Wednesday - 10 January 2024 - 6:08 AM

खुशखबरी : पीजीआई ने तैयार की कोविड-19 जांच की सस्ती किट

  • लखनऊ के संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान ने बनाया कोरोना जांच किट
  • पांच सौ रुपए में होगी कोरोना जांच और आधे घंटे में मिलेगी रिपोर्ट

न्यूज डेस्क

कोरोना मरीजों के लिए खुशखबरी है। आने वाले समय में उन्हें कोरोना जांच के लिए न तो ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ेगा और न ही रिपोर्ट के लिए घंटों इंतजार करना पड़ेगा। जी हां, उत्तर प्रदेश के लखनऊ के संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (पीजीआई ) ने कोविड-19 जांच की सस्ती किट तैयार की है। इस किट से जांच करने के आधे घंटे बाद ही रिपोर्ट मिल जायेगी और जांच के लिए मात्र पांच रूपए खर्च करना पड़ेगा।

निजी पैथालॉजी में कोरोना जांच के लिए लोगों को साढ़े चार हजार रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। पैसा ज्यादा होने की वजह से कई लोग संदिग्ध लक्षण दिखाई पडऩे पर भी कोरोना जांच नहीं करवा रहे हैं। यही कारण है कि ऐसे लोगों के बाद में कोरोना पॉजिटिव निकलने पर अस्पतालों को सील करने के साथ डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ को क्वारंटीन करना पड़ रहा है। आने वाले समय में इससे लोगों को निजात मिलेगा।

यह भी पढ़ें : डंके की चोट पर : … तो जन्नत मर बदल गई होती यह ज़मीन

पीजीआई में मॉलीक्यूलर एवं बायोटेक्नोलॉजी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. स्वाति तिवारी के नेतृत्व में डॉक्टरों की एक टीम ने कोरोना जांच में हो रहे खर्च को कम करने के साथ प्रभावी किट बनाने की दिशा में शोध कार्य शुरू किया था। इसी रणनीति के तहत ही यह कोरोना जांच की किट विकसित की गई।

यह तकनीकी आरएनए आधारित है। इसे सीधे मरीज के जांच के नमूने पर इस्तेमाल नहीं किया जाता है। मरीज के नमूने में से आरएनए निकालकर उसमें ही संक्रमण देखा जाता है। डॉक्टरों ने जांच तकनीकी का परीक्षण सिंथेटिक कोरोना आरएनए राइबो न्यूक्लिक एसिड पर किया जिसमें यह सफल रही है। इस किट से आधे घंटे में जांच की जा सकेगी और खर्च भी पांच सौ रुपए के करीब आएगा।

यह भी पढ़ें :  सावधान : भारत में शुरु हो चुका है कोरोना का कम्युनिटी ट्रांसमिशन

यह भी पढ़ें :  WHO के खिलाफ भारत ने क्यों खोला मोर्चा ?

मॉलीक्यूलर एवं बायोटेक्नोलॉजी विभाग ने इस किट के पेटेंट के लिए आवेदन किया है। पेटेंट के बाद किट की वैधता की जांच के लिए इंडियन काउंसिल फार मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) को अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा। जैसे ही अनुमोदन मिलेगा इस किट का व्यावसायिक इस्तेमाल शुरु हो जायेगा।

देश में अभी तक कोरोना जांच के लिए विदेश से आयातित किट का इस्तेमाल हो रहा है। पीसीआर तकनीकी पर आधारित इस जांच में करीब पांच हजार रुपए का खर्च आता है।

पीजीआई ने जो जांच किट इजाद की है उसकी तकनीकी में पीसीआर तकनीकी का इस्तेमाल नहीं होगा। ऐसे में न केवल खर्च कम होगा बल्कि समय भी कम लगेगा।

कोरोना की जांच के संक्रमण का पता लगाने के लिए नाक और गले से स्वाब लिया जाता है। कालम तकनीकी से स्वाब सेल से आरएनए निकाला जाता है जिसमें पंद्रह मिनट लगते हैं। इसी आरएनए के संक्रमण की जांच किट से की जाती है जिसमें समय भी काफी कम लगता है।

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com