Wednesday - 10 January 2024 - 5:24 AM

क्या राजभर छोड़ देंगे सपा का गठबंधन !

राजेंद्र कुमार

उत्तर प्रदेश की सियासत में विधानसभा चुनावों के पहले समाजवादी पार्टी (सपा) मुखिया अखिलेश यादव ने जातीय आधार वाले छोटे-छोटे दलों को जोड़कर मजबूत गठबंधन बनाया था, लेकिन अब वो धीरे-धीरे बिखराव की ओर है. विधानसभा चुनावों का रिजल्ट आने के तत्काल बाद महान दल ने सपा से नाता तोड़ा. उसके बाद अब सुभासपा के प्रमुख ओमप्रकाश राजभर ने भी सपा से अलग होने के संकेत दे दिए हैं. राष्ट्रपति चुनावों के बाद ओमप्रकाश राजभर अपने फैसले का ऐलान करेंगे.

विधानसभा चुनावों का रिजल्ट आने के तत्काल बाद से ही सपा और सुभासपा के बीच मनमुटाव दिखने लगा था. विधान परिषद चुनाव के दौरान यह खुल कर सामने आ गया था. सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर चाहते थे कि विधान परिषद की चार सीटों में कम से कम एक सीट उन्हें मिले, जिससे उनका बेटा सदन में पहुंच सके. लेकिन अखिलेश यादव ने उनकी बात नहीं मानी.

अखिलेश के इस फैसले से ओमप्रकाश बेहद आहत हुए और तब उन्होंने तंज कसते हुए कहा था कि 34 सीट पर चुनाव लड़कर आठ जीतने वाले को रालोद को राज्यसभा का इनाम मिला. इसके बाद सपा के आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव हारने के बाद ओमप्रकाश राजभर ने अखिलेश यादव पर टिप्पणी की.

उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव यदि आजमगढ़ और रामपुर में में चुनाव गए होते तो सपा उम्मीदवार चुनाव जीत जाते. हम लोग धूप में प्रचार कर रहे थे और अखिलेश यादव एसी में बैठे रहे. ओमप्रकाश ने यह भी कहा कि बहुत बार विरासत में प्रॉपर्टी पाने वाले उसे बेचकर खा जाते हैं। सपा मुखिया को एसी कमरों से निकलकर जमीन पर जाने की जरूरत है.

सुभासपा मुखिया ओमप्रकाश राजभर की यह सार्वजनिक टिप्पणी अखिलेश यादव को नागवार लगी. इन टिप्पणियों से आहत अखिलेश ने कहा कि सपा को किसी की सलाह की जरूरत नहीं है. यह दावा करने के बाद अखिलेश यादव ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के लखनऊ आने पर सपा कार्यालय में विधायकों की बुलाई बैठक में रालोद मुखिया जयंत चौधरी को सपा कार्यालय में बुलाया लेकिन सुभासपा के मुखिया ओमप्रकाश उनकी पार्टी के विधायकों को नहीं बुलाया. जबकि सुभासपा के सभी विधायकों को लखनऊ में बुलावे का इंतजार कर रहे थे.

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ऐसे में अब अखिलेश यादव के अकडू व्यवहार से सुभासपा की नाराजगी बढ़ गई है. इस ताजा घटनाक्रम के बाद से सुभासपा मुखिया ओमप्रकाश राजभर बेहद खफा हैं. तो दूसरी तरफ अपने अकडू व्यवहार के चलते अखिलेश यादव भी ओमप्रकाश को मनाने के मूड में नहीं हैं. दोनों दलों के बीच एक दीवार खड़ी हो गई है. ओमप्रकाश कहते हैं कि गुरुवार को हुई बैठक में मुझे बुलाया नहीं गया. सपा अध्यक्ष को जयंत चौधरी की जरूरत है. अब मेरी जरूरत नहीं है. राष्ट्रपति चुनाव पर कल के बाद हम फैसला लेंगे. कहा जा रहा है जल्द ही ओमप्रकाश सपा गठबंधन से दूरी बना लेंगे. ओमप्रकाश कहते हैं कि हम जल्द ही अपने फैसले से अवगत कराएंगे.

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