जुबिली स्पेशल डेस्क
धर्मशाला के मैक्लोडगंज स्थित त्सुगलागखांग मंदिर में आयोजित दीर्घायु प्रार्थना समारोह में तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने शनिवार (5 जुलाई, 2025) को स्पष्ट किया कि वे फिलहाल अपने उत्तराधिकारी की घोषणा करने के मूड में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि वे आने वाले 30-40 वर्षों तक और जीवित रहेंगे और लोगों की सेवा करते रहेंगे।
“मुझ पर अवलोकितेश्वर का आशीर्वाद है”
दलाई लामा ने कहा कि उन्हें इस बात के स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि अवलोकितेश्वर (बौद्ध करुणा के देवता) की कृपा उनके साथ है। उन्होंने कहा, “हमने भले ही अपना देश खो दिया हो, लेकिन भारत में रहकर भी मैंने अपने जीवन को सार्थक बनाया है और जीवों की सेवा की है। आगे भी यही करता रहूंगा।”
चीन को लेकर दो टूक
इससे पहले बुधवार को दलाई लामा ने कहा था कि उनके पुनर्जन्म को लेकर केवल गादेन फोडरंग ट्रस्ट को मान्यता देने का अधिकार है, न कि किसी सरकार को। ये बयान चीन की उस दावेदारी के जवाब में आया, जिसमें कहा गया था कि भविष्य में पैदा होने वाले दलाई लामा को उसकी अनुमति लेनी होगी।
तिब्बती सरकार का भी विरोध
तिब्बती निर्वासित सरकार के प्रमुख पेन्पा त्सेरिंग ने भी चीन के दखल का विरोध करते हुए साफ किया है कि पुनर्जन्म एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है, किसी राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा नहीं। उन्होंने कहा, “दलाई लामा कहां और कब पुनर्जन्म लेंगे, यह केवल वही तय कर सकते हैं—यह अधिकार किसी सरकार को नहीं है।”
दलाई लामा के इन बयानों ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि उनके उत्तराधिकारी के चयन पर कोई बाहरी दबाव स्वीकार नहीं किया जाएगा, और वे स्वयं इस पर निर्णय लेने के लिए सक्षम हैं—लेकिन वह समय अभी नहीं आया है।