Thursday - 11 January 2024 - 11:09 PM

बहुमत के बाद भी बीजेपी के लिए क्यों जरूरी है गठबंधन

न्‍यूज डेस्‍क

लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद एनडीए दल ने नरेंद्र मोदी को एक बार फिर सर्वसम्मति से नेता चुन लिया। शिरोमणि अकाली दल के नेता प्रकाश सिंह बादल ने पार्टी की ओर से इस प्रस्ताव समर्थन किया। एनडीए दल के नेता चुने जाने के लिए संसद भवन के सेंट्रल हॉल में एनडीए दलों की बैठक बुलाई गई थी।

इस मौके पर एनडीए में शामिल दलों ने भी नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के लिए समर्थन किया। समर्थन करने वालों में अकाली दल के नेता प्रकाश सिंह बादल, जेडीयू के नेता नीतीश कुमार, एलजेपी के नेता रामविलास पासवान, एआईएडीएमके समेत एनडीए के सभी दल शामिल थे।

इस दौरान नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत के लोकतंत्र के लिए सभी पार्टियों को जोड़कर चलना समय की मांग है। संसद के केंद्रीय कक्ष में प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि बीजेपी को मिले स्‍पष्‍ट बहुमत के बावजूद, गठबंधन को जरूरी बताया। उन्‍होंने कहा कि 303 सीटें जीतने के बाद भी में सोच समझकरकर यह कह रहा हूं कि देश के विकास के लिए गठबंधन की राजनीति को आदर्शों-सिद्धांतों का हिस्‍सा बनाना पड़ेगा।

इस दौरान मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी को याद करते हुए कहा,

अटल जी ने गठबंधन की राजनीति को आगे बढ़ाया और आज उनकी तस्‍वीर हमें आशीर्वाद दे रही है। एनडीए की विशेषता है- विश्‍वास, इसे हमने आगे बढ़ाया है। एनडीए के पास दो अमानत है- पहली एनर्जी और दूसरी सिनर्जी, यानी ऊर्जा और तालमेल।

मोदी के इस बयान से पहले ही साफ था कि बीजेपी भले ही 2014 की तरह फिर एक बार अपने दम पर बहुमत ले लाई हो लेकिन सरकार एनडीए की ही बनेगी। दरअसल, मोदी की इस इच्छाशक्ति के साथ एनडीए को साथ लेकर चलना कहीं न कहीं बीजेपी की जरूरत भी है।

दरअसल, लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद से बीजेपी के सभी नेता गदगद दिखाई दे रहे हैं। चुनाव में एनडीए को 353 सीट मिली हैं जबकि बीजेपी अकेले 303 के आंकड़े को छूने में कामयाब रही है। इसके बाद भी बीजेपी सहयोगी दलों को साथ लेकर चलने की बात कर रही है तो इसके पीछे कई वजह है।

गठबंधन क्‍यों जरूरी है

अगर बीजेपी को लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा चुनावों में भी मजबूत बने रहना है तो वह क्षेत्रीय दलों का साथ नहीं छोड़ सकती। खासकर उन पार्टियों को उसे साथ रखना ही होगा जिनका साथ मिलकर वह राज्यों में गठबंधन की सरकार चला रही है। जैसे बिहार में बीजेपी नीतीश कुमार की जेडीयू साथ, महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की शिव सेना के साथ सत्ता में है।

इसी तरह नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (NEDA) की वजह से बीजेपी असम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, नगालैंड, सिक्किम और मणिपुर में सरकार में है। इतना ही नहीं पंजाब जैसे राज्य में जहां एनडीए भले सत्ता में न हो लेकिन बीजेपी अकाली दल को नहीं छोड़ सकती। क्योंकि पंजाब सिख बहुल क्षेत्र है और वहां अकाली दल का अच्छा प्रभाव है। 

राज्यसभा में पड़ेगी जरूरत 

संसद के निम्न सदन लोकसभा में भले मोदी को प्रचंड बहुमत मिला हो, लेकिन उच्च सदन यानी राज्यसभा में बीजेपी के पास अभी भी कम सांसद हैं। ऐसे में उसे नए बिल या संशोधन पास करवाने के लिए सहयोगी पार्टियों की जरूरत पड़ेगी ही। फिलहाल बीजेपी के पास राज्यसभा में सिर्फ 72 सांसद हैं। 245 सदस्यों की राज्यसभा में बिल पास करवाने के लिए कम से कम 123 सांसदों की जरूरत होती है। सहयोगी पार्टियों की मदद से एनडीए के 102 सांसद हो जाते हैं। ऐसे में वह बिल पास करवाने की स्थिति में भले ही न आए, लेकिन नैतिक साहस को बढ़ता ही है।

 

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