Friday - 12 January 2024 - 3:16 PM

हाय रे गर्मी : बुंदेलखंड में झुलस रहे पेड़-पौधे, तेंदू पत्ते को हो रहा बड़ा नुकसान

जुबिली न्यूज डेस्क

पिछले कई दिनों से देश के कई राज्यों में आसमान से आग बरस रहा है। तापमान 50 डिग्री के करीब पहुंच चुका है। लोग सितम बरपा रही इस गर्मी से बेहाल हैं।

यूपी, मध्य प्रदेश, दिल्ली, बिहार, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा समेत कई राज्यों में आग बरस रही है। आम आदमी से लेकर पेड़-पौधे, जानवर सभी बेहाल हैं।

यूपी की बात करें तो पूरे राज्य में भीषण गर्मी पड़ रही है लेकिन बांदा में तापमान 50 डिग्री पहुंच गया है। वैसे बुंदेलखंड की गिनती सूखाग्रस्त इलाके में होती है। यहां अक्सर सूखा पड़ता है।

लेकिन इस बार परेशानी काफी बढ़ गई है। पिछले कई दिनों से आसमान से बरस रही आग से आम आदमी के साथ-साथ पेड़-पौधे झुलस रहे हैं। इस भीषण गर्मी से सबसे अधिक नुकसान तेंदू पत्ते को हो रहा है।

दरअसल सरकार को प्रति वर्ष इससे बड़ी आय होती है। लेकिन इस बार पड़ रही भीषण गर्मी से पत्ते सूख रहे हैं। जानकारों का कहना है कि सूखते पत्तों की वजह से राजस्व को करीब 50 लाख का नुकसान हो सकता है।

इतना ही नहीं इस हरे-भरे पेड़ भी गर्मी की वजह से सूखने लगे हैं। वन विभाग के अनुसार भीषण गर्मी का सबसे अधिक प्रभाव ललितपुर, बांदा, चित्रकूट और हमीरपुर में देखने को मिल रहा है।

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अगर पूरे बुंदेलखंड की बात की जाए तो यहां भारी मात्रा में तेंदू पत्ता होता है। तेंदू पत्ते की नीलामी वन निगम द्वारा की जाती है। आंकड़ों के मुताबिक यहां हर साल तेंदू पत्ते की 15 से 20 लाख गड्डी तैयार हो जाती हैं। एक गड्डी में 100 पत्ते होते हैं।

इस पत्ते का इस्तेमाल बीड़ी बनाने में होता है, लेकिन इस बार भीषण गर्मी में यह पत्ता भी मुरझा रहा है, जिसस राजस्व को भारी नुकसान हो रहा है।

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जानकारों का कहना है कि जब पत्ता सूख जाएगा तो नीलामी करने में भी दिक्कत होगी। इसके अलावा कंजी, ढाक, चिरौल, शीशम, सागौन, नीम, पीपल, अर्रु, चिरौल सहित कई प्रजातियों के पेड़ भी सूख रहे हैं।

वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अगर जून में बारिश हो जाती है तो कुछ नुकसान को कम किया जा सकता है। लेकिन अगर बारिश में देरी हुई तो पेड़-पौधों पर भारी संकट हो सकता है। वन विभाग के अफसरों का कहना है कि तीस से चालीस फीसदी तक पेड़ सूखने लगे हैं।

खैर पर भी मंडराया खतरा

तेंदू पत्ता के अलावा बुंदेलखंड में बड़ी संख्या में खैर के पेड़ भी हैं। खैर की लकड़ी काफी कीमती मानी जाती है। कत्था बनाने में इसका उपयोग होता है।

अब जब पारा 48 के पार जा रहा है तो इसका खैर के पेड़ पर भी असर पड़ रहा है। पेड़ सूखने लगे हैं। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह पौधा काफी नाजुक होता है। गर्मियों में आमतौर पर सूख जाता है, क्योंकि इस क्षेत्र में पानी का भी बड़ा संकट रहता है।

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प्रभागीय वन अधिकारी वीके मिश्रा ने कहा कि कई सालों बाद तापमान में इतनी तेजी रिकार्ड की जा रही है। इसका असर पेड़ों पर पड़ा है। तपिश के कारण जमीन से नमी चली गई है जिससे पेड़ पौधे सूख रहे हैं। कोई गणना तो नहीं हुई है लेकिन वन अफसरों से जो रिपोर्ट आ रही है उसके अनुसार बुंदेलखंड में ढाई लाख के करीब पेड़ आसमान से बरसने वाली आग का शिकार हो गए हैं।

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