Sunday - 7 January 2024 - 12:23 PM

इन शर्तों के साथ बातचीत को तैयार हुए किसान संगठन

जुबिली न्यूज़ डेस्क

कृषि कानून को लेकर राजधानी दिल्ली की अलग-अलग सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को आज 32 दिन हो गये। बीते दिन, दिल्‍ली के सिंघु बॉर्डर पर किसान संगठनों की बैठक हुई। इस बैठक में किसान संगठनो ने सरकार के प्रस्‍ताव पर निर्णय लेते हुए आगे की बातचीत को लेकर तैयार हो गये हैं।अब किसान 29 दिसंबर को सरकार से बातचीत करने जाएंगे।

इस बीच किसानों ने सरकार से बातचीत के लिए तो हामी भर दी है लेकिन किसान संगठनों ने वार्ता से पहले ही आंदोलन की आगे की रणनीति भी तैयार कर ली है। किसान संगठनों का कहना है कि अगर सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानीं तो वह विरोध प्रदर्शन को और आगे ले जाएंगे। आने वाले दिनों में उन्होंने किसान आन्दोलन को और तेज करने की बात भी कही है।

27 दिसंबर से 1 जनवरी तक का प्लान तैयार

किसान संगठनों ने द्वारा भेजे गये प्रस्ताव में अगर 29 दिसंबर को सरकार के साथ बातचीत नाकाम रहती है तो किसान नए साल में आंदोलन को अगले चरण में ले जाएंगे। यही नहीं किसान 30 दिसंबर को दिल्ली के सभी बार्डर पर ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे।

टैक्टर मार्च टिकरी बार्डर से हरियाणा-राजस्थन बार्डर शहाजहांपुर तक निकाला जाएगा। इसके बाद देश में ब्लॉक और तहसील स्तर पर कृषि कानून के विरोध में किसानों को इकट्ठा करने की कोशिश की जाएगी।

मनाएंगे शहीदी दिवस

किसान नेताओं का कहना है कि दिल्ली की सीमा पर बैठे किसान आज और कल यानी कि 27 और 28 दिसंबर को गुरु गोविंद सिंह के बेटे का शहीदी दिवस मनाएंगे। इसके बाद 29 दिसंबर को किसान 11 बजे सरकार से बात करने जाएंगे।

दोनों पक्षों के लिए ये दिन काफी अहम होने वाला है। दोनों पक्षों के बीच बातचीत अगर सकारात्मक हुई तो किसान थोड़ी नरमी दिखा सकते हैं। अन्यथा 30 तारीख को किसान ट्रैक्टर से सिंघु से लेकर टिकरी और शाहजहांपुर तक मार्च करेंगे।

31 और 1 को सिंघु बॉर्डर पर लंगर

किसानों का कहना है कि 31 और 1 तारीख को लोग सिंघु बॉर्डर पर आये। लोग लंगर खाने और किसानों के साथ नया साल मनाने के लिए सिंघु बॉर्डर पर आएं।

रखी ये शर्तें

किसान बातचीत को तो तैयार हो गये हैं लेकिन उन्होंने इस बार ये बातचीत शर्तों के साथ करने की बात कही है। इसके लिए उन्होंने सरकार को पत्र लिखकर भेज दिया है। इसमें कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए अपनाए जाने वाली क्रियाविधि पर सबसे पहले चर्चा चाहते हैं।

इसके बाद न्यूनतम समर्थन मूल्य का मुद्दा भी किसानों की मुख्य चिंता है। इस पर किसान संगठन कानूनी गारंटी की प्रक्रिया और प्रावधान पर चर्चा चाहते हैं।

ये भी पढ़े : उत्तर प्रदेश में गाड़ियों पर किया ऐसा तो होगी शख्त कार्रवाई

ये भी पढ़े : Ind vs Aus : बारिश ने रोका खेल, अजिंक्य रहाणे ने जड़ा अर्द्धशतक

वहीं किसान पराली जलाने पर दंड के प्रावधानों को बाहर करने पर चर्चा करेंगे। साथ ही किसान विद्युत संशोधन विधेयक 2020 में भी बदलाव चाहते हैं। दरअसल किसानों का फोकस बातचीत के परिणाम पर है। इस बीच अगर दोनों पक्षों के बीच गतिरोध खत्म हुआ तो ठीक है, अन्यथा नए साल में किसान का आंदोलन और भी रफ्तार पकड़ सकता है।

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com