Sunday - 7 January 2024 - 6:07 AM

कांग्रेसी ही डुबाते हैं कांग्रेस की लुटिया

सुरेंद्र दुबे 

कांग्रेस पार्टी में जबसे राहुल गांधी का युग आया है तमाम बुर्जुग नेताओं ने समय-समय पर हल्‍के व आपत्तिजनक बयान देकर राहुल गांधी को रूसवा करने की ही कोशिश की है। ऐसा लगता है कि वरिष्‍ठ नेताओं को कभी-भी राहुल गांधी का नेतृत्‍व नहीं भाया चाहे वह महासचिव रहे हो, उपाध्‍यक्ष रहे हो या अंतत: अध्‍यक्ष बन गए। पर कांग्रेस पार्टी पर अधिकांशत: गांधी परिवार का ही दबदबा रहा है इसलिए इन लोगों के सामने उनके नेतृत्‍व को स्‍वीकार करने के अलावा कोई विकल्‍प भी नहीं था।

अगर अतीत में हम वरिष्‍ठ कांग्रेसी नेताओं के बयानों का अवलोकन करें तो ये बात पता चलती है कि राहुल गांधी देश भर में घूम-घूम कर जितनी भी ख्‍याती अर्जीत करते थे, उसे कोई न कोई नेता अपने भोंडे या अपमानजनक बयान से कांग्रेस चुनावी लुटिया डूबोने का काम कर देते थे।

भाषण देने में आज भी पूरे देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कोई मुकाबला नहीं कर सकता। अपने वाकपटुता से कांग्रेसियों के हर बयान को मोदी लोगों से भावनात्‍मक अपील करने तथा लोगों की सहानुभूति बटोरने की अतुलनीय प्रतिभा का परिचय दे देते हैं। उनकी इस प्रतिभा को न तो वर्ष 2014 के चुनाव में और न ही 2019 के चुनाव में कांग्रेसियों ने पहचाना। हर बार कांग्रेसी या तो मोदी के बिछाये जाल में फंस गई या फिर उन्‍होंने ऐसा जाल स्‍वयं बुन लिया, जिससे निकलना उनके लिए मुमकिन नहीं था।

मुझे लगता है कि कांग्रेस की हार के पीछे राहुल गांधी से ज्‍यादा उनके वरिष्‍ठ सहयोगियों का हाथ है, जिन्‍होंने हर उस मौके पर जब कांग्रेस के पक्ष में कुछ माहौल बन रहा था, कोई न कोई गंदा बयान देकर कांग्रेस की लुटिया डुबोने का काम किया। पर इस सबसे कांग्रेस ने कोई सबक नहीं सीखा। हो सकता है कांग्रेसियों का इस ओर ध्‍यान ही न गया हो और लुटिया डुबोने का कार्यक्रम अभी भी जारी है।

आइये लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी की बात करते हैं, जो कोई न कोई घटिया बयान देकर कांग्रेस का उपहास करा रहे हैं और फिर यह कह कर अपना पल्‍ला झाड़ लेते है कि उनकी हिंदी अच्‍छी नहीं है।

मैं कांग्रेस के पार्टी के कर्णधारों से पुछना चाहता हूं कि जिन नेताओं की हिन्‍दी अच्‍छी नहीं है वो अंग्रेजी में ही अपनी बात क्‍यों नहीं कहते हैं। इस देश में बहुत से ऐसे नेता हैं जो हिन्‍दी नहीं जानते परंतु अंग्रेजी में अपनी बात रखकर धडल्ले से अपनी राजनी‍ति कर रहें हैं। उनके मुखारबिंदु से सामान्‍यत: कोई अपमानजनक शब्‍द नहीं निकलते हैं। परंतु कांग्रेस में लगता है कि अच्‍छी हिन्‍दी न बोलने वाले नेताओं को ही फ्रंट में रखने की परंपरा है। चाहे अधीर रंजन चौधरी हो या मणिशंकर अय्यर या फिर सैम पित्रोदा। ये सब समय-समय पर कांग्रेस की लुटिया डुबोते रहें हैं। वैसे ऐसे फ्रंटियर नेताओं की लिस्‍ट काफी लंबी है, परंतु चलिए यहां कुछ गिन-चुने लुटिया डुबोने वालों की चर्चा कर लेते हैं।   

अधीर रंजन चौधरी

पश्चिम बंगाल से ताल्‍लुक रखने वाले कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सेल्समैन बता डाला। इसके बाद उन्होंने गंदी नाली का जिक्र कर पीएम मोदी को निशाना बनाया। हालांकि, बाद में उन्होंने अपनी खराब हिंदी का हवाला देते हुए माफी मांग ली। सफाई देते हुए कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ‘एक भाजपा सांसद ने प्रधानमंत्री की तुलना स्वामी विवेकानंद से की थी क्योंकि दोनों के नाम में समानता है और दोनों को एक जैसा बताया था। इससे बंगाल की भावनाएं आहत हुईं।

इसीलिये मैंने कहा कि आप मुझे उकसा रहे हैं। यदि आप यह सब जारी रखेंगे तो मैं कहूंगा कि आप गंगा की तुलना गंधी नाली से कर रहे हैं।  उन्‍होंने कहा कि मेरी हिंदी अच्छी नहीं है, नाली से मेरा मतलब नहर से था।’ इससे पहले भी कांग्रेस पार्टी की तरफ से मणिशंकर अय्यर और सैम पित्रोदा आपत्तिजनक बयान देकर हिंदी ठीक से ना बोल पाने का कारण देकर माफी मांगनी पड़ी है।

मणिशंकर अय्यर

कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘नीच’ कह दिया था, जिसका नुकसान कांग्रेस को चुनाव हार कर चुकाना पड़ा था। मणिशंकर अय्यर ने एक इंटरव्यू के दौरान नरेंद्र मोदी के बारे में कहा था, “ये आदमी बहुत नीच किस्म का है। इसमें कोई सभ्यता नहीं है और ऐसे मौके पर इस किस्म की गंदी राजनीति करने की क्या आवश्यकता है?”  हालांकि, अय्यर ने सफाई देते हुए कहा था कि मैं हिन्दी भाषी नहीं हूं, मैं अपने मन में पहले अंग्रेजी से हिंन्दी में ट्रांसलेट करता हूं। मैंने अपने मन में ‘THIS LOW PERSON’ का अनुवाद किया। अगर नीच का अर्थ कुछ और है तो मैं माफी मांगता हूं। मेरे साथ ये पहली बार नहीं हुआ, पहले भी ऐसे हो चुका है।

चुनाव के दौरान मोदी ने एक जनसभा अय्यर के बयान का जवाब देते हुए कहा था कि सोनिया गांधी और उनके परिजनों ने भी इस शब्द का इस्तेमाल किया है। मैं नीच इसलिए हूँ, क्योंकि मैं ग़रीब पैदा हुआ था, क्योंकि मैं नीची जाति का हूँ और क्योंकि मैं एक गुजराती हूँ। क्या इसलिए वे मुझसे नफ़रत करते हैं?” और इस प्रकार नीच शब्‍द का इस्‍तेमाल करते हुए मोदी ने पूरे गुजरात में सहानुभूति बटोरी और किसी तरह गुजरात का चुनाव जीत गए।

सैम पित्रोदा

लोकसभा चुनाव प्रचार के बीच ओवरसीज कांग्रेस के चेयरमैन सैम पित्रोदा के ‘हुआ तो हुआ’ बयान ने 84 के सिख दंगों को फिर से केंद्र में ला दिया, जिसके बाद कांग्रेस को चुनाव में इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा। दरअसल, पित्रोदा ने कहा था, ”अब क्या है 84 का? आपने (नरेंद्र मोदी) पांच साल में क्या किया, उसकी बात कीजिए। 84 में जो हुआ, वो हुआ।” हालांकि उन्‍होंने सिख दंगों को लेकर दिए गए बयान पर विवाद बढ़ने के बाद माफी मांग ली।

उन्होंने कहा था कि मैंने जो बयान दिया, उसे पूरी तरीके से तोड़ मरोड़कर पेश किया गया। मेरी हिंदी अच्छी नहीं है, इसे दूसरे संदर्भ में लिया गया। पित्रोदा ने माफी मांग ली पर सिख भड़क गए, जिसका खामियाजा कांग्रेस को चुनाव में भुगतन पड़ा।

सोनिया गांधी

यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने 2007 में गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी को ‘मौत का सौदागर’ कहा था। उस वक्त मोदी गुजरात के सीएम थे, जिसके बाद सोनिया की काफी आलोचना भी हुई थी। मोदी ने इस बयान पर खूब सहानुभूति बटोरी और चुनाव में  सांप्रदायिक ध्रुविकरण के जरिए कांग्रेस को पटखनी देकर सत्‍ता पर काबिज रहे।

राहुल गांधी

कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने 2019 लोकसभा चुनाव से पहले राफेल मामले को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी पर चोरी का गंभीर आरोप लगाया और पूरे चुनाव के दौरान अपने चुनाव भाषणों में ‘चौकीदार चोर है’ का नारा लगवाया, जिसके बाद मोदी ने ‘मैं भी चौकीदार हूं’ कैंपेन चलाकर जनता को अपने पक्ष में कर लिया। यही मोदी की कला है। वह हर गाली को गुलाब के हार के रूप में परिवर्तित कर लेते हैं। और जनता सहानुभूति बंटोर लेते हैं। राहुल की कमजोरी वह जानते हैं इसलिए कांगेस अध्‍यक्ष पर निशाना साधते रहते हैं।

प्रियंका गांधी

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने लोकसभा चुनाव के दौरान उत्‍तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि इनसे (पीएम मोदी) बड़ा कायर, इनसे कमजोर प्रधानमंत्री मैनें जिंदगी में नहीं देखा। राजनीतिक शक्ति बड़े-बड़े प्रचार से नहीं आती है। हालांकि यह टिप्‍पणी अपमानजनक नहीं थी, लेकिन इसे भी जनता ने पसंद नहीं किया। नतीजा जो हुआ वो सबको मालूम है। राहुल गांधी भी चुनाव हार गए। बड़ी मुश्किल से उनकी माता जी सोनिया गांधी रायबरेली से चुनाव जीत पाई।

दिग्विजय सिंह

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी महिलाओं पर कई बार विवादित बयान दिए। एक पार्टी कार्यक्रम में उन्होंने जयंती नटराजन को ‘टंच माल’ कह दिया था। दिग्गी ने एक बार राखी सावंत पर टिप्पणी करते हुए कहा था अरविंद केजरीवाल और राखी सावंत जितना एक्सपोज करने का वादा करते हैं उतना करते नहीं हैं। उनके इस बयान पर राखी ने उन्हें ‘सठिया गए हैं’ कहकर झिड़का था। इसके अलावा दिग्विजय सिंह का माले गांव ब्‍लास्‍ट के बाद हिंदू आतंकवाद पर दिया विवादित बयान काफी चर्चा में रहा था। इस बयान को लेकर उनकी बहुत आलोचना भी हुई थी। बीजेपी ने इस बयान को लोकसभा चुनाव 2019 में भी इस्‍तेमाल किया और साध्‍वी प्रज्ञा भोपाल से दिग्विजय के खिलाफ अपना उम्‍मीदवार बनाया था।

कांग्रेस नेता श्रीप्रकाश जायसवाल ने एक बार बयान दिया था कि, नई शादी का मजा ही कुछ और होता है और ये तो सब जानते हैं कि पुरानी बीवी में वो मजा नहीं रहता। इसके अलावा कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने नरेंद्र मोदी की तुलना भस्मासुर से कर दी थी। वहीं, पूर्व कांग्रेस नेता बेनी प्रसाद बर्मा ने उन्हें पागल कुत्ता कहा था, तो ग़ुलाम नबी आज़ाद ने उन्हें गंगू तेली कहा था। इसके अलावा सहारनपुर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले इमराम मसूद ने कहा था कि वे मोदी को टुकड़ों में काट देंगे। जबकि रेणुका चौधरी ने उन्हें वायरस कहा था।

(लेखक वरिष्‍ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं)

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