Sunday - 7 January 2024 - 9:17 AM

इस एक गलती से मां नहीं बन पाती महिलाएं

जुबिली न्यूज़ डेस्क

कई महिलाओं को स्वाभाविक रूप से गर्भ धारण करने में मुश्किल आती है। यहां तक कि कई परीक्षण रिपोर्ट सामान्य होने के बाद वे स्वाभाविक रूप से गर्भ धारण में असमर्थ रहती हैं। पुरुषों में ‘इनफर्टिलिटी’ उन प्रमुख कारकों में से एक है।

पुरुषों में शुक्राणु की गुणवत्ता और उसकी मात्रा गर्भ धारण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और यह पुरुष प्रजनन क्षमता का एक निर्णायक कारक भी है। यदि स्खलित शुक्राणु कम हों या खराब गुणवत्ता के हो तो गर्भ धारण करने की संभावनाएं 10 गुना कम और कभी-कभी इससे भी कम हो जाती है।

दिल्ली के एक बड़े हॉस्पिटल की आईवीएफ एक्सपर्ट का कहना है, “मेल फैक्टर इनफर्टिलिटी असामान्य या खराब शुक्राणु के उत्पादन के कारण हो सकती है। पुरुषों में यह संभावना हो सकती है कि उनके शुक्राणु उत्पादन और विकास के साथ कोई समस्या नहीं हो।

लेकिन फिर भी शुक्राणु की संरचना और स्खलन की समस्याएं स्वस्थ शुक्राणु को स्खलनशील तरल पदार्थ तक पहुंचने से रोकती हैं और आखिरकार शुक्राणु फैलोपियन ट्यूब तक नहीं पहुंच पाता जहां निषेचन हो सकता है। शुक्राणु की कम संख्या शुक्राणु वितरण की समस्या का सूचक हो सकते हैं।”

उन्होंने कहा कि आम तौर पर पुरुषों में बांझपन के लक्षण प्रमुख नहीं होते हैं और इसके कोई लक्षण नहीं होते और रोगी को शिश्न में उत्तेजना, स्खलन या संभोग में कोई कठिनाई नहीं हो सकती है। यहां तक कि स्खलित वीर्य की गुणवत्ता और इसकी उपस्थिति नग्न आंखों से देखने पर सामान्य लगती है। शुक्राणुओं की गुणवत्ता की जांच केवल इनफर्टिलिटी के संभावित कारण को जानने के लिए किए जाने वाले चिकित्सा परीक्षण के माध्यम से की जा सकती है।

डॉक्टर ने बताया कि मेल इनफर्टिलिटी के लिए तीन (या अधिक) प्राथमिक कारक हो सकते हैं। ओलिगोजोस्पर्मिया (शुक्राणुओं की कम संख्या), टेराटोजोस्पर्मिया (शुक्राणुओं की असामान्य रूपरेखा) और स्पर्म ट्रांसपोर्ट डिसआर्डर। मेल फैक्टर इनफर्टिलिटी के करीब 20 प्रतिशत मामलों में स्पर्म ट्रांसपोर्ट डिसआर्डर ही जिम्मेदार होते हैं।

उन्होंने बताया कि स्पर्म ट्रांसपोर्ट डिसआर्डर के कारण ज्यादातर पुरुषों में शुक्राणु के एकाग्रता में कमी आ जाती है और शुक्राणु महिला की कोख तक सुरक्षित रूप से पहुंचने में अक्षम होता है। वर्ष 2015-2017 के बीच किए गए सर्वेक्षण के अनुसार, यह देखा गया कि आईवीएफ प्रक्रिया कराने को इच्छुक दंपतियों में, 40 प्रतिशत अंतर्निहित कारण पुरुष साथी में ही थे। प्रत्येक पांच पुरुषों में से एक पुरुष में स्पर्म ट्रांसपोर्ट की समस्या थी। सर्वेक्षण में उन पुरुषों को भी शामिल किया था जिन्होंने वेसेक्टॉमी करा ली थी, लेकिन अब बच्चे पैदा करना चाहते थे।

डॉक्टर का कहना है कि शुक्राणु का उत्पादन वृषण में होता है और इसे परिपक्व होने में 72 दिन का समय लगता है। उसके बाद परिपक्व शुक्राणु गतिशीलता प्राप्त करने के लिए वृषण से अधिवृषण (एपिडिडमिस) में चला जाता है और 10 दिनों के बाद यह अगले संभोग में बाहर निकलने के लिए तैयार होता है। लेकिन ट्यूब में कुछ अवरोध होने पर स्खलित वीर्य में शुक्राणुओं की पूरी तरह से कमी हो सकती है।

उन्होंने कहा कि तंत्रिका तंत्र से संबंधित कुछ विकार भी शुक्राणुओं की गतिशीलता को बाधित कर सकते हैं। दुर्घटनाओं या सर्जरी के कारण रीढ़ की हड्डी (मांसपेशियों की गति को प्रभावित करने) को चोट पहुंचने जैसी तंत्रिका की क्षति जैसी स्थितियां भी शुक्राणुओं को परिवहन करने की नलिकाओं की क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हैं। ऐसा पाया गया है कि अवसाद रोधी दवाइयां भी तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती हैं।

डॉक्टर के अनुसार, टेस्टिकुलर स्पर्म रिट्रिवल एस्पिरेशन कृत्रिम तकनीकों में सबसे नयी और सबसे विकसित तकनीक है। यह न सिर्फ आईसीएसआई और आईवीएफ के क्षेत्र में क्रांति ला रही हैं, बल्कि यह भी दिखाया है कि अंडे के निषेचन के लिए शुक्राणु का परिपक्व होना और अधिवृषण के माध्यम से पारित होना अनिवार्य नहीं है।

जिन्होंने कहा कि यह तकनीक एपिडिडमिस में अवरोध वाले मरीजों के लिए भी बेहद फायदेमंद है, अवरोध चाहे वेसेक्टॉमी जैसी पूर्व में की गई सर्जरी, संक्रमण या किसी भी जन्मजात कारणों से हो।

यह भी पढ़ें : गांधी की प्रतिमा पर फूटफूटकर क्यों रोया सपा नेता

यह भी पढ़ें : लव, सेक्स और धोखे के बाद प्रेमिका ने मांगी पुलिस से मदद

यह भी पढ़ें : आइस बाथ लेते हैं तो हो जाए सावधान

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com