Sunday - 7 January 2024 - 5:55 AM

अखिलेश ने क्यों दी योगी को आर्थिक सलाहकार बदलने की सलाह ?

जुबिली स्पेशल डेस्क

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में इस वक्त विधानसभा में बजट सत्र चल रहा है। इस दौरान सरकार और विपक्ष के बीच कड़ी बहस देखने को मिल रही है।

जहां एक ओर योगी सरकार लगातार अखिलेश यादव को टारगेट कर रही है तो दूसरी ओर मंगलवार को अखिलेश यादव ने योगी पर जोरदार हमला बोला है।

अखिलेश यादव ने कहा कि किसी के पिता के बारे में कोई कहेगा तो दूसरा भी बोलेगा… स्वभाविक है… अगर आप परंपरा की बात करेंगे तो आपने भी कई रीति-रिवाज को नहीं माना, जिसके बारे में हम चर्चा नहीं करना चाहते हैं क्योंकि नेताजी ने हमें ऐसी शिक्षा नहीं दी है। वहीं अखिलेश यादव ने ग्रोथ रेट को लेकर भी योगी सरकार को घेरा है। दरअसल उन्होंने कहा कि सपा सरकार की ग्रोथ रेट से वर्तमान सरकार की ग्रोथ रेट 5 प्रतिशत कम।

अखिलेश यादव यही नहीं रूके उन्होंने आगे कहा कि वन ट्रिलियन इकोनॉमी के लिए 34 प्रतिशत ग्रोथ रेट चाहिए। इस दौरान अखिलेश यादव ने योगी को अपना आर्थिक सलाहकार बदलनें की नसीहत तक दे डाली। अखिलेश यादव ने कहा कि सलाहकार उनको बहला रहे हैं।

अखिलेश यादव यहीं नहीं रूके उन्होंने आगे कहा कि डेटा को मैनेज करने के लिए 200 करोड़ खर्च किए जा रहा है। अखिलेश यादव ने योगी सरकार से सवाल किया है बतायें कि सातवें बजट में हम कहां खड़े है। उन्होंने कहा कि जहां इन्वेस्टर मीट हुई वहां 20 दिन से सफाई नहीं हुई।

19 हजार एमओयू जो 33 लाख करोड़ के है सब हवा में दिखाए गए। 16.8 ग्रोथ रेट वित्त मंत्री ने बताई थी जबकि एवरेज ग्रोथ रेट 7.8 है।

अखिलेश यादव ने कहा कि सपा सरकार के दौरान 12.8 प्रतिशत थी। सरकार कैसे 19प्रतिशत ग्रोथ कैसे हासिल करेंगे इसका सोर्स क्या है। वन ट्रिलियन डॉलर इकोनामी के लिए 34 प्रतिशत ग्रोथ चाहिए। अखिलेश यादव ने कहा कि 34 प्रतिशत ग्रोथ हासिल करने के लिए जो सहयोग आप चाहे हम साथ खड़े है। अखिलेश यादव ने दोबारा कहा कि मुख्यमंत्री को अपना इकोनामिक एडवाइजर बदल देना चाहिए।

जो आपको सच्चाई ना बताएं उस सलाहकार का क्या करेंगे। सपा का घोषणा पत्र ले लें 34 प्रतिशत ग्रोथ मिल जाएगी। उन्होंने कहा कि एक संस्था को हायर किया गया है फिर झूठ बताने के लिए काम कर रहा है। आपके सारे विभाग फेल हो गए क्या जो 200 करोड़ देकर सलाह ले रहे हैं

अखिलेश यादव ने नीति आयोग के आंकड़े गिनाये और कहा ‘पूरे देश और उप्र की जनता को एक ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी का सपना दिखाया जा रहा है।

सरकार अगर यह सपना देख रही है तो उसे नीति आयोग की सतत विकास लक्ष्य की रिपोर्ट देखनी चाहिए कि उसमें उप्र की क्या स्थिति है।’ उन्होंने नीति आयोग की 2020-21 की रिपोर्ट के हवाले से बताया कि रिपोर्ट में गरीबी की रेखा से नीचे वाले 28 राज्यों की सूची में उप्र नीचे से चौथे नंबर पर है।

भुखमरी समाप्त करने में उप्र पांचवें नंबर पर है। गुड हेल्थ में नीचे से दूसरे नंबर पर है और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में 18वें नंबर पर है।

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