जुबिली स्पेशल डेस्क
भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर हो गया है और कई दिनों से जारी तनातनी फिलहाल थम गई है। हालांकि, इस अचानक हुए सीजफायर के ऐलान पर कई सवाल उठ रहे हैं।
इतना ही नहीं, इस सीजफायर का पूरा श्रेय अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लेने की कोशिश की है। सबसे पहले उन्हीं की ओर से यह जानकारी दी गई कि भारत और पाकिस्तान सीजफायर के लिए तैयार हो गए हैं।
बात यहीं खत्म नहीं होती। डोनाल्ड ट्रंप ने यह भी प्रस्ताव दिया है कि वह भारत और पाकिस्तान के साथ ‘न्यूट्रल ग्राउंड’ पर कश्मीर का मसला सुलझाने की कोशिश करेंगे। इसे लेकर उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) ने मोदी सरकार पर जोरदार हमला बोला है और ट्रंप के ऐलान पर सवाल खड़े किए हैं।
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शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में डोनाल्ड ट्रंप के बयान का विश्लेषण किया गया है और मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा किया गया है। संजय राउत ने लिखा है, “भारत एक संप्रभु और स्वतंत्र राष्ट्र है। किसी भी बाहरी देश को हमारे आंतरिक मामलों में बोलने का कोई अधिकार नहीं है। फिर भी अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष में हस्तक्षेप किया और भारत ने उनके युद्धविराम प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया।”
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‘सामना’ में दावा किया गया है कि जब डोनाल्ड ट्रंप ने भारत-पाक युद्धविराम की घोषणा की, उस समय न तो भारतीय नागरिकों को और न ही सेना को इसकी कोई जानकारी थी। संपादकीय में तीखा सवाल उठाया गया है—“राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को ‘सरपंच’ जैसा यह अधिकार किसने दिया?”
संजय राउत ने याद दिलाया, “1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद दोनों देशों के बीच हुए शिमला समझौते के अनुसार, तीसरे देशों को दोनों देशों के बीच संघर्ष में हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं थी, लेकिन अब भारत के प्रधानमंत्री ने ही शिमला समझौते का उल्लंघन किया। भारत ने ट्रंप के दबाव के आगे झुककर युद्धविराम को मंजूरी दे दी, लेकिन क्या ‘ऑपरेशन सिंदूर’ या पाकिस्तान का बदला पूरा हो गया है? देश को इसका जवाब नहीं मिला।”