Saturday - 13 January 2024 - 6:02 PM

बनारसी अड़ी : काशी का गुप्‍त रोग

अभिषेक श्रीवास्तव 

बनारस इस समय मस्‍त है। गर्मी चढ़ रही है और लस्‍सी में बर्फ पड़ रही है। चंद्रशेखर आज़ा़द ने रोड शो कर के चुनाव का पहला माहौल बना दिया है तो सिपाही तेजबहादुर यादव ने भी बनारस से ही लड़ने का एलान कर डाला है। ऐसा पहली बार है कि तीन-तीन पार्टियां मिलकर अपना एक अदद उम्‍मीदवार नहीं तय कर पा रही हैं। मजबूरी में उम्‍मीदवार खुदे एलान कर दे रहा है। परचा भरे जाने में अभी महीना भर बाकी है। सवाल है कि मोदी के खिलाफ कौन-कौन लड़ेगा?

इस यक्ष प्रश्‍न के तीन जवाब हैं। पहला, कोई भी लड़े, जीत तो मोदी की ही होगी। दूसरा जवाब- मोदी को तो हारना है, अब कोई हरावे। तीसरा जवाब थोड़ा टेढ़ा है। उस दिन रामप्रसाद गहरे दुख में अपनी दुकान पर बैठे हुए थे। ये सवाल जब उनके सामने दागा गया तो रामप्रसाद खुद दग गए। बोले- ‘’हारने हराने का सवाल ही नहीं है। सवाल ये भी नहीं है कि कौन लड़ेगा।‘’

तो असल सवाल क्‍या है महराज?

रामप्रसाद खिस्‍स से हंस दिए और अपने पुराने मोड में आ गए। मेरे कान के करीब अपना मुंह लाए और शुरू हो गए।

‘’ओ दिनवा सबेरे सबकी हालत खस्‍ता रही कि सरवा फिर से टीवी पर आ रहा है, कहीं अंड क बंड न बोल दे। आप समझ रहे हैं? बत्‍ती लगी हुई है सबकी, अ उपर से मोदी मोदी कर रहे हैं।‘’

फिर क्‍या हुआ?

‘’होना क्‍या है महादेव? हम दुकान उस दिन देर से खोले। चाभी चेलवा के पास रहती है। उस दिन वो देर से आया। हम डपटते हुए पूछे का बे, काहें देर हो गइल। बोला टीवी देख रहे थे। हम कहली सरऊ वाले, अभी तोहार मन नाहीं भरल टीवी से?”

तब? क्‍या बोला?

‘’अरे महादेव, यही त असली सूत्र हव। उसने जो कहा, मैं बता दूंगा तो आपका फ्यूज उड़ जाएगा। बोला- चचा, गर्व करे वाली बात भयल हव। देश बहुत आगे चल गयल हव। अंतरिक्ष ले। दुनिया के टाप फोर में।‘’

रामप्रसाद बिना रुके बोलते रहे- ‘’हम पुछली, ए बच्‍ची भयल का हव, बतइबे? अंतरिक्ष में त राकेश सर्मवो चल गयल रहलन इंदिरा गांधी के टाइम पे। सीधे चांद से फोटो भेजले रहलन। हमन छोट रहली ओ टाइम।‘’

चेले ने खुलासा किया- ‘’चांद त य रहल… यद्देक्‍खा… दरिएं… हम अंतरिक्ष क बात करत हइला… ‘’, कहते हुए चेले ने उंगली आसमान की ओर उठाई और रामप्रसाद को फॉलो करने के लिए कहा। रामप्रसाद ने ऊपर देखा तो अंग्रेज़ों के ज़माने वाले चौक थाना की छत पर चहलकदमी करते कुछ बंदर नज़र आए। बचा खुचा आसमान बिजली की तारों और होर्डिंगों से पटा पड़ा था। इस पर रामप्रसाद बिदक गए। उन्‍होंने खुद को संभालते हुए चेले से खड़ी बोली में पूछा (वे जब नाराज़ होते हैं तो भाषा के मामले में खड़े हो जाते हैं)।

‘’चुपचाप ये बताओ कि मोदी जी टीवी पर क्‍या बोले?’’

चेला उनकी खड़ी भांप गया और भांप कर खुद बैठ गया- ‘’चचा, हम बहुत ध्‍यान से तो नहीं देखे लेकिन गर्व करने लायक बात है। भारत अंतरिक्ष में पहुंच चुका है और वहां मार भी कर रहा है।‘’

रामप्रसाद ने उस दिन का यह किस्‍सा सुनाते हुए कहा- ‘’समझे महादेव? असल संकट यहां है… भो… के गर्व न भया, गुप्‍तरोग हो गया। हर बात पे गर्व। यहां बच्‍चा पैदा होता है तो पहिले ही से फूला रहता है। अंग्रेजी डाक्‍टर को लगता है बिमरिया है। ऊ बीमार नहीं, गौरवान्वित होता है कि या रजा काशी में जन्‍म ले लिए, अब जिंदगी भर कचौड़ी जलेबी पेलेंगे और सोएंगे। काशी की जनता जब तक गर्व करना नहीं छोड़ेगी, कोई लड़े, कोई हारे, कोई जीते, हार तो उसी की होनी है।‘’

बात-बात में रामप्रसाद बड़ी बात कह गए थे। मैंने लगे हाथ पूछा- ‘’क्‍या आपको किसी बात का गर्व नहीं है? आप भी तो बनारसी हैं?’’ वे अचानक गंभीर हो गए। बोले- ‘’गर्व था। हम लोग नारा लगाते रहे- ‘गर्व से कहो हम हिंदू हैं’। नरवे लगाते रहे गए। सब गर्व पेला गया। सोचे थे एक आदमी आया है तो गर्व करने लायक कुछ करेगा। ई भी सरवा लूट खसोट में लग गया। एक मंदिर तो बनवा नहीं पाया, सौ मंदिर अलग से तोड़ दिया। गर्व की मां का … ड़ा ‘’, कहते हुए रामप्रसाद ने मुंह से पाव भर पीक निकाल कर सामने रखे सरकारी डस्‍टबिन पर निशाना लगाया।

निशाना चूक गया। गांधीजी की बाईं आंख लाल हो गई।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं , इस लेख में बनारस की स्थानीय बोली का प्रयोग किया गया है)

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com