Friday - 20 June 2025 - 11:15 AM

कैंसर से बचाव और उपचार में योग की भूमिका

अशोक कुमार

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की बहुत-बहुत बधाई ! योग के माध्यम से स्वास्थ्य और शांति का प्रसार हो !योग कैंसर का सीधा इलाज नहीं है, लेकिन यह कैंसर से बचाव और उपचार के दौरान होने वाली समस्याओं को कम करने में बहुत सहायक हो सकता है। यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।

कैंसर से बचाव में योग की भूमिका

तनाव कम करना : योग तनाव और अवसाद को कम करने में मदद करता है। तनाव कोर्टिसोल हार्मोन के स्तर को बढ़ाता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकता है और नींद में गड़बड़ी पैदा कर सकता है। योग से तनाव कम होने पर प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है।

बेहतर नींद : योग नींद की गुणवत्ता में सुधार करता है, जो समग्र स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। अच्छी नींद शरीर को खुद को ठीक करने और मजबूत बनाने में मदद करती है।

स्वस्थ जीवनशैली : योग एक अनुशासित जीवनशैली को बढ़ावा देता है, जिसमें स्वस्थ आहार और नियमित शारीरिक गतिविधि शामिल है। ये सभी कारक कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद करते हैं।

प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करना : योग के अभ्यास से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है, जिससे शरीर बीमारियों से लड़ने में बेहतर ढंग से सक्षम होता है।

शरीर का डिटॉक्सिफिकेशन: कुछ योग अभ्यास और प्राणायाम शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करते हैं, जो कैंसर के जोखिम को कम कर सकते हैं।

योगा – फोटो : Pixabay

कैंसर उपचार में योग की भूमिका

कैंसर के उपचार के दौरान, योग रोगियों को कई तरह से लाभ पहुंचा सकता है: साइड इफेक्ट्स का प्रबंधन: कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी जैसे उपचारों के कारण थकान, दर्द, मतली, चिंता, अवसाद, नींद की समस्या और मूड स्विंग्स जैसे दुष्प्रभाव हो सकते हैं। योग इन लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है।

शारीरिक शक्ति और लचीलापन : कैंसर और उसके उपचार से शरीर कमजोर हो सकता है। योग शरीर में लचीलापन, शक्ति और संतुलन में सुधार करने में मदद करता है।

मानसिक शांति और भावनात्मक संतुलन : कैंसर का निदान और उपचार मानसिक रूप से बहुत चुनौतीपूर्ण होता है। योग ध्यान और श्वास अभ्यास के माध्यम से रोगियों को मानसिक शांति और भावनात्मक संतुलन प्राप्त करने में मदद करता है।

दर्द प्रबंधन : योग दर्द सहने की क्षमता को बढ़ा सकता है और दर्द निवारक दवाओं पर निर्भरता को कम करने में मदद कर सकता है।

लसीका परिसंचरण में सुधार : कोमल योग मुद्राएँ लसीका परिसंचरण को बढ़ावा दे सकती हैं, सूजन को कम कर सकती हैं और समग्र उपचार को बढ़ावा दे सकती हैं।

कैंसर के मरीजों के लिए कुछ लाभकारी योगासन और प्राणायाम 

विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार, कैंसर के मरीजों को अपनी शारीरिक क्षमता और स्थिति के अनुसार योग का अभ्यास करना चाहिए। कुछ सामान्य रूप से सुझाए गए आसन और प्राणायाम हैं:

कपालभाति : यह प्राणायाम विभिन्न प्रकार के कैंसर से निजात दिलाने में सहायक माना जाता है, और यह लिवर के स्वास्थ्य और तनाव कम करने में भी मदद करता है।

अनुलोम-विलोम : यह भी कैंसर के रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है, और मानसिक शांति प्रदान करता है।

शीतली और शीतकारी प्राणायाम : कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी के कारण शरीर में उत्पन्न अधिक गर्मी को शांत करने के लिए ये प्राणायाम फायदेमंद हैं।

भुजंगासन: यह लंग कैंसर के लिए सहायक है।

उत्तान पादासन: पेट के कैंसर और आंतों के कैंसर के लिए फायदेमंद।

योग को कभी भी आधुनिक चिकित्सा उपचार के विकल्प के रूप में नहीं देखना चाहिए, बल्कि इसे पूरक चिकित्सा के रूप में प्रयोग किया जाना चाहिए।

कैंसर के मरीजों को कोई भी योगाभ्यास शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक और एक योग्य योग प्रशिक्षक से सलाह लेनी चाहिए।

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उनकी शारीरिक स्थिति के अनुसार ही योगासन का चुनाव करना चाहिए।शुरूआत में हल्के और धीमी गति वाले योग से करें और धीरे-धीरे अपनी क्षमता बढ़ाएं। अपने शरीर की ज़रूरतों को समझें और उस गति से आगे बढ़ें जो आपके लिए आरामदायक हो।

संक्षेप में, योग कैंसर के रोगियों के लिए शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक कल्याण को बढ़ावा देने का एक शक्तिशाली उपकरण हो सकता है, जिससे वे उपचार के दुष्प्रभावों का सामना करने और बेहतर जीवन गुणवत्ता बनाए रखने में सक्षम होते हैं।

(लेखक, कानपुर एवं गोरखपुर विश्वविद्यालयों के पूर्व कुलपति तथा राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर के पूर्व विभागाध्यक्ष हैं।)”

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