Friday - 5 January 2024 - 9:44 PM

तुम नहीं तुम्हारा स्पन्दन अभी जिन्दा है

विनायक सिन्हा संवेदनशील कलमकार हैं. अर्से बाद आज फिर उनकी कलम ने मन मस्तिष्क के तारों को झंकृत कर दिया. कविता ही वह माध्यम है जो गुज़री ज़िन्दगी के तमाम लम्हों को वापस लाकर फिर से दामन में डाल देता है.

जुबिली पोस्ट रचनाकार की भावनाओं पर गहरी नज़र रखता है. रचनाकार की कलम के ज़रिये जब भी दिल का कोई पन्ना खुलता है तो मन होता है कि बात दूर तक चली जाए.

 

आज फिर स्कूटर उसी सड़क की मोड़ पर, ढलान पर रुक गई..
मानो कोई हठी बालक ऊँगली पकड़ कर खींच रहा हो..

कह रहा हो.. अब दिला दो वो खिलौना जो तुम तब नहीं दिला पाए थे…
एक पल में कौंध गई सारी घटनाएं आँखों में बिजली की तरह…

नया चमचमाता स्कूटर और उस पर तुम मेरे पीछे…
फूलदार आरांक्जा की साडी में लिपटी, सांवली सी, डाली सी लचकती महकती..
संवेदनाहीन सा मैं, आस पास से बेखबर बस आगे ही बढ़ता रहता…
जी चाहता था कभी खत्म न हो ये सफर…
यूँ ही उड़ते रहें तुम हम बादलों पर…

तभी किसी झटके से बचने के लिए..
पकड़ लेती थी तुम मेरी कमर, और तुम्हारी एक लट..
गुदगुदा जाती थी मेरे गालों को..
यूं लगता था मानो साकी ने खुश होकर…
बढा दियें हो दो और घूँट मेरे प्याले में…

या कभी कोई गुस्ताख झोंका हवा का…
बिखेर देता तुम्हारी अलकावली…
और उसे समेटने की कोशिश में..
आ जाती थीं तुम मेरे और करीब…

फिर लजा कर दूर हो जाती..
बहुत कोशिश करी कि बंद कर लूं उन लम्हों हो मुट्ठी में…
पर सब फिसल गए…
उँगलियों के बीच से रेत की तरह..

आज बाईस साल बाद उसी जगह फिर से खडा हूँ..
संवेदनहीन, तुम्हारी महक तो है आस पास…
पर तुम नही…
और सुनो, स्कूटर आज भी वैसे ही चमचमाता रखा है मैंने..
सम्हाल कर,,

सुन रही हो न तुम…
क्या पता कभी किसी गली से, बहार सी निकल कर..
मुस्कुराती हुई फिर उचक कर बैठ जाओ पीछे की सीट पर…

पीछे से गाड़ियों के हार्नो का शोर..
तोड़ देता है मेरी तन्द्रा और मुझे ला पटकता है..
क्रूर यथार्थ में..

जैसे आज से बाईस साल पहले..
छीन लिया था क्रूर नियति ने तुम्हे मुझसे..
पर सुनो, जब तक स्पन्दन है हिया में..
मैं जिंदा हूँ, और तुम मुझमे.

यह भी पढ़ें : ….उन्होंने तो बेगम अख्तर के दौर में ही पहुंचा दिया

यह भी पढ़ें : त्रासदी में कहानी : “बादशाह सलामत जिंदाबाद”

यह भी पढ़ें : त्रासदी की ग़जल : मालविका हरिओम की कलम से

यह भी पढ़ें : त्रासदी की ग़ज़ल : रोटियाँ तो रेलवाली पटरियाँ सब खा गईं

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com