Saturday - 13 January 2024 - 10:07 PM

बिहार में AES का कहर जारी, 68 बच्चों की मौत

न्यूज डेस्क

बिहार के मुजफ्फरपुर में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम का कहर जारी है, इसके कारण मरने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसे चमकी बुखार भी कहा जाता है। अभी तक इस बुखार से मरने वालों की संख्या शनिवार तक बढ़कर 68 हो गई है। जिसमें 55 बच्चों की मौत श्री कृष्णा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में हुई है, जबकि 13 की मौत केजरीवाल अस्पताल में हुई है।

बता दें कि इस बीमारी की चपेट में 15 वर्ष तक की उम्र के बच्चे आ रहे हैं। वहीं, मरने वाले  एक से सात साल की उम्र के बच्चे  ज्यादा हैं। डॉक्टरों के मुताबिक, इस बीमारी का मुख्य लक्षण तेज बुखार, उल्टी-दस्त, बेहोशी और शरीर के अंगों में रह-रहकर कंपन (चमकी) होना है।

क्या है एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम 

एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी AES शरीर के मुख्य नर्वस सिस्टम यानी तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है और वह भी खासतौर पर बच्चों में। इस बीमारी के होने से पहले कई लक्षण सामने आने लगते है जिनमें शुरुआत तेज बुखार से होती है। इसके बाद शरीर के तंत्रिका संबंधी कार्यों में रुकावट आने लगती है जिससे शरीर में ऐंठन होने लगती है। यह बिमारी इतनी खतरनाक है कि इसमें बच्चों को  बेहोशी के साथ दौरे भी पड़ने लगते हैं। वहीं, कुछ केस में तो पीड़ित कोमा में भी जा सकता है और समय पर इलाज न मिले तो पीड़ित की मौत हो जाती है। आमतौर पर यह बीमारी जून से अक्टूबर के बीच देखने को मिलती है।

हाइपोग्लाइसीमिया यानी लो-ब्लड शुगर

एक्यूट इंसेफेलाइटिस को एक बीमारी नहीं बल्कि सिंड्रोम कहा जा रहा है, क्योंकि यह वायरस, बैक्टीरिया और कई दूसरे कारणों से हो सकता है। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अब तक हुई मौतों में से 80 फीसदी मौतों में हाइपोग्लाइसीमिया का शक है। शाम का खाना न खाने से रात को हाइपोग्लाइसीमिया या लो-ब्लड शुगर की समस्या हो जाती है, खासकर उन बच्चों के साथ जिनके लिवर और मसल्स में ग्लाइकोजन-ग्लूकोज की स्टोरेज बहुत कम होती है। इससे फैटी ऐसिड्स जो शरीर में एनर्जी पैदा करते हैं और ग्लूकोज बनाते हैं, का ऑक्सीकरण हो जाता है।

लो ब्लड शुगर होना

जानकारों की मानें तो लीची में प्राकृतिक रूप से hypoglycin A और methylenecyclopropylglycine (MPCG) पाया जाता है, जो कि शरीर में फैटी ऐसिड मेटाबॉलिज़म बनने में रुकावट पैदा करते हैं। इसकी वजह से ही ब्लड-शुगर का लेवल  कम हो जाता है और मस्तिष्क संबंधी दिक्कतें शुरू हो जाती हैं और दौरे पड़ने लगते हैं। रात का खाना न खाने की वजह से शरीर में पहले से ब्लड शुगर का लेवल कम हो जाता है और सुबह खाली पेट लीची खा ली जाए तो एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम AES का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।

बच्चे खाली पेट न खाएं लीची

गर्मी के मौसम में बिहार के मुजफ्फरपुर और आसपास के इलाके में गरीब परिवार के बच्चे जो पहले से कुपोषण का शिकार होते हैं वे रात का खाना नहीं खाते और सुबह का नाश्ता करने की बजाए खाली पेट बड़ी संख्या में लीची खा लेते हैं। इससे भी शरीर का ब्लड शुगर लेवल अचानक बहुत ज्यादा लो हो जाता है और बीमारी का खतरा रहता है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने माता-पिता को सलाह दी है कि वे बच्चों को खाली पेट लीची बिलकुल न खिलाएं।

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