Saturday - 5 July 2025 - 11:58 AM

भ्रष्टाचार मुक्त मेडिकल शिक्षा: एक अनिवार्यता

अशोक कुमार

भारत में मेडिकल शिक्षा में प्रवेश पाना वाकई एक बड़ी चुनौती है, और इसमें व्याप्त भ्रष्टाचार इस चुनौती को और भी गंभीर बना देता है, जिससे छात्रों के साथ घोर अन्याय होता है। भारत में मेडिकल कॉलेजों की संख्या सीमित है, जबकि हर साल लाखों छात्र NEET (राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा) में बैठते हैं। यह अत्यधिक प्रतिस्पर्धा प्रवेश को बेहद मुश्किल बना देती है।उच्च कट-ऑफ: शीर्ष कॉलेजों में प्रवेश के लिए बहुत ऊँचे अंक लाने पड़ते हैं, जिससे औसत या उससे कम अंक लाने वाले छात्रों के लिए अवसर कम हो जाते हैं।

4 जुलाई 2025 को मेडिकल शिक्षा में भ्रष्टाचार से जुड़ी जो खबरें आई हैं, वे वाकई चिंताजनक हैं। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने स्वास्थ्य मंत्रालय, राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (NMC) के अधिकारियों और निजी मेडिकल कॉलेजों के एक बड़े नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है। इसमें रिश्वत लेकर मेडिकल कॉलेजों को मान्यता देने और गोपनीय जानकारी लीक करने जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं। इस तरह के भ्रष्टाचार का छात्रों के भविष्य पर कई तरह से विनाशकारी असर होता है !
मेडिकल शिक्षा में व्याप्त भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए सभी दोषियों को कड़ी सजा देना, प्रवेश प्रक्रियाओं में पूर्ण पारदर्शिता लाना, और मेडिकल कॉलेजों की मान्यता व निगरानी प्रणाली को मजबूत करना बेहद ज़रूरी है। ये सिर्फ नैतिक आवश्यकताएं नहीं हैं, बल्कि देश के भविष्य और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए भी अनिवार्य हैं।

1. सभी दोषियों को कड़ी सजा देना

भ्रष्टाचार को रोकने का सबसे प्रभावी तरीका यह सुनिश्चित करना है कि इसमें शामिल कोई भी व्यक्ति कानून से बच न पाए।

निवारक प्रभाव (Deterrent Effect): जब रिश्वत लेने वाले अधिकारी, सीटों की दलाली करने वाले एजेंट, और नियमों का उल्लंघन करने वाले कॉलेज प्रबंधन को कड़ी और त्वरित सजा मिलती है, तो यह दूसरों के लिए एक मजबूत संदेश जाता है कि ऐसे कृत्यों का गंभीर परिणाम होगा। विश्वास बहाली: जनता और छात्रों का न्याय प्रणाली में विश्वास तभी बहाल होगा जब वे देखेंगे कि दोषी पकड़े जा रहे हैं और उन्हें उनके किए की सजा मिल रही है। यह व्यवस्था के प्रति छात्रों के भरोसे को फिर से स्थापित करेगा।जवाबदेही तय करना: सख्त सजा से यह सुनिश्चित होता है कि हर स्तर पर, चाहे वह नियामक निकाय हो या कॉलेज प्रबंधन, सभी अपनी जिम्मेदारियों के प्रति जवाबदेह हों।

2. प्रवेश प्रक्रियाओं में पूर्ण पारदर्शिता लाना

प्रवेश प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी ही भ्रष्टाचार को पनपने का मौका देती है। इसे दूर करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाने चाहिए:

डिजिटल और केंद्रीकृत प्रणाली: NEET जैसी प्रवेश परीक्षाओं से लेकर काउंसलिंग और सीट आवंटन तक, पूरी प्रक्रिया को पूरी तरह से डिजिटल और केंद्रीकृत किया जाना चाहिए। इससे मानवीय हस्तक्षेप कम होगा और धांधली की गुंजाइश घटेगी। लाइव ट्रैकिंग और सार्वजनिक डेटा: सीटों की उपलब्धता, कट-ऑफ स्कोर, और आवंटित सीटों का डेटा वास्तविक समय (real-time) में सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होना चाहिए। प्रत्येक चरण की प्रगति को ऑनलाइन ट्रैक करने की सुविधा होनी चाहिए। पारदर्शी काउंसलिंग: काउंसलिंग प्रक्रियाओं को पूरी तरह से ऑनलाइन और स्वचालित बनाना चाहिए, जिसमें छात्रों को अपनी पसंद के कॉलेज और सीटों को चुनने का स्पष्ट और निष्पक्ष मौका मिले, बिना किसी बाहरी दबाव या प्रभाव के।

शिकायत निवारण तंत्र: एक मजबूत और प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र होना चाहिए जहाँ छात्र या अभिभावक किसी भी अनियमितता या संदेह की रिपोर्ट कर सकें और उस पर तत्काल कार्रवाई हो।

3. मेडिकल कॉलेजों की मान्यता और निगरानी प्रणाली को मजबूत करना

कॉलेजों की मान्यता और उनकी निगरानी की प्रक्रिया में सुधार भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए महत्वपूर्ण है।
कठोर निरीक्षण और अप्रत्याशित दौरे: NMC (राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग) और अन्य नियामक निकायों को कॉलेजों का नियमित और अप्रत्याशित निरीक्षण करना चाहिए। इन निरीक्षणों में फैकल्टी की उपस्थिति, प्रयोगशाला सुविधाओं, अस्पताल में मरीजों की संख्या, और बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता की गहन जांच होनी चाहिए। “घोस्ट फैकल्टी” और “फर्जी मरीजों” जैसे फर्जीवाड़ों को पकड़ने के लिए विशेष टीमें गठित की जानी चाहिए।

तकनीक का उपयोग: CCTV कैमरों, बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम, और डेटा एनालिटिक्स जैसी तकनीकों का उपयोग कर फैकल्टी और छात्रों की उपस्थिति, साथ ही अस्पताल में मरीजों की संख्या की निगरानी की जा सकती है। लगातार मूल्यांकन: मान्यता केवल एक बार की प्रक्रिया नहीं होनी चाहिए, बल्कि कॉलेजों का प्रदर्शन और गुणवत्ता का लगातार मूल्यांकन किया जाना चाहिए।

जिन कॉलेजों में लगातार कमियां पाई जाती हैं, उनकी मान्यता रद्द करने या उन पर भारी जुर्माना लगाने जैसे कड़े कदम उठाए जाने चाहिए।पारदर्शी मान्यता प्रक्रिया: मान्यता देने और रद्द करने की पूरी प्रक्रिया को सार्वजनिक और पारदर्शी बनाना चाहिए, जिसमें सभी मानदंडों और निर्णयों को स्पष्ट रूप से बताया जाए। व्हिसल-ब्लोअर सुरक्षा: उन लोगों को सुरक्षा और प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए जो भ्रष्टाचार की जानकारी देते हैं (व्हिसल-ब्लोअर)।

इन उपायों को प्रभावी ढंग से लागू करने से न केवल भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा, बल्कि यह सुनिश्चित होगा कि भारत को भविष्य में ऐसे डॉक्टर मिलें जो न केवल योग्य हों बल्कि नैतिक रूप से भी सही हों। यह देश के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के लिए एक मजबूत नींव रखेगा।

(लेखक पूर्व कुलपति कानपुर , गोरखपुर विश्वविद्यालय , विभागाध्यक्ष राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर रह चुके हैं)

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