Sunday - 7 January 2024 - 2:38 AM

काबुल में फंसे 300 सिखों ने कनाडा और अमेरिका से बचाने की लगाई गुहार

जुबिली न्यूज डेस्क

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां के लोग डरे हुए हैं। लोग देश छोड़कर भाग रहे हैं। जिनके पास जाने की जुगाड़ नहीं है वह बचाने की अपील कर रहे हैं।

इसी कड़ी में काबुल के एक गुरुद्वारे में शरण लिए लगभग 300 सिखों ने एक एसओएस कॉल भेजा है। उन्होंने तालिबान द्वारा शासित अफगानिस्तान से अपने सकुशल वापसी का अनुरोध किया गया है।

एक वीडियो संदेश में, काबुल के करता परवन गुरुद्वारे में सिखों को अमेरिका और कनाडा की सरकारों से अफगानिस्तान से बाहर निकालने की अपील करते देखा जा सकता है।

सिखों ने हाथ जोड़कर कहा, “तालिबान के कारण काबुल की स्थिति बहुत नाजुक है। हमारा अनुरोध है कि अमेरिका और कनाडा में सिख संगठन हमें वहां ले जाने की व्यवस्था करें।”

वे लोग भले ही डरे हुए हैं लेकिन इस बीच तालिबान नेता सिखों और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों को उनकी सुरक्षा का आश्वासन देने के लिए सामने आए हैं।

इंडिया टुडे के साथ एक टेलीफोन कॉल में, वर्तमान मे काबुल के एक गुरुद्वारे में शरण ले रहे एक सिख व्यक्ति ने कहा कि तालिबान लड़ाके पड़ोस में गश्त कर रहे हैं और उन्हें देख रहे हैं।

उन्होंने कहा, “तालिबान का एक प्रतिनिधिमंडल यहां आया और कहा कि वे हमारे गुरुद्वारे को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि जब उनके कानून लागू होंगे तो क्या होगा।”

तलविंदर चावला ने कहा कि हम तालिबान सरकार पर भरोसा नहीं कर सकते। उन्होंने आगे कहा कि, “यह महत्वपूर्ण है कि परिवारों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों को जल्द से जल्द निकाला जाए। हमें नहीं पता कि आने वाले दिनों में क्या हो सकता है।”

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मालूम हो कि भारत सरकार ने हाल ही में घोषणा की थी कि वह अफगानिस्तान से भाग रहे सिखों और हिंदुओं को आपातकालीन वीजा प्रदान करेगी।

काबुल के सिख व्यवसायी गुरदीप सिंह (बदला हुआ नाम) ने एक न्यूज एजेंसी से कहा था कि अफगान सिख भारत के बजाय अमेरिका या कनाडा में शरण लेना पसंद करेंगे।

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सिंह ने कहा, “ये दोनों देश पहले से ही वहां बसे अफगान लोगों की बहुत मदद कर रहे हैं।” उदाहरण के लिए, कनाडा सरकार ने घोषणा की है कि वह 20,000 “कमजोर” अफगानों को स्थायी रूप से बसाएगी, जिनमें सिख और हिंदू शामिल हैं, जो अब तालिबान के नियंत्रण में युद्धग्रस्त देश से भाग रहे हैं।

अफगानिस्तान में धार्मिक प्रताडऩा से भागकर लगभग 15,000 अफगान सिख दिल्ली में रहते हैं। उनका आगमन दशकों पहले शुरू हुआ और आज भी जारी है।

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