Friday - 12 January 2024 - 7:18 PM

ममता के खिलाफ बड़ी भूमिका निभा सकते हैं बीजेपी के ये तीन चेहरे

जुबिली न्‍यूज डेस्‍क

बिहार और उसके बाद हैदराबाद नगर निगम के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को जो कामयाबी मिली, उसके पीछे रणनीति को बहुत ज्यादा श्रेय दिया जा रहा है। कहा जा रहा है कि कोई भी चुनाव हो, बीजेपी बहुत ही योजनाबद्ध तरीके से लड़ती है। अब जबकि वेस्ट बंगाल के चुनाव होने हैं, तो इस प्रतिष्ठापूर्ण चुनाव के लिए बीजेपी ने कैलाश विजयवर्गीय और अमित मालवीय को क्रमश: प्रभारी और सह प्रभारी बनाया है।

इसके अलावा पार्टी हाईकमान ने नरोत्तम मिश्रा को पश्चिम बंगाल के आसनसोल इलाके की 48 विधानसभा सीटों का प्रभारी बनाया है। नरोत्तम मिश्रा ने खुद ही जानकारी देते हुए कहा है कि पार्टी के संगठनात्मक कार्यों से मैं अगले 4 दिनों तक पश्चिम बंगाल के प्रवास पर रहूंगा।

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पश्चिम बंगाल से पहले भी नरोत्तम मिश्रा पर पार्टी ने दूसरे राज्यों में भरोसा जताया है। उन्हें यूपी और गुजरात के विधानसभा चुनावों में प्रभारी बना कर भेजा गया था। मिश्रा की गिनती एमपी में पार्टी के कुशल मैनेजरों में होती है।

पश्चिम बंगाल में चुनाव एमपी से मिश्रा तीसरे ऐसा नेता हो गए हैं, जिन्हें एमपी से लाया गया है। इनके पहले से कैलाश विजयवर्गीय और अमित मालवीय वहां काम संभाल रहे हैं। नरोत्तम मंगलवार देर रात कोलकाता पहुंच गए हैं। वहां पार्टी नेताओं के साथ अगामी चुनाव की रणनीतियों पर चर्चा करेंगे।

Bhopal/Indore News: CM शिवराज गए तिरुपति, इधर बीजेपी के दो दिग्गजों की  'डिनर पर चर्चा' - kailash vijaywargiya meets narottam mishra for dinner at  his home at bhopal | Navbharat Times

एमपी की सियासत में कैलाश विजयवर्गीय और नरोत्तम मिश्रा में अच्छी ट्यूनिंग है। दोनों शिवराज कैबिनेट में एक-साथ काम भी कर चुके हैं। कैलाश लंबे समय से केंद्रीय राजनीति में शिफ्ट हो गए हैं। हालांकि बीच-बीच में वह एमपी की राजनीति में सक्रिय हो जाते हैं। भोपाल दौरे के दौरान कैलाश विजयवर्गीय गुप्तगु के लिए नरोत्तम मिश्रा के पास जरूर जाते हैं। दोनों की जोड़ी का फायदा पार्टी को पश्चिम बंगाल के चुनाव में भी मिलेगा।

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बता दें कि पश्चिम बंगाल के प्रभारी बनाए गए कैलाश विजयवर्गीय मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं, वही उनकी राजनीतिक कर्मभूमि भी है। वहां वे मेयर, विधायक और प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं। 64 साल के कैलाश विजयवर्गीय ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1975 में की, जब वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्टूडेंट विंग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़े। वे एबीवीपी के स्टेट को-ऑर्डिनेटर भी रहे, साथ ही बीजेपी के विधि प्रकोष्ठ के स्टेट को-ऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी भी संभाली।

Is Kailash Vijayvargiya Eyeing State BJP Chief's Post by Leading Party's  Frontal Attack on Cong Govt in MP?

भारतीय जनता युवा मोर्चा में भी उन्होंने काम किया। पार्टी के विधि प्रकोष्ठ में भी रहे। उन्हें राजनीति में कामयाबी की पहली मंजिल आठ साल के अंदर ही मिल गई। वे 1983 में इंदौर नगर निगम के मेयर बने। कैलाश विजयवर्गीय लगातार 6 बार मध्य प्रदेश विधानसभा का चुनाव जीते।

1990 से उन्होंने विधानसभा का चुनाव लड़ना शुरू किया और कभी विधानसभा का चुनाव नहीं हारे। अब वे बीजेपी की राष्ट्रीय टीम में हैं। कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय भी मध्य प्रदेश की राजनीति में हैं। वे बीजेपी के विधायक हैं। पश्चिम बंगाल बीजेपी के लिए बेहद अहम है और इस बार वहां के विधानसभा चुनाव में वह करो या मरो वाली स्थिति में है।

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कैलाश विजयवर्गीय को सांगठनिक क्षमता का धनी माना जाता है, लेकिन जब तब वे विवादित बयान भी देते रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में 18 सीटों पर जीत दर्ज की, जो तृणमूल कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका था और बीजेपी के लिए यह आगे का रास्ता खोलने का अवसर था।

 

पार्टी को लगता है कि राज्य के लोगों ने बीजेपी को विकल्प के रूप में स्वीकार करना शुरू कर दिया है। अगले छह महीनों के अंदर बंगाल में चुनाव होने हैं।

पार्टी नेतृत्व ने कैलाश विजयवर्गीय की संगठनात्मक क्षमता पर भरोसा करते हुए फिर से उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाया, साथ ही पश्चिम बंगाल का प्रभारी भी। उन्हें 2014 में बीजेपी ने हरियाणा चुनाव का प्रभारी बनाया था। बिना सीएम उम्मीदवार के चुनाव लड़ रही बीजेपी ने हरियाणा में बहुमत हासिल किया और कैलाश विजयवर्गीय को बीजेपी अपनी केंद्रीय टीम में ले आई।

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अमित शाह जब राष्ट्रीय अध्यक्ष थे तो उन्होंने कैलाश विजयवर्गीय को राष्ट्रीय महासचिव बनाया। तभी उन्हें पश्चिम बंगाल की जिम्मेदारी भी दी गई। बीजेपी के पास वहां खोने के लिए कुछ नहीं था और कभी लेफ्ट का गढ़ रहे बंगाल में भगवा झंडा बुलंद करने की जिम्मेदारी में कैलाश विजयवर्गीय खरे उतरे। पार्टी फिर से उन पर भरोसा जता रही है और वे पार्टी के भरोसे को सही साबित करने में जुटे हैं।

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पश्चिम बंगाल की जंग में सोशल मीडिया बीजेपी के लिए कितना अहम होने वाला है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बीजेपी ने आईटी सेल हेड अमित मालवीय को पश्चिम बंगाल का सह-प्रभारी बनाया है। भले ही अमित मालवीय और उनकी आईटी सेल पर ‘ट्रोलिंग’ और ‘फेक न्यूज’ को बढ़ावा देने के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा असर बीजेपी आईटी सेल का ही दिखता है।

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव बीजेपी के लिए बहुत अहम है। यहां जंग सिर्फ वोटों की नहीं है, बल्कि परसेप्शन की भी है। पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा होती रहती है और बीजेपी यहां तृणमूल कांग्रेस पर हिंसा का आरोप लगाती है। बीजेपी कार्यकर्ताओं का हौसला बुलंद करने और यह परसेप्शन बनाने के लिए कि बीजेपी कार्यकर्ता किसी से नहीं डरते और सबका मुकाबला करने को तैयार हैं, सोशल मीडिया टीम को आगे किया गया है। अमित मालवीय और उनका आईटी सेल इस काम में जुट भी गए हैं। सोशल मीडिया के जरिए लगातार तृणमूल कांग्रेस को घेरा जा रहा है।

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