जुबिली न्यूज डेस्क
बिहार विधानसभा चुनाव की मतदान की तारीखें जैसे-जैसे नजदीक आती जा रही हैं वैसे-वैसे रोज सूबे के राजनीतिक समीकरण बदलते जा रहे हैं। अभी तक मुख्य लड़ाई एनडीए और महागठबंधन के बीच नजर आ रही थी लेकिन तीसरे मोर्चा भी इस लड़ाई अपनी दस्तक दे चुका है।
दूसरी ओर अपनी जीत को लेकर बड़े-बड़े दावे करने वाला एनडीए गठबधंन में अब बिखराव साफ दिख रहा है। दरअसल, लोजपा के अलग होने के बाद एनडीए के दो बड़े दल बीजेपी और जेडीयू के चल रही खींच तान चुनावी सभाओं में दिखने लगी है।
एनडीए के घटक दलों के बीच हुए सीट बंटवारे को लेकर कार्यकर्ताओं की नाराजगी सामने आने लगी है। मुजफ्फरपुर के मीनापुर विधानसभा सीट पर जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने मनोज कुशवाहा को मैदान में उतारा है। इस बात से इलाके के जेडीयू कार्यकर्ता काफी नाराज हैं। जेडीयू कार्यकर्ताओं की नाराजगी के बाद पार्टी को मनोज कुशवाहा से टिकट वापस लेना पड़ा है।
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बिहार सरकार में मंत्री रहे मनोज कुशवाहा इससे पहले मुजफ्फरपुर के कुढ़नी विधानसभा से जीतते रहे हैं। पिछली बार उन्हें बीजेपी के केदार गुप्ता ने हराया था। इस बार एनडीए गठबंधन में यह सीट बीजेपी के हिस्से में चली गई है। सीट शेयरिंग के दौरान बीजेपी की ओर से कहा गया था कि इस सीट पर उनके सीटिंग विधायक हैं इसलिए यहां उनकी पार्टी के ही प्रत्याशी उतरेंगे।
मुजफ्फरपुर के जेडीयू अध्यक्ष रंजीत साहनी ने कहा कि मनोज कुशवाहा मीनापुर विधानसभा सीट पर कंफर्ट महसूस नहीं कर रहे थे। इस वजह से उन्होंने पार्टी को सिंबल लौटाने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि हमारा काम कार्यकर्ताओं की इच्छा को पार्टी के मुख्य लोगों तक पहुंचाना है, बाकी फैसला लेना उनका काम है। हम कार्यकर्ताओं को समझाने की कोशिश कर रहे हैं।
इस संबंध में मनोज कुशवाहा का कहना है, ‘मैं सिंबल सीएम नीतीश कुमार को वापस करने जा रहा हूं। मैंने हमेशा कुढ़नी विधानसभा क्षेत्र में राजनीति की है और वहीं करूंगा। यहां की जनता को छोड़कर हम दूसरे जगह नहीं जाएंगे।’
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सूत्रों का कहना है कि जेडीयू प्रत्याशी घोषित होने के बाद मनोज कुशवाहा ने मीनापुर इलाके में दो-तीन दिन प्रचार भी किया था, लेकिन जेडीयू कार्यकर्ताओं ने उन्हें सपोर्ट नहीं किया। बताया जाता है कि प्रचार के दौरान कई जगहों पर उन्हें विरोध का भी सामना करना पड़ा। इसके बाद उन्होंने मीनापुर से पार्टी का टिकट लौटाने का फैसला लिया है।
मुजफ्फरपुर जिले की सकरा विधानसभा सीट पर भी इसी तरह के हालात बन रहे हैं। इस सीट से जेडीयू ने कांटी विधानसभा सीट से मौजूदा निर्दलीय विधायक अशोक चौधरी को मैदान में उतारा है, लेकिन इलाके कार्यकर्ता इस बात से नाराज हैं। 2015 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर राष्ट्रीय जनता दल के लाल बाबू राम जीते थे। उन्होंने बीजेपी के अर्जुन राम को हराया था।
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इस बार एनडीए में सीट शेयरिंग में यह सीट जेडीयू को गई है। जेडीयू ने पिछली बार के कांटी से निर्दलीय विधायक अशोक चौधरी को मैदान में उतारा है, जिसको लेकर कार्यकर्ताओं में भारी नाराजगी है। देखना होगा कि क्या मीनापुर की ही तरह यहां भी जेडीयू को अपने प्रत्याशी बदलने होंगे।