Sunday - 7 January 2024 - 2:25 AM

बीएचयू में मुस्लिम प्रोफेसर की नियुक्ति पर क्यों बरपा हंगामा

न्यूज डेस्क

देश में हिंदू-मुस्लिम की लड़ाई अब शिक्षण संस्थानों तक पहुंच गयी है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में कथित तौर पर एक मुस्लिम असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति के विरोध में वहां के छात्र धरने पर हैं। इन छात्रों की मांग है कि मुस्लिम प्रोफेसर की नियुक्ति को निरस्त किया जाए।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक छात्रों के बवाल पर गुरुवार देर रात बीएचयू ने इस मामले पर स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा कि उन्होंने वाइस चांसलर की अध्यक्षता में एक पारदर्शी स्क्रीनिंग प्रक्रिया के जरिए सर्वाधिक योग्य उम्मीदवार को सर्वसम्मति से नियुक्त किया है।

बीएचयू ने कहा कि इस संस्थान की स्थापना धर्म, जाति, संप्रदाय और लिंग के आधार पर बिना किसी भेदभाव के राष्ट्रनिर्माण के उद्देश्य से सभी को समान अवसर दिए जाने से की गई थी।

मालूम हो कि विश्वविद्यालय के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के साहित्य विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर फिरोज खान की नियुक्ति हुई है। छात्रों के इस पद पर मुस्लिम उम्मीदवार का चयन होना रास नहीं आ रहा है। कुछ छात्र इसका विरोध कर रहे हैं।

प्रदर्शनकारी छात्रों ने गुरुवार को कुलपति के आवास के बाहर होल्कर भवन पर धरना दिया। इन लोगों ने प्रोफेसर खान की नियुक्ति को रद्द किए जाने की मांग की।

इस मामले में एक प्रदर्शनकारी छात्र पुनीत मिश्रा ने कहा कि बीएचयू के संस्थापक मदन मोहन मालवीय के मूल्यों की रक्षा करने के लिए धरना किया गया था। संस्कृत संकाय में लगे शिलापट्ट पर लिखा है कि जैन, बौद्ध और आर्य समाज से जुड़े लोगों को छोड़कर कोई भी गैर हिंदू इस विभाग से नहीं जुड़ सकता।

छात्र ने कहा, ‘हम उनका (मुस्लिम प्रोफेसर) विरोध नहीं कर रहे हैं बल्कि बल्कि महामना (मालवीय) के मूल्यों का समर्थन कर रहे हैं। हम महामना के मूल्यों के लिए लड़ रहे हैं।’ 

इस विरोध प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे पीएचडी स्कॉलर शुभम तिवारी ने कहा कि रिश्वत लेने के बाद संस्कृत फैकल्टी में एक अयोग्य व्यक्ति की नियुक्ति की गई। जब एक व्यक्ति को नियुक्त किया जाता है तो वह 65 की उम्र तक पढ़ाता है। इतने वर्षों में बहुत सारे बच्चे पढऩे आएंगे। उन बच्चों का भविष्य बर्बाद हो जाएगा।’

वहीं विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर राम नारायण द्विवेदी ने प्रदर्शनकारी छात्रों द्वारा उत्पन्न की जा रही बाधा को अनुचित बताया। उन्होंने
मुस्लिम व्यक्ति की नियुक्ति में चुनाव प्रक्रिया का पालन नहीं करने के छात्रों के आरोपों को खारिज करते हुए कहा, ‘नियमों के मुताबिक चुनाव हुआ।

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