगा कि स्पीकर को क्या करना है

न्‍यूज डेस्‍क

कर्नाटक में पिछले 11 दिन से जो राजनीतिक घटनाक्रम अभी भी जारी है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर फैसला लेने का अधिकार स्‍पीकर पर छोड़ दिया है। कोर्ट में एक लंबी तीखी बहस के बीच सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक मामले पर हो रही सुनवाई के दौरान स्पीकर की तरफ से सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि 11 जुलाई को ही स्पीकर को सभी इस्तीफे मिले। 4 विधायकों ने स्पीकर के सामने पेश हुए बिना ही अपने इस्तीफे सौंप दिए थे। इस पर सीजेआई गोगोई ने कहा कि अगर इस्तीफे के लेटर 6 जुलाई को दे दिए गए थे, तो स्पीकर ने क्या किया?

जिसके जवाब में अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि आप बंदिशे हटाइए, हम कल तक इस्तीफे और अयोग्यता पर फैसला कर लेंगे। साथ ही एक कारण भी देंगे। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि स्पीकर को कुछ हो गया है और वो इस तरह के फैसले ले रहा है। स्पीकर काफी अनुभव वाला व्यक्ति है। अभिषेक मनु सिंघवी की तरफ से अदालत को कहा गया है कि स्पीकर को कुछ समय मिलना चाहिए क्योंकि उन्हें सही तर्कों के साथ इस्तीफों और अयोग्यता पर निर्णय करना है।

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने इस दौरान कहा कि अगर आप इस्तीफे पर फैसला कर सकते हैं, तो करिए। CJI बोले कि जब हमने पिछले साल 24 घंटे में फ्लोर टेस्ट करने का आदेश दिया तो आपने आपत्ति नहीं जताई थी, क्योंकि वो आपके हक में था।

चीफ जस्टिस ने इस दौरान कहा कि हम ये तय नहीं करेंगे कि विधानसभा स्पीकर को क्या करना चाहिए, यानी उन्हें इस्तीफा स्वीकार करना चाहिए या नहीं। हालांकि, हम सिर्फ ये देख सकते हैं कि क्या संवैधानिक रूप से स्पीकर पहले किस मुद्दे पर निर्णय कर सकता है। CJI ने कहा कि कोर्ट ये तय नहीं करेगा कि स्पीकर को क्या करना है।

वहीं दूसरी ओर बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि दोपहर 2 बजे तक स्पीकर को इस्तीफों पर फैसला लेने के निर्देश दिए जाएं और अयोग्य इस्तीफों पर वो बाद में भी फैसला ले सकते हैं।

बागी विधायकों की तरफ से मुकुल रोहतगी ने कहा कि विधायक कोई ब्यूरोक्रेट या कोई नौकरशाह नहीं हैं, जो कि इस्तीफा देने के लिए उन्होंने कोई कारण बताना पड़े। इसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर हम आपकी बात मानें, तो क्या हम स्पीकर को कोई ऑर्डर दे सकते हैं? आप ही बताएं कि ऐसे में क्या ऑर्डर हम दे सकते हैं?  मुकुल रोहतगी ने इस दौरान मध्य प्रदेश, कर्नाटक और गोवा के उदाहरण भी पेश किए।

मुकुल रोहतगी ने केरल, गोवा, तमिलनाडु हाईकोर्ट के कुछ फैसलों के बारे में बताया, जिसमें स्पीकर को पहले इस्तीफे पर विचार करने को कहा गया है और अयोग्य के लिए फैसले को बाद में। उन्होंने कहा कि केरल की अदालत ने तो तुरंत इस्तीफा स्वीकार करने की बात कही थी।

आपको बता दें 18 जुलाई को कर्नाटक की विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होनी है। मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी का दावा है कि उनके पास बहुमत है।

गौरतलब है कि 224 नंबर वाली विधानसभा में अभी कांग्रेस-जेडीएस के पास 100 (विधायकों का इस्तीफा स्वीकार होता है तो), बीजेपी के पास 105+ विधायक हैं।

बता दें कि इस्तीफा देने वाले कांग्रेस और जेडीएस के 16 विधायकों ने स्पीकर द्वारा इस्तीफा स्वीकार ना करने पर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। इसमें से 10 विधायकों ने पहले और बाकी विधायकों ने बाद में अलग से याचिका दायर की थी।

 

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