- प्रवासी मजदूरों ने नहीं फैलाया मर्ज
- आंकड़े बता रहे हैं नीतीश सरकार की नाकामी की कहानी
जुबिली न्यूज डेस्क
बिहार में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। सिर्फ 22 दिन में यहां कोरोना संक्रमण का मामला बढ़कर तीन गुना हो गया है।
एक जुलाई को कोविड-19 के 10,250 मामले थे। ये आंकड़ा 22 जुलाई को बढ़कर 30,066 हो गया। कोरोना संक्रमण के मामले बढऩे की वजह से बिहार के अस्पतालों में अव्यवस्था चरम पर पहुंच गई है। सरकारी अस्पताल में बेड फुल है। मैन पावर की कमी हो गई है।
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कोरोना संक्रमण के शुरुआती दिनों में तालाबंदी के बीच जब बिहार के प्रवासी मजदूर अपने गांव-घर लौट रहे थे तब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में कोविड-19 फैलने के लिए प्रति चिंता जाहिर की थी। बाहर से आए प्रवासियों को क्वारंटाइन करना शुरू किया गया। तब राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश में कोरोना फैलने के आधे से भी ज्यादा मामलों के लिए प्रवासी मजदूरों को जिम्मेदार ठहराया।
मगर बिहार में कोरोना मामलों की बढ़ती संख्या एक अलग कहानी कहती है। जिन जिलों में सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमण के मामले आ रहे हैं उनमें से सिर्फ दो जिले ही कोरोना से सबसे अधिक प्रभावित उन दस जिलों की सूची में शामिल थे, जिन दस जिलों में सबसे अधिक प्रवासी मजदूर वापस लौटे।
जिलेवार कोरोना के सबसे अधिक मरीज अभी पटना (4,479) में हैं। इसके बाद भागलपुर (1,859), मुजफ्फरपुर (1,382) सीवान (1,154), नालंदा (1,051), नवादा (898) का नंबर आता है। इन जिलों में पटना 21,433 और गया में 73,769 प्रवासी मजदूर लौटे हैं। अन्य जिलों में जहां प्रवासी बड़ी संख्या में लौटे हैं वहां कोरोना के कम मामले दर्ज किए गए हैं।

मधुबनी में जहां 98,175 प्रवासी लौटे वहां कोविड-19 के अभी तक 718 मामले दर्ज किए गए हैं। ईस्ट चंपारण में 93,292 प्रवासी लौटे और वहां 678 संक्रमण के मामले दर्ज किए गए।
इसी तरह कटिहार में 85,797 प्रवासी मजूदर लौटे और वहां 619 केस दर्ज किए गए। दरभंगा में 76,556 प्रवासी लौटे और कोविड-19 के अभी तक 545 मामले दर्ज किए गए हैं। इसके अलावा वेस्ट चंपारण में 62,737 प्रवासी लौटे, जहां संक्रमितों की संख्या 913 है। अररिया में 60,926 प्रवासी लौटे, वहां 300 कोरोना संक्रमित हैं।
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