Thursday - 11 January 2024 - 10:48 PM

रामजन्मभूमि न्यास को विवादित जमीन, मुस्लिम पक्ष को वैकल्पिक जमीन

न्‍यूज डेस्‍क

सुप्रीम कोर्ट ने देश के सबसे पुराने केस में ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है। इस फैसले में कोर्ट ने विवादित जमीन का हक रामजन्मभूमि न्यास को दिया है। जबकि मुस्लिम पक्ष यानी सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में ही दूसरी जगह जमीन देने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि केंद्र सरकार 3 महीने में ट्रस्ट बनाकर मंदिर निर्माण का काम शुरू करे। अयोध्या पर फैसले की कॉपी पर सभी जजों ने दस्तखत कर दिए हैं। अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सर्वसम्मति यानी 5-0 से आया है।

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि मुस्लिम पक्ष को वैकल्पिक जमीन दी जाए। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा है कि विवादित जमीन पर रामजन्मभूमि न्यास का हक है। जबकि मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन किसी दूसरी जगह दी जाएगी। यह जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को मिलेगा। कोर्ट ने फैसले में कहा कि मुस्लिम पक्ष जमीन पर दावा साबित करने में नाकाम रहा है।

मुस्लिम पक्ष के वकील जफरयाब जिलानी ने कहा, ‘मैं फैसले से संतुष्ट नहीं हूं, हालांकि मैं कोर्ट के फैसले का सम्मान करता हूं। रामलला के पक्ष में आए फैसले को मुस्लिम पक्ष चुनौती देगा।’

वकीलों के एक समूह ने सुप्रीम कोर्ट परिसर में जय श्री राम के नारे लगाए, बाद में उन्हें अन्य वकीलों ने इससे मना किया। हिन्दू महासभा के वकील वरुण कुमार सिन्हा ने कहा- यह एक ऐतिहासिक फैसला है। इस फैसले के साथ, सर्वोच्च न्यायालय ने विविधता में एकता का संदेश दिया है।

इससे पहले अयोध्या के शिया सुन्नी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शिया बोर्ड की याचिका को खारिज कर दिया। यह याचिका 1946 में दाखिल की गई थी। ये याचिका फैजाबाद कोर्ट में दायर की गई थी। सीजेआई गोगोई ने कहा, ‘हमने 1946 के फैजाबाद कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली शिया वक्फ बोर्ड की स्पेशल लीव पिटिशन (SLP) को खारिज करते हैं।’

सीजेआई ने कोर्ट में फैसला पढ़ते हुए कहा कि बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी थी। नीचे विशाल रचना थी। मिली कलाकृतियां इस्‍लामिक नहीं थी। विवादित ढाचें में पुरानी संरचना और पत्‍थर का इस्‍तेमाल हुआ। खुदाई में मिला ढांचा गैर-इस्लामिक था।

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साथ ही उन्‍होंने कहा कि एएसआई रिपोर्ट में कहीं भी मस्जिद और ईदगाह का जिक्र नहीं किया गया। ये रामजन्‍मभूमि है या नहीं ये एएसआई की रिपोर्ट साबित नहीं हो पाया। कोर्ट ने ASI रिपोर्ट के आधार पर अपने फैसले में कहा कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने की भी पुख्ता जानकारी नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने फैसले के दौरान कहा कि हिंदुओं की आस्था है कि भगवान राम ढांचे के नीचे जन्मे थे। आस्था और विश्वास पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई ने कहा कि कोर्ट को भक्तों की आस्था को ध्यान में रखना चाहिए और बैलेंस बनाकर रखना चाहिए।

CJI रंजन गोगोई ने कहा कि हिंदू गुंबद के नीचे ही रामलला का जन्मस्थान मानते हैं, मुस्लिम उसे इबाबत की जगह मानते हैं। अयोध्या पर पांचों जजों ने सर्वसम्मति से फैसला दिया है। फैसला पढ़ते हुए सीजेआई ने कहा कि मंदिर और मस्जिद में 400 साल का अंतर है।

सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा -‘दावों पर कोई फैसला नहीं दिया जाता। लेकिन, हिंदू मानते हैं कि गुंबद के नीचे ही रामलला का जन्मस्थान है।वहींं, मुस्लिम पक्ष जमीन पर दावा साबित करने में नाकाम रहा। मुस्लिमों ने इस बात के सबूत पेश नहीं किए कि 1857 से पहले स्थल पर उनका ऐक्सक्लुसिव कब्जा था। 1949 तक उन्होंने वहां नमाज पढ़ा।

इस बात के सबूत नहीं हैं कि मुस्लिमों ने मस्जिद का त्याग कर दिया था। हिंदू हमेशा से मानते रहे हैं कि मस्जिद का भीतरी हिस्सा ही भगवान राम की जन्मभूमि है। यह साबित हुआ है कि मुस्लिम ढांचे के भीतर इबादत करते थे और हिन्दू उसके बाहर पूजा करते थे।

कोर्ट ने कहा कि इस बात के सबूत हैं कि अंग्रेजों के आने के पहले से राम चबूतरा और सीता रसोई की हिंदू पूजा करते थे। रेकॉर्ड्स के सबूत बताते हैं कि विवादित जमीन के बाहरी हिस्से में हिंदुओं का कब्जा था।

फैसला पढ़ते हुए सीजेआई ने कहा कि बाबरी मस्जिद को मीर बकी ने बनाया था। कोर्ट धर्मशास्त्र में पड़े, यह उचित नहीं। प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट सभी धार्मिक समूहों के हितों की रक्षा के लिए भारत की प्रतिबद्धता को बताता है।

इस बात के सबूत हैं कि अंग्रेजों के आने के पहले से राम चबूतरा और सीता रसोई की हिंदू पूजा करते थे। रेकॉर्ड्स के सबूत बताते हैं कि विवादित जमीन के बाहरी हिस्से में हिंदुओं का कब्जा था।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि 2009 में आया इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला जिसमें जमीन को तीन हिस्सों में बांटा गया था, तार्किक नहीं था।

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