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विनिवेश की रकम हासिल नहीं कर पाई सरकार तो क्या होंगे परिणाम

जुबिली न्यूज़ डेस्क

नई दिल्ली। इस साल के आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मार्च 2021 तक विनिवेश से 2.1 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा था। हालांकि कोरोना और अन्य समस्याओं के चलते केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार अब तक इस लक्ष्य से काफी दूर नजर आ रही है।

इन हालातों के बीच सरकार ने एयर इंडिया, बीपीसीएल और एलआईसी जैसी कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया को तेज कर दी है। अब सरकार एक और कंपनी शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया में हिस्सेदारी बेच रही है। सरकार की इन कोशिसो को देखकर ऐसा लग रहा है मानो सरकार अपने लक्ष्य से काफी दूर हो।

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विनिवेश एवं सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (डीआईपीएएम) के मुताबिक 13 फरवरी 2021 तक संभावित खरीदारों से अभिरुचि पत्र (ईओआई) आमंत्रित किया गया है। इसके जरिए पता चलेगा कि कौन सी कंपनियां या निवेशक इसे खरीदने में दिलचस्पी दिखा रही हैं।

वित्त मंत्रालय में भी इसको लेकर चिंता है लेकिन सरकार के अब केवल 3 महीने का समय बचा हुआ जब विनिवेश की तय हुआ लक्ष्य को हासिल करना है। हालांकि सरकार जिस रफ़्तार से सरकारी कंपनियों की हिस्सेदारी बेचने पर आमादा है, उससे हालात पर और लक्ष्य पर क्या असर पड़ता है ये तो आने वाला समय ही तय करेगा।

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2500 करोड़ की हिस्सेदारी

मौजूदा बाजार मूल्य के आधार पर शिपिंग कॉरपोरेशन में सरकार की हिस्सेदारी की कीमत करीब 2,500 करोड़ रुपये है। सरकार ने विनिवेश प्रक्रिया का प्रबंधन करने के लिए आरबीएसए कैपिटल एडवाइजर्स एलएलपी को अपना लेनदेन सलाहकार नियुक्त किया है।

आपको बता दें कि मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने पिछले साल नवंबर में शिपिंग कॉरपोरेशन के रणनीतिक विनिवेश को सैद्धांतिक मंजूरी दी थी। हालांकि महामारी के कारण इसे अमली जामा पहनाने में देरी हुई।

ये है लक्ष्य

वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में विनिवेश के जरिए 2.1 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा गया है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में अब तक केंद्रीय लोक उपक्रमों में अल्पांश हिस्सेदारी बेचकर 11,006 करोड़ रुपये जुटाए हैं।

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