Friday - 5 January 2024 - 2:35 PM

भारत में दूषित हवा से हो रहा है स्वत: गर्भपात

जुबिली न्यूज डेस्क

भारत के लिए वायु प्रदूषण कितना खतरनाक है इसका अंदाजा पिछले महीने द लैंसेट मेडिकल जर्नल में छपी रिपोर्ट से लगाया जा सकता है। रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2019 में वायु प्रदूषण की वजह से 16.7 लाख लोगों ने अपनी जान गवाई। ये संख्या उस वर्ष हुई कुल मौतों के 18 प्रतिशत के बराबर थी। अब इसी जर्नल में वायु प्रदूषण को लेकर एक नया खुलासा हुआ है।

द लैंसेट मेडिकल जर्नल में छपी एक स्टडी में खुलासा हुआ है कि भारत व दक्षिण एशिया के दूसरे देशों में बड़ी संख्या में मिसकैरेज यानी स्वत: गर्भपात और स्टिल-बर्थ यानी मृत-जन्म के लिए जिम्मेदार कारणों में से वायु प्रदूषण भी शामिल हो सकता है।

स्डटी में वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया गया है कि दक्षिण एशिया में हर साल करीब साढ़े तीन लाख गर्भ नष्ट होने के मामलों का प्रदूषण के बढ़े हुए स्तर से संबंध पाया गया है। इसे 2000 से 2016 के बीच गर्भ नष्ट होने के कुल मामलों में से सात प्रतिशत मामलों के लिए जिम्मेदार पाया गया है।

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मालूम हो कि वैश्विक स्तर पर दक्षिण एशिया में गर्भ नष्ट होने के मामलों की सबसे ऊंची दर है और यह इलाका सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण के इलाकों में भी शामिल है।

स्टडी के मुख्य लेखक पेकिंग विश्वविद्यालय के ताओ श्यू ने अपने एक बयान में कहा, “हमारे निष्कर्ष इस बात को और साबित करते हैं कि प्रदूषण के खतरनाक स्तर का मुकाबला करने के लिए तुरंत कदम उठाने की जरूरत है।”

पिछले महीने भारत के संदर्भ में वायु प्रदूषण को लेकर द लैंसेट मेडिकल जर्नल में जो रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी उसके विश्लेषण में पाया गया था कि प्रदूषण की वजह से फेफड़ों की दीर्घकालिक बीमारी, सांस लेने के संक्रमण, फेफड़ों का कैंसर, दिल की बीमारी, दिल का दौरा, मधुमेह, नवजात शिशु संबंधी बीमारी और मोतिया-बिंद जैसी बीमारियां होती हैं।

वर्तमान स्टडी रिपोर्ट में चीनी शोध टीम ने दक्षिण एशिया में ऐसी 34,197 माताओं के डाटा का अध्ययन किया जिन्हें कम से कम एक बार स्वत: गर्भपात या मृत-जन्म हुआ हो और उन्होंने एक या एक से ज्यादा जीवित बच्चे को भी जन्म दिया हो। इनमें से तीन-चौथाई से भी ज्यादा महिलाएं भारत से थीं और बाकी पाकिस्तान और बांग्लादेश से।

वैज्ञानिकों ने इन माताओं का गर्भावस्था के दौरान पीएम 2.5 के जमाव से संपर्क में आने का अनुमान लगाया। पीएम 2.5 धूल, कालिख और धुएं में पाए जाने वाले बहुत छोटे कण होते हैं जो फेफड़ों में फंस सकते हैं और रक्तप्रवाह में घुस सकते हैं।

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सालाना गर्भ नष्ट होने के मामलों में वैज्ञानिकों ने हिसाब लगाया कि 7.1 प्रतिशत मामले भारत के वायु गुणवत्ता के मानक 40 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ऊपर के प्रदूषण और विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देश 10 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ऊपर के प्रदूषण की वजह से हुईं।

स्टडी के सह-लेखक चिकित्सा विज्ञान की चाइनीज अकादमी में कार्यरत तिआनजिया गुआन ने कहा कि गर्भ नष्ट होने की वजह से महिलाओं पर मानसिक, शारीरिक और आर्थिक असर होते हैं और इन्हें कम करने से लिंग-आधारित बराबरी में प्रारंभिक सुधार हो सकते हैं।

भारत के शहर प्रदूषण के स्तर की वैश्विक सूचियों में सबसे ऊपर रहते हैं। नई दिल्ली को दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी माना जाता है। देश में हवा दूषित करने के लिए उद्योग, गाडिय़ों से निकलने वाला धुआं, कोयले से चलने वाले ऊर्जा के संयंत्र, निर्माण स्थलों पर उडऩे वाली धूल और फसलों की पराली के जलाने जैसे कारणों को जिम्मेदार माना जाता है।

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