Sunday - 7 January 2024 - 4:10 AM

‘मध्यांतर’ नाटक में दिखी प्रेम की इंतहा

जुबिली पोस्ट ब्यूरो

लखनऊ। रंगयात्रा नाट्य समारोह की पांचवी संध्या पर ‘थर्ड विंग’ की ओर से बुधवार को नाटक ‘मध्यांतर’ का मंचन वरिष्ठ रंगकर्मी पुनीत अस्थाना के निर्देशन में कैसरबाग के राय उमानाथ बली ऑडिटोरियम में किया गया। नाटक में प्रेम की इंतहा देखने को मिली।

मध्यांतर का मतलब होता है दो के बीच में अंतर। या यूं कहें कि दूरी का पैदा होना मध्यांतर कहलाता है। इस नाटक में भी पति-पत्नी के बीच कुछ समस्याओं को लेकर दूरियां पैदा हो जाती हैं। नाटक के अनुसार सम्बंध में स्वार्थ नहीं समर्पण और त्याग होना चाहिए।

इस नाटक में दर्शकों को उद्वेलित करने वाली अतिरंजना और अति नाटकीयता नहीं दिखी। बल्कि नाटक में महसूस करने वाली संवेदना को प्रमुखता दी गई थी। नाटक में एक ओर जहां छटपटाहट है, आक्रोश है, अपनापन है, विमुखता है तो वहीं दूसरी ओर बेबसी भी है।

जयवर्धन के लिखे इस नाटक के अनुसार केशव और कनिका पति-पत्नी हैं। केशव एक प्राइवेट ड्रामा स्कूल में अभिनय और निर्देशन का टीचर है। उनका दाम्पत्य जीवन सामान्य रूप से ठीक चल रहा था कि तभी एक दुर्घटना में केशव अपाहिज हो जाता है। जिसके कारण उसे नौकरी से निकाल दिया जाता है। ऐसी हालत में घर चलाने के लिए कनिका को नौकरी करनी पड़ती है।

उस दुर्घटना में पैर टूट जाने के कारण केशव अपाहिज होता है। बाद में पता चलता है कि दुर्घटना के चलते अब वह बच्चे भी पैदा नहीं कर सकता है। इससे उसके दाम्पत्य जीवन में दरार आने लगती है।

केशव महसूस करता है की कनिका को मां न बन पाने की कसक अंदर ही अंदर उसे तोड़ रही है। ऐसे में एक दिन केशव, उसकी शादी अपने दोस्त, रम्मी से करने का प्रस्ताव कनिका के समक्ष रखता है।

इस पर कनिका कहती है कि स्त्री और पुरुष के सम्बंधों की सार्थकता एक दूसरे के प्रति आस्था, विश्वास और समर्पण में है, ना कि स्वार्थ जैसे तुच्छ मानवीय विकारों में। वह कहती है कि वह दोनों एक दूसरे के पूरक है ना कि बोझ। ऐसे में वह केशव से अलग जीने की कल्पना से भी सिहर उठती है।

मंच पर केशव की भूमिका केशव पंडित, कनिका की कनिका बालानी, रम्मी की रामेन्द्र लाल, शिंकी की पावनी अस्थाना, नमन की नमन अस्थाना और सूत्रधार की पुनीत अस्थाना ने निभाई।

आनंद अस्थाना की मंच सज्जा, अंजली सचान की कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग, मनोज वर्मा के मेकअप, दिनेश के प्रकाश संचालन, रिया लाल के संगीत संचालन, रत्ना अस्थाना की कोरियोग्राफी ने प्रस्तुति के आकर्षण को बढ़ाया। इस प्रस्तुति में नंदिता पंडित प्रोडक्शन कन्ट्रोलर, सरोज अग्रवाल प्रोड्यूसर और केशव पंडित संयुक्त निर्देशक रहे।

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