Sunday - 7 January 2024 - 1:18 PM

चीन के खिलाफ हांगकांग का साथ क्यों दे रहा ब्रिटेन ?

जुबिली न्यूज़ डेस्क

लंदन। चीन की नीतियां और रणनीतियां दुनिया के लिए मुसीबत बनी हुई हैं। भारत और अमेरिका के साथ- साथ चीन का अब ब्रिटेन से भी तनाव बढ़ा चुका है। चीन हांगकांग को लेकर ब्रिटेन पर भड़का हुआ है। दरअसल हांगकांग में सुरक्षा कानून लागू होने के तुरंत बाद ही ब्रिटेन ने वहां के 54 लाख लोगों को 5 साल तक अपने देश में काम देने और रहने की इजाजत दे दी है और यही बात चीन के गले की हड्डी बन गई है।

दरअसल ब्रिटेन रविवार रात से हांगकांग निवासियों के लिए नागरिकता की योजना शुरू करने जा रहा है। इस पर चीन ने ब्रिटिश नेशनल ओवरसीज (BNO) पासपोर्ट को मान्यता देने से ही इनकार कर दिया है। चीन का कहना है कि ब्रिटेन हांगकांग के लोगों को उसके खिलाफ भड़का रहा है और नागरिकता देकर उसके अंदरुनी मामले में दखल दे रहा है।

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हांगकांग में 2019 में ही राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के खिलाफ चीन विरोधी आंदोलन चलाया गया था। हांगकांग में लागू होने लोकतंत्र के खिलाफ कहे जा रहे इस कानून के विरोध में दुनियाभर के देश एकजुट हो गए। दुनिया ने चीन के इस कानून की आलोचना की।

अमेरिका से लेकर भारत तक हांगकांग के आंदोलनकारियों के पक्ष में थे लेकिन ब्रिटेन इस सबसे आगे निकल गया। उसने न केवल प्रदर्शनकारियों से संवेदना जताई, बल्कि उन्हें अपने यहां आने और काम करने का निमंत्रण तक दे दिया।

आपको बता दें कि ब्रिटेन का हांगकांग से एतिहासिक कनैक्शन है। हांगकांग ब्रिटिश उपनिवेश हुआ करता था। ये किस्सा शुरू हुआ ब्रिटेन और चीन के बीच अफीम को लेकर लड़ाई से। दरअसल चीन को ब्रिटिश व्यापारी चाय के बदले अफीम सप्लाई करते थे। चीन में अफीम का इस्तेमाल दवाएं बनाने और खाने के लिए होता था।

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हालांकि अफीम वहां अवैध थी लेकिन मांग के साथ चुपके-चुपके वहां ब्रिटेन भारत से अफीम पहुंचाने लगा। यहां तक कि वहां के लोगों को इस नशे की लत लग गई। साल 1839 में अपने लोगों की हालत देखते हुए चीन के राजा डाओग्वांग ने नशे के खिलाफ युद्ध शुरू किया। छापेमारियां हुईं और नशा जब्त होने लगा।

चीन ने समझौते के तहत स्वायत्ता की शर्त समेत कई बातों पर हामी भरी थी, जैसे इसे विशेष प्रशासनिक क्षेत्र घोषित किया गया। चीन में कम्युनिस्ट व्यवस्था है, जबकि हांगकांग में पूंजीवादी। चीन ने हांगकांग को लेते हुए ब्रिटेन के साथ पक्का किया कि वहां के नागरिकों को जिस तरह के अधिकार थे, वो चीनी हाथों में आने के बाद भी बने रहेंगे।

इस बीच एग्रीमेंट तोड़ते हुए चीन लगातार हांगकांग के आंतरिक मामलों में दखल देता रहा। यहां तक कि उसने वहां राष्ट्रीय सुरक्षा कानून भी लगा दिया, जिससे हांगकांग के लोग खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।

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