Sunday - 7 January 2024 - 12:47 PM

लाक डाउन बढ़ाने से ही होगा कोरोना की स्थिति में सुधार

कृष्णमोहन झा

कोरोना वायरस के संक्रमण को नियन्त्रित करने हेतु गत माह केन्द्र सरकार द्वारा पूरे देश में लागू किए गए लाकडाउन की अवधि समाप्त होने का समय अब नजदीक आता जा रहा है। परंतु देश के कई राज्यों में जिस तरह कोरोनावायरस से संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या प्रतिदिन बढ़ रही है। उसे देखते हुए अनेक राज्य सरकारों ने लाक डाउन को 14 अप्रैल के बाद भी दो तीन सप्ताह तक जारी रखने का सुझाव दिया है। इनमें महाराष्ट्र, राजस्थान, तेलंगाना, असम, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड की राज्य सरकारें शामिल हैं।

कुछ राज्य सरकारों का मानना है कि लाकडाउन बढ़ाने का फैसला राज्य सरकारों पर ही छोड़ दिया जाना चाहिए। उड़ीसा की नवीन पटनायक सरकार ने केंद्र सरकार के किसी फैसले की घोषणा के पूर्व ही राज्य में 30 अप्रैल तक के लिए लाकडाउन बढ़ाने की घोषणा कर दी है।

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इस बीच उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली एवं महाराष्ट्र की सरकारो ने अपने-अपने राज्यों के कुछ जिलों अथवा इलाकों को कोरोनावायरस के संक्रमण की दृष्टि से हाटस्पाट के रूप में चिन्हित करके उनकी सीमाओं को पूरी तरह सील कर दिया है।

ये सारी खबरें केवल इस सच्चाई को उजागर करती हैं कि देश में पूर्व घोषित लाक डाउन की अवधि समाप्त होने की तिथि भले ही नजदीक आ रही हो परंतु कोरोना वायरस के संक्रमण को ऩियंत्रित करने में अभी हमें इतनी सफलता नहीं मिली है कि उससे संतुष्ट होकर हम लाकडाउन को पूरी तरह समाप्त करने के विषय में विचार में विचार विमर्श प्रारंभ करने लगें।

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गौरतलब है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में संपन्न मंत्री समूह की बैठक में व्यापक विचार विमर्श के बाद प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से यह सिफारिश की गई है कि लाक डाउन 14 अप्रैल से आगे अगर नहीं भी बढाया जाए तब भी धार्मिक स्थलों, माल और स्कूल कालेजों को 14अप्रैल के बाद भी चार सप्ताह तक बंद ही रखा जाना चाहिए। इसके बाद मई में चूंकि स्कूल- कालेजों में अवकाश प्रारंभ हो जाएगा इसलिए जून के अंत तक शैक्षणिक संस्थाएं बंद ही रहेंगी।

जून के अंत तक स्थिति में काफी हद तक सुधार आने की संभावना व्यक्त की जा रही है। मंत्री समूह ने यह सिफारिश भी की है कि धार्मिक स्थलों और माल जैसे सार्वजनिक स्थानों पर जुटने वाली भीड की ड्रोन से निगरानी की जाना चाहिए।

केन्द्रीय मंत्री समूह की बैठक के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिए हुई चर्चा में कहा कि देश में इस समय सामाजिक आपातकाल की स्थिति है और कई राज्यों की सरकारों जिला प्रशासनों और विशेषज्ञों ने लाक डाउन को 21 दिन के बाद भी जारी रखने की सिफारिश की है।

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प्रधानमंत्री ने विपक्षी नेताओं से कहा कि सामाजिक आपात काल की इस कठिन परिस्थितियों में सरकार को कई कठोर फैसले लेने के लिए विवश होना पा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि संयम रखकर ही हम स्थिति में सुधार ला सकते हैं। प्रधानमंत्री अब आगामी शनिवार को विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों से विचार विमर्श करेंगे और उसके बाद ही लाक डाउन बढाने के बारे में अंतिम फैसला लिया जाएगा।

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प्रधान मंत्री ने यह स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी सूरत में 14 अप्रैल के बाद भी लाक डाउन पूरी तरह नहीं हटाया जाएगा। देश के अनेक चिकित्सा विशेषग्यज्ञ मानते हैं कि केन्द्र सरकार ने समय रहते लाकडाउन लागू करने का जो फैसला लिया उसकी वजह से हमारा देश कोरोना वायरस के संक्रमण का फैलाव रोकने के मामले में बड़े बड़े देशों से बेहतर स्थिति में है।

आज यह अच्छी तरह साबित हो चुका है कि कोरोना वायरस के संक्रमण को नियन्त्रित करने का सबसे अच्छा उपाय सामाजिक दूरी बनाकर रखना ही है और यह उपाय तभी कारगर हो सकता है जबकि लाकडाउन को तब तक जारी रखा जाए जब तक कि हम कोरोना वायरस के संक्रमण का फैलाव प्रभावी ढंग से रोकने में सफल नहीं हो जाते। लाकडाउन के दौरान देशवासियों और विशेषकर गरीब तबके के लोगों को दैनिक उपयोग की आवश्यक वस्तुओं की दिक्कत न हो इसके लिए भी केन्द्र और राज्य सरकार अपने अपने स्तर पर व्यवस्था बनाने में जुटी हुई हैं।

गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन भी समय रहते भारत में लाक डाउन लागू करने के लिए मोदी सरकार की सराहना कर चुका है। उसने भी यह माना है कि लाक डाउन को सही समय लागू करने के कारण ही भारत आज अमरीका, इटली और स्पेन आदि देशों से बेहतर स्थिति में है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि लाक डाउन की अवधि बढ़ाने के फैसले का हर देशवासी को स्वागत करना चाहिए।

(लेखक IFWJ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं डिज़ियाना मीडिया समूह के राजनैतिक सलाहकार है)

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डिस्क्लेमर : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति Jubilee Post उत्तरदायी नहीं है।
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