न्यूज डेस्क
जैसे क्रिकेट के 20-20 के मुकाबले होते हैं कुछ वैसा ही रोमांचक होने वाला है ये नया साल। इसी साल बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं। उससे पहले दिल्ली में इलेक्शन है। क्रिकेट में वर्ल्ड टी20 का मुकाबला है। इसी साल ओलिंपिक खेल होने हैं। राम मंदिर का ट्रस्ट बनना है और साथ ही चुनौती है नए बजट के जरिए सुस्त अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की। कुलमिला कर नए साल में मोदी सरकार के सामने कई सारी चुनौतियां हैं।
चुनौतियों के बीच बीजेपी ने संकेत दे दिए हैं कि दिल्ली में पार्टी राष्ट्रवाद बनाम अराजकता का राजनीतिक खेल होगा। लेकिन देश की राजनीति में हमेशा से अहम किरदार निभाने वाला राज्य बिहार में बीजेपी के लिए रोज नई-नई मुसीबतें सामने आ रही हैं।
बिहार में विधानसभा चुनाव नवंबर में होंगे। लेकिन 10 महीने पहले ही जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में अभी से माइंड गेम शुरू हो गया है। इसके पीछे चुनाव में अधिक से अधिक सीटों पर दावेदारी है।
जेडीयू ने जहां वर्ष 2010 के फॉर्म्युले का जिक्र किया है तो बीजेपी 2019 में आम चुनाव को आधार मानने का दबाव डाल रही है। सूत्रों के अनुसार औपचारिक समझौता होने तक जेडीयू केंद्र सरकार में मंत्रीपद लेने से परहेज कर सकती है।
हालांकि जेडीयू और बीजेपी के साथ लोक जनशक्ति पार्टी ने गठबंधन में किसी तरह के दरार पड़ने की बात से इनकार किया है और दावा किया है कि तीनों मिलकर चुनाव लड़ेंगे।
दरअसल, जेडीयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने सीट शेयरिंग की बात को उठाते हुए सबसे पहले 2009 का फॉर्म्युला उठाया। जवाब में बीजेपी के एक सीनियर नेता ने कहा कि 2009 की बात पुरानी हो चली है और हकीकत है कि 2019 में बीजेपी ने त्याग करते हुए अपनी लोकसभा सीट जेडीयू को दी।
पिछले दिनों जब अमित शाह ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने की बात कही थी तब भी बीजेपी ने कहा था कि जब नीतीश को नेता मान लिया गया है तो उन्हें ही बड़ा दिल बदले में दिखाना चाहिए। इसके पीछे इशारा इस साल होने वाली विधानसभा में सीट समझौते को लेकर थी। 2010 विधानसभा चुनाव में जब जेडीयू और बीजेपी साथ थी तब राज्य की 224 विधानसभा सीटों में जेडीयू 141 सीट पर चुनाव लड़ी थी।
इसमें से जेडीयू 115 सीट जीतने में सफल रही थी। वहीं, बीजेपी 102 सीटों पर उतरी थी जिसमें 91 पर जीतने में सफल रही थी। हालांकि लोकसभा चुनाव-19 में राज्य की 40 लोकसभा सीटों पर जेडीयू और बीजेपी बराबर 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इसके लिए बीजेपी ने 2014 में जीती 21 सीटों में चार सीट जेडीयू को दिया था।
जेडीयू सूत्रों के अनुसार इस बार चूंकि गठबंधन में रामविलास पासवान की भी पार्टी होगी ऐसे में जेडीयू लगभग 125, बीजेपी लगभग 90 और बाकी सीट पर एलजेपी चुनाव लड़ सकती है। लेकिन बीजेपी अंत तक बराबर-बराबर सीट के लिए दबाव डालेगी और इस शर्त पर आसानी से नहीं मानेगी। गठबंधन को उम्मीद है कि अगले एक महीने में बिहार में सीट शेयरिंग का एलान हो सकता है।