Thursday - 11 January 2024 - 10:17 PM

कोरोना: कामकाजी महिलाओं को किन मुश्किलों का करना पड़ रहा है सामना

जुबिली न्यूज डेस्क

वैसे तो शायद ही कोई हो जिस पर कोरोना महामारी का असर न पड़ा हो, लेकिन ये कहा जा रहा है कि महिलाओं और बच्चों पर इसका सबसे सबसे ज्यादा असर पड़ा है। खासकर कामकाजी महिलाओं पर।

कोरोना से दुनिया के ज्यादातर देश जूझ रहे हैं। इस संकट के दौर में लोग मानसिक, शारीरिक और आर्थिक स्तर पर संघर्ष कर रहे हैं। इस काल में लोगों का मानसिक तनाव भी खूब बढ़ा है।

फिलहाल कामकाजी महिलाओं को लेकर एक सर्वे मेंं खुलासा हुआ है कि भारत की करीब 50 प्रतिशत कामकाजी महिलाएं कोविड-19 महामारी की वजह से अधिक दबाव महसूस कर रहीं हैं।

यह भी पढ़ें :  बीजेपी अध्यक्ष का दावा, कहा-खत्म हो गया है कोरोना

यह भी पढ़ें : कंगना के मामले में महाराष्ट्र बीजेपी ने क्यों साधी चुप्पी?

यह भी पढ़ें : इकोनॉमिक फ्रीडम इंडेक्स में नीचे खिसका भारत, जाने क्यों आई गिरावट

यह निष्कर्ष ऑनलाइन पेशेवर नेटवर्क लिंक्डइन के एक सर्वे में निकाला गया है। सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना महामारी की वजह से देश की कामकाजी महिलाए भावनात्मक रूप से प्रभावित हो रही हैं।

सर्वे में शामिल 47 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि महामारी की वजह से वे अधिक दबाव या बेचैनी महसूस कर रहीं हैं। वहीं पुरुषों की बात जाए, तो उनके लिए यह आंकड़ा कुछ कम है।

38 प्रतिशत कामकाजी पुरुषों ने कहा कि कोरोना महामारी की वजह से उन पर दबाव बढ़ा है। लिंक्डइन ने गुरुवार को लिंक्डइन श्रमबल विश्वास सूचकांक का दसवां संस्करण जारी किया। यह सर्वे भारतीय श्रमबल के भरोसे को दर्शाता है।

यह भी पढ़ें : लालू की दखल के बाद क्या बदलेंगे रघुवंश प्रसाद अपना फैसला ?

यह भी पढ़ें : सिर्फ सूखा ही नहीं है किसानों की आत्महत्या करने की वजह

लिंक्डइन ने यह सर्वे 27 जुलाई से 23 अगस्त के बीच 2,254 पेशेवरों के बीच किया गया। इसमें देश की कामकाजी मांओं और कामकाजी महिलाओं पर महामारी के प्रभाव का आकलन किया गया है। इसके अलावा सर्वे में ‘फ्रीलांसर’ यानी स्वतंत्र रूप से काम करने वाले लोगों के व्यक्तिगत वित्त और करियर को लेकर संभावनाओं का भी आकलन किया गया है।

सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी की वजह से बच्चों की देखभाल को लेकर भी महिलाओं के सामने चुनौतियां सामने आई हैं। इसमें कहा गया है कि घर से काम यानी वर्क फ्रॉम होम की वजह से कामकाजी मांओं की दिक्कतें बढ़ गई हैं। अभी तीन में से एक महिला (31 प्रतिशत) पूरे समय बच्चों की देखभाल कर रही हैं। वहीं, सिर्फ पांच में से एक यानी 17 प्रतिशत पुरुष ही पूरे समय बच्चों की देखभाल रहे हैं।

यह भी पढ़ें : भाजपा नहीं शिवसेना कंगना की ज़्यादा हितैषी है

यह भी पढ़ें : कंगना के पक्ष में आये अयोध्या के संत, किया शिवसेना का अंतिम संस्कार

यह भी पढ़ें : कानपुर कृषि विश्वविद्यालय के घोटाले SIT को क्यों नहीं सौंप देती सरकार ?

रिपोर्ट के मुताबिक पांच में से दो यानी 44 प्रतिशत महिलाओं को अपने बच्चों की देखभाल के लिए कार्य के घंटों से आगे भी काम करना पड़ रहा है। जबकि पुरुषों की बात की जाए तो सिर्फ 25 प्रतिशत पुरुषों को ऐसा करना पड़ रहा है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पांच में से सिर्फ एक यानी 20 प्रतिशत महिलाएं ही अपने बच्चों की देखभाल के लिए परिवार के सदस्यों या मित्रों पर निर्भर हैं। वहीं पुरुषों के मामले में यह आंकड़ा 32 प्रतिशत का है।

करीब 46 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि उन्हें देर तक काम करने की जरूरत पड़ रही है। वहीं 42 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि बच्चों के घर पर होने की वजह से वे काम पर ध्यान नहीं दे पातीं।

फ्रीलांसर के रूप में काम करने वाले लोगों में से 25 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें आमदनी में बढ़ोतरी की उम्मीद है। 27 प्रतिशत ने कहा कि उनकी व्यक्तिगत बचत बढऩे की उम्मीद है। 31 प्रतिशत ने कहा कि अगले छह माह के दौरान उन्हें अपने निवेश में वृद्धि की उम्मीद है।

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com