Tuesday - 9 January 2024 - 11:38 AM

क्या है एंटी साइक्लोनिक विंड,जिससे करोड़ों लोग हैं प्रभावित

न्यूज़ डेस्क

नई दिल्ली। कई दिनों से लगातार चल रही धूल भरी आंधी करोडो लोगों की सेहत को नुकसान  पहुंचा रही है। इस धूल भरी आंधी ने मौसम के उतार चढ़ाव के बीच दिल्ली के साथ एनसीआर के शहरों नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद, गुरुग्राम, ग्रेटर नोएडा, सोनीपत, रेवाड़ी, बल्लभगढ़ कई शहरों की सेहत भी बिगाड़ दी है। हवा में धूल कण  के बढ़ने से हवा की  श्रेणी बेहद खराब हो गई है। दिल्ली व इसके आस पास के इलाके  में हवा की गुणवत्ता इस हद तक खराब हो गई है कि लोगों को सांस लेने में भी परेशानी होने लगी है।

इस बारे में मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक डॉक्टर के. जे. रमेश ने बताया कि यह एक प्रकार की एंटी साइक्लोनिक विंड है, जिसके कारण वातावरण में धूल के कण दो किलोमीटर की ऊंचाई तक बने रहते हैं।

वहीं, सफर (System of Air Quality and Weather Forecasting and Research) के मुताबिक, अभी अगले तीन-चार दिनों तक हवा में धूल की यह मात्रा बनी रहने की संभावना है। इसके चलते दिल्लीवासियों को प्रदूषित हवा में ही सांस लेने को मजबूर होना पड़ेगा।

राजस्थान की मुसीबत दिल्ली-एनसीआर को पड़ रही भारी, दक्षिण भारत में भी दिखेगा असर

मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक, राजस्थान में इन दिनों धूल भरी आंधी का दौर शुरू हो गया है। इसी का असर दिल्ली तक देखने को मिल रहा है। वहीं, मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक डॉक्टर केजे रमेश का कहना है  कि यह एक प्रकार की एंटी साइक्लोनिक विंड है, जो राजस्थान से हरियाणा, दिल्ली-एनसीआर होते हुए पश्चिमी और दक्षिणी उत्तर प्रदेश की तरफ जा रही है। इस हवा को डस्ट रेजिंग विंड भी कहा जाता है। इसके कारण वातावरण में धूल के कण दो किलोमीटर की ऊंचाई तक बने रहते हैं।

इसकी वजह से दिल्ली, यूपी, हरियाणा, राजस्थान समेत कई राज्यों के करोड़ों लोग प्रभावित हैं। दिल्ली के साथ इससे सटे शहरों में धूल के कण सुबह से शाम तक जमे रहते हैं, जिससे दमे के साथ सांस के रोगियों को खासी दिक्कत पेश आ रही है।

क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस, एलर्जिक सायनुसाइटिस  जैसी सांस संबंधी रोगों का खतरा

बता दें कि धूल के कणों से लोगों को क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस, एलर्जिक सायनुसाइटिस व एलर्जिक राइनाइटिस जैसे रोग हो सकते हैं जो काफी दर्दकारक और गंभीर रूप से घातक साबित हो सकते हैं। दमे के रोगी के लिए धूल काफी नुकसानदेह हो सकती है। धूल और धुएं के कणों से अनेक प्रकार के कार्बनिक तत्व व धातुएं लैड आदि होने के कारण ये ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं। इसके चलते कई बार गंभीर बिमारियां और फ्लू भी हो जाते हैं। धूल और धुआं मिलकर तो श्वास की नली में काफी संक्रमण फैला सकते हैं।

क्या होती है एंटी साइक्लोनिक विंड

रोटेशन की अनुपस्थिति में, हवा उच्च दबाव के क्षेत्रों से निम्न दबाव के क्षेत्रों तक उड़ती है। उच्च दबाव प्रणाली और कम दबाव प्रणाली के बीच दबाव अंतर जितना मजबूत होता है, हवा उतनी ही मजबूत होती है। पृथ्वी के घूर्णन के कारण होने वाले कोरिओलिस बल के कारण उच्च-दाब प्रणाली के भीतर हवाएँ चलती हैं, जो उत्तरी गोलार्ध में उनके दक्षिणावर्त परिसंचरण (जैसे हवा बाहर की ओर निकलती है और उच्च दबाव के केंद्र से दाईं ओर विक्षेपित होती है) और दक्षिणी गोलार्ध में एंटीक्लॉकवाइज़ परिसंचरण (के रूप में) हवा बाहर की ओर निकलती है और उच्च दबाव के केंद्र से छोड़ी जाती है। भूमि के साथ घर्षण उच्च दबाव प्रणालियों से बहने वाली हवा को धीमा कर देता है और केंद्र से हवा को अधिक बाह्य (अधिक आयु के आधार पर ) प्रवाहित करता है।

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com