Sunday - 14 January 2024 - 9:30 AM

राज्यसभा में 44 प्रतिशत सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज

ओम दत्त

मानसून सत्र के लिए जब उच्च सदन राज्यसभा की कार्रवाई शुरू होगी तो इसका स्वरूप बहुत बदला हुआ होगा। पहली बार सदन में एनडीए के 100 से ज्यादा होंगे लेकिन नए सदस्यों के शपथ पत्रों का विश्लेषण करें तो पता चलता है कि राज्यसभा के लिए निर्वाचित 62 नए सांसदों में 44 प्रतिशत के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हुए हैं।

इनमें 16 सांसदों (26 प्रतिशत) खिलाफ सामान्य अपराधिक मामले जबकि 11 सांसदों (18 प्रतिशत) के खिलाफ हत्या का प्रयास दुष्कर्म डकैती और चोरी जैसी गंभीर अपराधों के आरोप हैं।

एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स द्वारा किए गए एक शोध में कहा गया है कि राज्यसभा सांसद के लगभग 26 फीसदी पर आपराधिक मामले चल रहे हैं। राजनीतिक और गैर-राजनीतिक मामलों के बीच अंतर रखना होगा। हमें इन सभी राजनेताओं के प्रति एक सी छवि नहीं बनानी चाहिये, बल्कि उन सभी को राजनीतिक और गैर-राजनीतिक मामलों के बीच अंतर करके उनका आंकलन करना होगा।

राजनीतिक मामले

राजनीतिक मामले वे होते हैं, जिनमें लगभग हर राजनेता राजनीतिक जीवन के एक हिस्से के रूप में विरोध प्रदर्शनों में भाग लेता है, फिर ऐसे अन्य मामले भी होते हैं, जो एक सरकारी कर्मचारी को ड्यूटी करने से रोकते हैं इसका भी जनहित में कई राजनेताओं को सामना करना पड़ता है। कुछ को तो धर्मनिरपेक्षता जैसे आरोपों के लिए भी दोषी ठहराया जाता है।

धारा 144 CrPC के उल्लंघन के भी मामले होते हैं जहाँ तीन से अधिक लोगों के एक जगह इकट्ठे होने की मनाही होती है स्पष्ट रूप से, ऐसे कानून अंग्रेजों द्वारा तैयार किए गए थे जब भारत औपनिवेशिक शासन के अधीन था, लेकिन अब समय बदल गया है।

आपराधिक मामले

ऐसे राजनेताओं के दूसरे समूह हैं जो बलात्कार और हत्या जैसे गंभीर आरोपों का सामना कर रहे हैं, जो स्पष्ट रूप से एक अलग श्रेणी के हैं। हालांकि मेरे विचार में आरोप सिद्ध होने तक किसी एक राजनेता को दोषी नहीं मानना ​​चाहिए क्योंकि उस पर जघन्य अपराध का आरोप लगाया गया है।

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लेकिन ऐसे मामलों में समाज द्वारा सार्वजनिक जागरूकता की जरूरत है और आवश्यकता है कि जांच प्रक्रिया तेज हो ताकि मामले को लटकाया न जाय। अपने देश में जांच प्रक्रिया निहित स्वार्थवश लटकाई जाती है जिससे न्याय भी बाधित होकर वर्षों तक लटकता जाता है और अपराधी भी सालों इसका फायदा उठाता है,इस लिये इस पर भी विचार करने की आवश्यकता है।

नेशनल इलेक्शन वॉच एंड एसोसिएशन फ़ॉर डेमो-क्रिटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट

राज्यसभा की 233 सीटें हैं जिनमें से 3 सीटें खाली हैं। नेशनल इलेक्शन वॉच एंड एसोसिएशन फ़ॉर डेमो-क्रिटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने 230 सिटिंग वाले राज्यसभा सांसदों में से 229 के स्व-शपथ-पत्र का विश्लेषण किया है। गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं।

इसमें 18 प्रतिशत सांसदों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किये हैं, जिनमें हत्या, हत्या का प्रयास, बलात्कार, डकैती, चोरी इत्यादि से सम्बन्धित अपराध शामिल हैं।

इसके अलावा एक सांसद ने अपने ऊपर हत्या (आईपीसी-302) से सम्बन्धित मामला घोषित किया हैं। जबकि दो सांसदों ने अपने ऊपर हत्या का प्रयास (आईपीसी-307) से सम्बंधित मामलें घोषित किये हैं।

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