Monday - 8 January 2024 - 7:11 PM

क्या योगी 17 पिछड़ी जातियों को धोखा दे रहें हैं

न्‍यूज डेस्‍क

यूपी की योगी सरकार ने 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का एलान किया है, जिसके बाद सूबे में राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ गई हैं। कुछ दिनों में ही होने वाले उपचुनाव और 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सरकार का यह फैसला पिछड़ी जातियों को लुभाने के तौर पर देखा जा रहा है।

माना जा रहा है कि बीजेपी ने यूपी की सत्‍ता में दोबारा लौटने के लिए अभी से तैयारियां अभी से शुरू कर दिया है, 17 पिछड़ी जातियां को अनुसूचित जाति में शामिल करने के पीछे समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज  पार्टी (बसपा) के पिछड़े और दलित वोट बैंक में सेंधमारी के तौर पर देखा जा रहा है।

इस बात चिंतित बसपा सुप्रीमो मायावती ने योगी सरकार पर दलितों के साथ धोखेबाजी का आरोप लगाया है।  मायावती ने कहा कि योगी सरकार का ये आदेश पूरी तरह से गैरकानूनी और असंवैधानिक है।

योगी सरकार पर निशाना साधते हुए बसपा सुप्रीमो ने कहा कि जब सरकार जानती है कि इन 17 जातियों को अनुसूचित जाति का लाभ नहीं मिल सकता है तो सरकार ने ऐसा फैसला क्यों किया? इससे साफ है कि योगी सरकार ने सपा सरकार की तरह इन 17 जातियों को धोखा देने के लिए ये आदेश जारी किया है।

मायावती ने आगे कहा कि इन जातियों के लोगों को SC कैटेगरी से संबंधित लाभ नहीं मिल पाएंगे। कोई भी राज्य सरकार इन लोगों को अपने आदेश के जरिए किसी भी श्रेणी में डाल नहीं सकती है और न ही उन्हें हटा सकती है।

मायावती ने कहा कि योगी सरकार का फैसला 17 ओबीसी जातियों के लोगों के साथ धोखा है। ये लोग किसी भी श्रेणी का लाभ प्राप्त नहीं कर पाएंगे, क्योंकि यूपी सरकार उन्हें ओबीसी नहीं मानेंगी।

बता दें कि इससे पहले भी सपा और बसपा सरकारों ने ओबीसी जातियों को एससी कैटेगरी में शामिल करने की सिफारिश केंद्र को भेजी हैं लेकिन केंद्र की कांग्रेस और बीजेपी सरकारों ने राज्‍यों सरकारों की इन सिफारिशों को नहीं माना। अब यूपी और केंद्र में बीजेपी की सरकार है तो माना जा रहा है कि योगी सरकार के इस प्रस्‍ताव पर केंद्र की मोदी सरकार मोहर लगा सकती है और दलित और पिछड़ी जातियों में अपने वोट बैंक को मजबूत कर सकती है।

बताते चले कि योगी सरकार ने पिछड़ी जातियों को लेकर एक बड़ा फैसला लिया। योगी सरकार ने 17 पिछड़ी जातियों (OBC) को अनुसूचित जातियों (SC) की सूची में शामिल कर दिया, जिन पिछड़ी जातियों को योगी सरकार ने SC कैटेगरी में शामिल किया वो इस प्रकार हैं– निषाद, बिंद, मल्लाह, केवट, कश्यप, भर, धीवर, बाथम, मछुआरा, प्रजापति, राजभर, कहार, कुम्हार, धीमर, मांझी, तुरहा, गौड़। सरकार ने जिला अधिकारी को इन 17 जातियों के परिवारों को जाति प्रमाण पत्र जारी करने का आदेश दिया है। जिनकी यूपी में करीब 13 फीसदी से ज्यादा आबादी है।

योगी सरकार ने इन 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की सिफारिश कर एक बड़े वोट बैंक को अपने साथ मिलाने का दांव चला है. अभी केंद्र और राज्य दोनों जगह बीजेपी की सरकार है।

बता दें कि उत्तर प्रदेश में 20.7 फीसदी दलित आबादी है, जाटव, वाल्मीकि, धोबी, कोरी, पासी, चमार, धानुक समेत 66 उपजातियां हैं, जो सामाजिक तौर पर बंटी हुई हैं। इन्हें उत्तर प्रदेश में 21 फीसदी आरक्षण मिल रहा है। ऐसे में 17 अति पिछड़ी जातियां भी शामिल होती हैं तो दलित समुदाय की उपजातियों की संख्या 83 पहुंच जाएगी।

वहीं, उत्तर प्रदेश में ओबसी समुदाय को 27 फीसदी आरक्षण मिल रहा है, जिनमें ओबीसी में 79 जातियां शामिल हैं। उत्तर प्रदेश में ओबीसी समुदाय की आबादी करीब 52 फीसदी है, जिनमें मुस्लिम ओबीसी भी शामिल हैं। इस तरह से अगर योगी सरकार के द्वारा की सिफारिश को मंजूरी मिलती हैं तो 17 अतिपिछड़ी जातियां अलग हो जाती है तो 62 उपजातियां बचेंगी।

ऐसे में ओबीसी के 27 फीसदी आरक्षण में जहां जातियां कम होंगी तो अनुसूचित जाति के आरक्षण में जातियां बढ़ेंगी। दरअसल, संवैधानिक प्रक्रिया के तहत जातियों की पहचान करने के लिए आयोग बनाए गए थे, जिनके सदस्यों ने देश भर में घूम कर अनुसूचित और पिछड़ी जातियों की पहचान की थी। इसके बाद भी उन्हें कटेगरी में बांटा गया था।

 

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com