Thursday - 21 March 2024 - 8:19 AM

कौन होगा रायबरेली और अमेठी सीटों पर कांग्रेस का उम्मीदवार ?

यशोदा श्रीवास्तव

सपा गठबंधन के साथ यूपी में कांग्रेस मात्र 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। यूपी के चुनावी इतिहास को देखें तो कांग्रेस की अब तक की यह सबसे कम सीट है जो उसके मनमाफिक की भी नहीं है।

शोर था कि कांग्रेस कम से कम उन 22 सीटों पर जरूर ही लड़ेगी जहां वर्ष 2009 में उसे सफलता मिली थी।

 

सपा ने ऐसा नहीं होने दिया और उसने अपनी मर्जी से कांग्रेस के हिस्से में 17 सीटें फेंक दी। यह अलग बात है कि उसमें अमेठी और रायबरेली भी है जो कांग्रेस की खानदानी सीट मानी जाती है।

बता दें कि यूपी में 25 ऐसी सीटें हैं जिन्हें मुस्लिम बाहुल्य सीट की श्रेणी में देखा जाता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार मुस्लिम वोटर कांग्रेस के पक्ष में वोट करने को तैयार है,इस वजह से कांग्रेस भी मुस्लिम बाहुल्य सीटों से बेहतर उम्मीदवार उतारने की तैयारी में थी लेकिन गठबंधन ने उसके मंसूबे पर पानी फेर दिया।

सपा ने बड़ी मुश्किल से उसे मुस्लिम बाहुल्य दो सीट अमरोहा और शहारनपुर ही दी है। ऐसा होने से उसे अपने कई सीनियर मुस्लिम लीडरों की नाराज़गी झेलने को मजबूर होना पड़ा।

हालांकि जो मुस्लिम सीटें इस लालच में अखिलेश यादव ने अपने हिस्से में कर ली है, वहां उन्हें भी कोउम्मीदवार नहीं मिल रहे। इसमें डुमरियागंज सहित कई सीटें भी शामिल है। सपा को इस मुगालते में नहीं रहना चाहिए कि वह चाहे जिस उम्मीदवार को थोप देगी तो मुस्लिम वोटर उसे अपना वोट आंख मूंद कर दे ही देगा।

अमेठी और रायबरेली की चर्चा इन दिनों जोरों पर है कि रायबरेली से सांसद होती रही सोनिया गांधी के राज्य सभा में चले जाने के बाद और अमेठी से पिछला चुनाव हार जाने पर राहुल गांधी के बायनाड चले जाने से इन दोनों सीटों पर कांग्रेस का उम्मीदवार कौन होगा?

 

हालांकि कांग्रेस ने यूपी लोकसभा सीट से अपने उम्मीदवारों की सूची जारी नहीं की है लेकिन राहुल गांधी के बायनाड से उम्मीदवारी की घोषणा कर दी है। इसके बाद से ही गांधी परिवार के इन दोनों परंपरागत सीटों पर उम्मीदवार को लेकर कयासबाजी तेज हो गई है,जो स्वाभाविक भी है।

 

यदा कदा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया भी इसमें खाद पानी देता रहता है। जैसे पिछले दिनों खबर उड़ाई गई कि नरेंद्र मोदी के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी से कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा और अमेठी से सुप्रिया श्रीनेत लड़ सकती हैं चुनाव। जबकि यूपी कांग्रेस कमेटी द्वारा वाराणसी से प्रदेश अध्यक्ष अजय राय और अमेठी रायबरेली से गांधी परिवार से “कोई भी,” प्रस्ताव केंद्रीय नेतृत्व को भेजा गया है।

सवाल अमेठी और रायबरेली को लेकर है। जाहिर है यूपी में कांग्रेस की हालत बेहतर नहीं है। 2019 में सिर्फ एक सीट रायबरेली ही कांग्रेस जीत पाई थी जहां से सोनिया गांधी विजयी हुई थीं। लेकिन देश भर में यही माना जाता है कि यूपी ही कांग्रेस का मदरलैंड है।

यहीं से पं.जवाहर लाल नेहरू, स्व.इंदिरा गांधी,स्व.राजीव गांधी सांसद होते रहे हैं और इन्ही के हाथों लंबे समय तक देश की सत्ता रही है। ऐसे में नहीं लगता कि गांधी परिवार अमेठी या रायबरेली को यूं ही छोड़ देगा।

लोगों का मत है कि राहुल गांधी भले ही बायनाड से दूसरी बार उम्मीदवार हुए हों, उन्हें अमेठी से भी चुनाव लड़ना ही चाहिए बगैर इस बात पर ध्यान दिए कि लोग क्या कहेंगे? याद होगा कि अटल बिहारी वाजपेई भी कभी तीन तीन क्षेत्रों से लोकसभा चुनाव लड़े थे,और जीतते एक जगह से,शेष दो जगहों से उनकी बुरी तरह हार होती थी।

जहां तक रायबरेली की बात है तो यह एक मात्र सीट है जिसके शत प्रतिशत गांधी परिवार के लिए समर्पित रहने की गारंटी अभी भी है। सोनिया गांधी के बाद यह क्षेत्र प्रियंका गांधी को मांग रहा है।

 

ऐसी स्थिति में यहां से प्रियंका गांधी को चुनाव लड़ना ही चाहिए। हां जैसा की यदा कदा वरुण गांधी के नाम की चर्चा होती है तो यदि ऐसी कोई स्थिति आती है तो निसंदेह वरुण गांधी के नाम पर भी सहमति लाजिमी है। आखिर वरुण गांधी भी तो गांधी परिवार पर के ही खून हैं।

माना कि मौजूदा वक्त में कोई चुनाव आसान नहीं है,वह भी तब जब कांग्रेस अथवा विपक्ष मुक्त भारत के आवाहन पर चुनाव लड़ा जा रहा हो। आज की राजनीतिक दलें चुनाव को चुनाव की तरह नहीं बल्कि जानी दुश्मन की तरह लड़ रहे हैं।

 

प्रधानमंत्री चाहे चुनावी सभा में हों, बच्चों के कार्यक्रम में हों प्रतिभा सम्मान समारोह में,हर जगह विपक्ष के सफाए का दंभ भरते रहते हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में चार सौ पार के नारे के साथ चुनाव मैदान में उतर रही भाजपा से मुकाबला आसान नहीं है लेकिन विपक्ष को लड़ना तो पड़ेगा इस उम्मीद से भी कि क्या पता यह चुनाव विपक्ष की ओर से इस बार जनता लड़ रही हो।

 

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