लखनऊ, उत्तर प्रदेश वेटलैंड्स क्षेत्रीय मीडिया परामर्श कार्यक्रम की शुरुआत प्रेरणादायक चर्चाओं, विशेषज्ञ अंतर्दृष्टि और मीडिया संवादों की एक श्रृंखला के साथ हुई, जिसका उद्देश्य उत्तर प्रदेश में वेटलैंड्स संरक्षण के प्रति जागरूकता और कार्रवाई को बढ़ावा देना है।
दिन की शुरुआत सीएमएस की महानिदेशक, डॉ. वसंतीराव द्वारा दिए गए स्वागतऔर परिचयात्मक भाषण से हुई।उन्होंने मीडिया की भूमिका को सक्रिय रूप से वेटलैंड्स के पारिस्थितिक महत्व को जनता तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण बताया।उन्होंने अपने उद्घाटन भाषण में कहा, “वेटलैंड्स प्रकृति की किडनी हैं, जो जैवविविधता को संरक्षित करने और जलसुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हैं ।मीडिया के पास कथा को प्रभावित करने और सामूहिक कार्रवाई को प्रोत्साहित करने की शक्ति है।”
औपचारिक उद्घाटन के बाद, उत्तर प्रदेश सरकार के वन्यजीव, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन के प्रधान मुख्य वन संरक्षक,श्री संजय श्रीवास्तव ने क्षेत्र में वेटलैंड्स के सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “वेटलैंड्स न केवल पारिस्थितिक धरोहर हैं, बल्कि वे हमारी सांस्कृतिक विरासत और सतत विकास के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। इनकी सुरक्षा एक साझा जिम्मेदारी है, जिसके लिए समाज के सभी क्षेत्रों के सहयोग की आवश्यकता है।”
उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन सचिव श्री आशीष तिवारी जी ने मुख्य वक्तव्य दिया। उन्होंने वेटलैंड्स संरक्षण के प्रति राज्य की प्रतिबद्धता और बहु–हितधारक भागीदारी के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश के पर्यावरण का भविष्य विकास और संरक्षण के बीच संतुलित दृष्टिकोण पर निर्भर करता है। वेटलैंड्स जलवायु अनुकूलन की कुंजी हैं, और मीडिया के साथ मिलकर हम नीति और जन जागरूकता के बीच की खाई को पाट सकते हैं।”
कार्यक्रम में आगे सीएमएस के तकनीकी विशेषज्ञ डॉ. प्रणब जे. पातर जी द्वारा वेटलैंड्स के महत्व पर तकीनीकी जानकारी साझा की गई।जिसके बाद डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के श्री अर्जित मिश्रा जी द्वारा नदी वेटलैंड सह–प्रबंधन पर एक विस्तृत चर्चा हुई। इसके बाद वेटलैंड्स इंटरनेशनल साउथ एशिया के निदेशक, डॉ. रितेश कुमार और जीआईजेड के सलाहकार, श्री उत्कर्ष लाल ने रामसर साइटों और वेटलैंड्स संबंधित नीतियों पर अपने विस्तृत अनुभव साझा किए। डॉ. कुमार ने विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में वेटलैंड्स की बहाली के लिए किए गए उल्लेखनीय प्रयासों की सराहना की।विशेष रूप से राज्य के राजस्व विभाग द्वारा वेटलैंड्स को भूमि रिकॉर्ड में शामिल करने के लिए वन विभाग द्वारा की गई सुविधा का उल्लेख किया।
वेटलैंड एक क्षेत्रीय मीडिया गोलमेज सम्मेलन था, जिसका संचालन डॉ. वसंती राव ने किया। इसमें पत्रकारों, पर्यावरणविदों और शिक्षाविदों ने वेटलैंड्स से जुड़े मुद्दों पर मीडिया और नागरिक समाज के बीच की खाई को पाटने पर विचार–विमर्श किया। नवभारत टाइम्स के सह संपादक श्री सुधीर मिश्रा जी बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर वेंकटेश दत्ता, और गोरखपुर पर्यावरणीय कार्रवाई समूह (जीईएजी) की डॉ. निवेदिता मणि जैसे प्रमुख वक्ताओं ने वेटलैंड्स संरक्षण पर मीडिया कवरेज को मजबूत करने के लिए मूल्यवान दृष्टिकोण प्रदान किए।
पहले दिन का समापन प्रतिभागियों द्वारा अपने अनुभव साझा करने और वेटलैंड मुद्दों से संबंधित कहानी विचार प्रस्तुत करने के साथ हुआ। जिससे इन महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्रों की गहन कवरेज का मार्ग प्रशस्त हुआ। वेटलैंड्स क्षेत्रीय मीडिया परामर्श का दूसरा दिन नवाबगंज बर्ड सैंक्चुअरी, एक रामसर साइट की फील्ड विजिट है, जो प्रतिभागियों को वेटलैंड पारिस्थितिक तंत्र का प्रत्यक्ष अनुभव प्रदान करेगा।
यह कार्यक्रम सीएमएस द्वारा आयोजित किया गया है और यह ‘बायोडायवर्सिटी और जलवायु संरक्षण के लिए वेटलैंड्स प्रबंधन‘ परियोजना का हिस्सा है। इस परियोजना को जर्मन संघीय पर्यावरण, प्रकृति संरक्षण, परमाणु सुरक्षा और उपभोक्ता संरक्षण मंत्रालय (बीएमयूवी) और अंतर्राष्ट्रीय जलवायु पहल (आईकेआई) के साथ साझेदारी में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ और सीसी) की ओर से जीआईजेड द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
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